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अच्छी खबर: उत्तराखंड में यूसीसी को लेकर इंतजार हुआ खत्म, इस दिन लागू होगा यूसीसी, सीएम धामी करेंगे पोर्टल की लॉन्चिंग

 

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यूसीसी 27 जनवरी को लागू होने जा रहा है। सीएम के सचिव शैलेश बागौली ने सभी विभागों को पत्र भेजा है। वहीं इसी दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यूसीसी के पोर्टल की लॉन्चिंग भी करेंगे। 27 जनवरी से ही नए कानून की अधिसूचना जारी हो जाएगी। इसके साथ ही उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।

यूसीसी आने के बाद इस तरह से होंगे बदलाव

26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपति के लिए तलाक शादी का पंजीकरण करना अनिवार्य होगा

ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा

सभी धर्म समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून

पंजीकरण न करने पर अधिकतम ₹25000 तक का जुर्माना

पंजीकरण नहीं करवाने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से रहेंगे वंचित

विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 व लड़की की 18 वर्ष होगी

हलाला और इदॄत जैसे प्रथा खत्म होगी

महिला का दोबारा विवाह करने के लिए किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी

महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती है

कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने वह गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा

पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।

एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा

संपत्ति में बेटा और बेटी का बराबर का अधिकार होगा

जायस और नजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा

नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना जाएगा

गोद लिए, सरोगेसी से असिस्टेंड री प्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे भी जैविक संतान होंगे

किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे की संपत्ति में अधिकतर संरक्षित रहेंगे

कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है

लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा

युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर , हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे

लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जाए संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे

लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण करना अनिवार्य होगा

अनिवार्य पंजीकरण न करने पर 6 माह के करवावास के साथ 25000 तक का जुर्माना दोनों का प्रावधान होगा।

 

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