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उत्तराखंड में भू कानून से बदलेगी उत्तराखंड की तस्वीर, धामी सरकार जुटी वृहद तैयारियों में

 

उत्तराखंड में धामी सरकार जल्द ही सख्त भू कानून लागू करने जा रही है। उत्तराखंड राज्य की स्थापना के साथ ही राज्य में जमीनों की खरीद फरोक्त चर्चाओं में रही। राज्य की एंडी तिवारी सरकार ने इस दिशा में पाबंदियों की शुरुआत की थी जो की खडुरी सरकार में बढ़ाई गई थी। हालांकि औद्योगीकरण के कारण राज्य की सरकारों ने इस दिशा में अधिक शख्ति नहीं दिखाई। सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश से अलग होकर राज्य बनने के बाद भी उत्तराखंड में यूपी का ही भू कानून चल आ रहा था जिसके तहत उत्तराखंड में जमीन खरीद को लेकर कोई पाबंदी नहीं थीव वर्ष 2003 में एनडी तिवारी की सरकार ने उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था सुधार अधिनियम 1950 (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश 2001) अधिनियम की धारा 154 में संशोधन कर बाहरी व्यक्ति के लिए आवासीय उपयोग के लिए 500 वर्ग मीटर भूमि खरीदने को ही अनुमति देने का प्रतिबंध लगाया था। साथ ही कृषि भूमि की खरीद पर सशक्त सशर्त प्रतिबंध लगा दिया गया था। 12.5 एकड़ तक कृषि भूमि खरीदने की अनुमति लेना अनिवार्य किया गया था । तिवारी सरकार ने यह प्रतिबंध भी लगाया था कि जिस परियोजना के लिए भूमि ली गई है उसे 2 साल में पूरा करना होगा । बाद में परियोजना समय में पूरी न होने के कारण बताने पर विस्तार दिया गया।

तिवारी सरकार में औद्योगिक पैकेज मिलने के चलते तेजी से जमीन की खरीद फरोक्त हुई। नए उद्योग स्थापित हुए लेकिन धीरे-धीरे इसमें से काफी जमीनों का इस्तेमाल उद्योग के बजाय आवासीय उपयोग के लिए होने लगा। अनियोजित विकास को बढ़ावा मिलने लगा। इसके विरोध में प्रदेश भर में आवाज उठने लगी, नतीजा दूसरी निर्वाचित जनरल बीसी खंडूरी की सरकार ने वर्ष 2007 में भू कानून में संशोधन कर उसे कुछ और सख्त बना दिया। खंडूडी सरकार ने आवासीय मकसद से 500 वर्ग मीटर भूमि खरीद के अनुमति को घटकर 250 वर्ग मीटर कर दिया। वह कानून को लेकर पिछले तिवारी सरकार के अन्य प्रावधान लागू है। इसके बाद 2017-18 में त्रिवेंद्र सरकार ने कानून में संशोधन कर उद्योग स्थापित करने के लिए उद्देश्य से पहाड़ में जमीन खरीदने की अधिकतम सीमा और किसान होने के बाध्यता खत्म कर दिया। साथ ही कृषि भूमि का भू उपयोग बदलना आसान कर दिया। पहले पर्वतीय फिर मैदानी क्षेत्र में भी इसे शामिल किया गया ।

धामी सरकार ने बनाई थी समिति 2022 में

भू कानून की मांग तेज होते देख वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार के अध्यक्षता में एक समिति गठित की। जिसमें 5 सितंबर 2022 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी गई। समिति ने सशक्त भू कानून को लेकर 23 संस्तुतियों दी थी। सरकार ने समिति की रिपोर्ट और संस्तुतियों के अध्ययन के लिए उच्च स्तरीय प्रवर समिति का संगठन भी किया था। ना
धामी सरकार ने कृषि और उधानिकी के लिए भूमि खरीद की अनुमति देने से पहले खरीदार और विक्रेता का सत्यापन करने के निर्देश भी दिए हुए हैं।

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