उत्तराखंड के प्रसिद्ध और देश के जाने-माने आयुर्वेदिक जड़ी बूटी विशेषज्ञ डॉक्टर मायाराम उनियाल को केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा प्रतिष्ठित धनवंतरी पुरस्कार प्रदान किया गया। देशभर में सिर्फ तीन विशेषज्ञो को यह पुरस्कार मिला है।
दूसरी तरफ आयुष मंत्रालय के बेहद महत्वपूर्ण प्रकृति प्रशिक्षण अभियान के पहले चरण में उत्तराखंड के प्रयासों की सराहना की गई। पूरे देश में डेढ़ लाख लोगों का प्रकृति परीक्षण किया गया है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आयुष मंत्रालय के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। देश के प्रसिद्ध प्रशिक्षण अभियान को पहले चरण में मिली सफलता उत्साहित करने वाली है। इससे लोगों का जीवन निरोगी और स्वस्थ होगा। मैं इस अभियान से जुड़े समस्त लोगों को और पुरस्कृत होने वाले विशेषज्ञो को हार्दिक बधाई देता हूं। केंद्रीय आयुष मंत्रालय की ओर से 20 फरवरी को मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में डॉक्टर मायाराम उनियाल को यह पुरस्कार दिया गया। केंद्रीय आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रताप राव जाधव ने डॉक्टर उनियाल के साथ ही आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉक्टर ताराचंद्र व डॉक्टर जगदंगनि को धनवंतरी पुरस्कार प्रदान किया।
इस पुरस्कार के अंतर्गत विशेषज्ञों को पांच-पांच लाख रुपए की धनराशि भी प्रदान की गई है।
डॉ उनियाल को इससे पहले आयुष मंत्रालय की ओर से प्रतिष्ठित लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी दिया जा चुका है। उन्होंने आयुर्वेद जड़ी बूटी के क्षेत्र में कई शोध किए हैं। डॉ उनियाल का कहना है कि जब से प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नरेंद्र मोदी आसीन हुए हैं तबसे आयुष क्षेत्र में गति पकड़ी है। उन्होंने कहा कि आयुष के क्षेत्र में उत्तराखंड तमाम संभावनाओं से भरा हुआ है
दूसरी तरफ केंद्रीय आयुष मंत्रालय के प्रकृति प्रशिक्षण अभियान का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। इस अभियान के तहत उत्तरकाशी के माहीडाडा क्षेत्र सीमांत इलाके में स्थित आईटीबीटी की पोस्ट तक आयुष टीम पहुंची और जवानों का प्रकृति परीक्षण किया। राज्य समन्वयक डॉक्टर जेएन नौटियाल के अनुसार विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद डेढ़ लाख लोगों का उत्तराखंड में प्रकृति परीक्षण किया गया है। इसके सराहना हुई है। उत्तराखंड समेत सभी राज्यों के समन्वयकों को मंत्रालय के स्तर पर सम्मानित किया गया है। प्रकृति परीक्षण अभियान में पूरे देश में एक करोड़ लोगों के प्रकृति परीक्षण का लक्ष्य रखा गया है। लक्ष्य से ज्यादा एक करोड़ 29 लाख लोगों का प्रकृति परीक्षण किया गया है। इस अभियान में केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने एक पोर्टल लॉन्च किया है जिसमें रजिस्ट्रेशन करने के बाद संबंधित व्यक्ति से बातचीत के आधार पर उसकी प्रकृति का निर्धारण किया जा रहा है। बात, कफ व पित्त की स्थिति का आंकलन करके संबंधित व्यक्ति की प्रकृति उसे बताई जा रही है । इसके साथ ही आयुर्वेद चिकित्सा संबंधी व्यक्ति को उसकी प्रकृति के अनुसार आहार बिहार का परामर्श दे रहे हैं। प्रकृति प्रशिक्षण अभियान के सचिव डॉ आशुतोष गुप्ता ने कहा कि देश के प्रकृति प्रशिक्षण अभियान में लक्ष्य से ज्यादा लोगों का परीक्षण किया गया है और कई कीर्तिमान बने हैं। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड राज्य में इस अभियान को सफल बनाने के लिए अच्छे प्रयास किया जा रहे हैं। इस अभियान का दूसरा चरण गतिमान है लोगों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए यह अभियान उपयोगी साबित होगा।