राज्यपाल ने “वन यूनिवर्सिटी, वन रिसर्च” के अंतर्गत किए जा रहे शोध कार्यों पर राजभवन में राजकीय विश्वविद्यालयो के कुलपतियों के साथ की चर्चा
आज राजभवन में राजकीय विश्वविद्यालयों की कुलपतियों के साथ कुलाधिपति/ राज्यपाल ने बैठक की। बैठक के दौरान राज्यपाल ने “वन यूनिवर्सिटी, वन रिसर्च” के अंतर्गत किए जा रहे शोध कार्यों सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयो द्वारा शोध एवं पेटेंट कराए जाने पर बल देते हुए सभी विश्वविद्यालयो को निर्देश दिए कि लगातार शोध कार्यों पर फोकस किया जाए।
विश्वविद्यालयो द्वारा किया जा रहे शोध कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि एक शोध पूर्ण होने से पहले अगले शोध कार्य के लिए तैयारी कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुसंधात्मक शिक्षा पद्धति किसी राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके लिए अधिक से अधिक शोध कार्य कराए जाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा शोध कार्यों के लिए बजट बनाए जाने की आवश्यकता है । उन्होंने विश्वविद्यालयो द्वारा अपनी उपलब्धियां और शोध कार्यों की जानकारी सभी के साथ साझा किए जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इन अनुसंधानो से अधिक से अधिक लाभ उठाया जा सकेगा जो जन कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
राज्यपाल ने प्रदेश में ” चांसलर ट्रॉफी” के रूप में प्रत्येक वर्ष एक अंतविश्वविद्यालयी खेल प्रतियोगिता का आयोजन शुरू किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इससे प्रतियोगी प्रतिस्पर्धाओं के आयोजन से प्रदेश में युवा खेलों के प्रति जागरूक होंगे, उनकी खेलों के प्रति रुचि बढ़ेगी।
राज्यपाल ने कहा कि अभी-अभी प्रदेश में राष्ट्रीय खेल संपन्न हुए हैं इस प्रतियोगिताओ के माध्यम से खेल के लिए तैयार की गई आधारभूत संरचनाओं का अधिकतम उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने ” चांसलर ट्रॉफी” में लोकप्रिय खेलों को शामिल किए जाने की भी निर्देश दिए ।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयो को यूजीसी अधिनियम की धारा 12बी के तहत केंद्रीय सहायता (यूजीसी अनुदान ) के लिए निरंतर प्रयास किए जाएं। उन्होंने विश्वविद्यालयो द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स आधुनिक तकनीक के प्रयोग पर बल दिया। बैठक के दौरान राज्यपाल ने विश्वविद्यालयो की समस्याओं के निवारण पर भी चर्चा की।
इस अवसर पर राज्यपाल ने राज्यभवन में “वातायन: राष्ट्रवादी सिख की जीवन यात्रा” नामक पुस्तक के द्वितीय खंड का विमोचन किया। यह पुस्तक राज्यपाल की जीवन यात्रा पर आधारित है एवं पूर्व में इस पुस्तक के प्रथम भाग का विमोचन किया गया था। इस अवसर पर राज्यपाल ने पुस्तक के लेखकों को बधाई देते हुए कहा कि साहित्य सृजन एवं साधना के समान होता है, जिसमें धैर्य और अनुशासन की आवश्यकता होती है। उन्होंने आशा व्यक्त की की यह पुस्तक पाठकों को भारतीय संस्कृति सेवा के मूल्य एवं राष्ट्रीय सेवा की भावना को आत्मसात करने के लिए प्रेरित करेगी ।