महिला केंद्रित कानूनों के संतुलित दृष्टिकोण से होगा महिला उत्थान- अनुराधा जोशी
उत्तरांचल विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद ऑडिटोरियम में महिलाओं पर केंद्रित कानूनों एवं नीतियों पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय की संचालक समिति की उपाध्यक्षा श्रीमति अनुराधा जोशी इस अवसर पर मुख्य अतिथि व यौन उत्पीड़न मामलों की विशेषज्ञ दिल्ली उच्च न्यायालय की अधिवक्ता एन० विद्या बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थी। विश्वविद्यालय की महिलामहिला सेल आंतरिक शिकायत प्रकोष्ट द्वारा इस सेमिनार में विभिन्न विभागों के
पांच सौ से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। सेमिनार के प्रथम चरण में पूर्व निर्धारित वक्ताओं द्वारा महिलाओं पर क केंद्रीय कानूनों एवं नीतियों को विस्तार से प्रस्तुत किया गया और प्रतिभागियों के प्रश्नों को भी आमंत्रित किया गया। इस अवसर पर भारत में महिलाओं की स्थिति पर उत्तरांचलआयुर्वेदिक मेडिकल एवं रिसर्च के छात्रों द्वारा दी गई
नृत्य नाटिका की मार्मिक प्रस्तुति विशेष आकर्षण का केंद्र रही।
एन० विद्या द्वारा महिलाओं के यौन उत्पीड़न संबंधी न्यायपालिका के दृष्टिकोण से अपना वक्तव्य
एवं न्यायिक व्याख्या को समझाया। उन्होंने कहा कि कार्य स्थलों पर होने वाले यौन उत्पीड़न सबंधी
मामलों की रोकथाम व निवारण में आंतरिक शिकायत प्रकोष्ट व महिला प्रकोष्टों की केंद्रीय भूमिका
होती है। उन्होंने यौन उत्पीड़न जैसे सवेदनशील मामलों के न्याय सगत निवारण के गुर भी सिखाए
एवं प्रश्नों के उत्तर भी दिए।
अपन संबोधन में श्रीमती अनुराधा जोशी ने कहा कि महिलाओं पर केंद्रित कानूनों उनके शब्दों एवं
भावनाओं सग ही कार्यान्वित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में महिलाओ
द्वारा उनकी सरक्षा को बने कानूनों के दुरुपयोग के बढ़ते मामलों ने इन कानूनों की युक्तियुक्ता पर
भी प्रश्न खडे़ किए हैं। आज के परिपेक्ष में आवश्यकता है एक संतुलित दृष्टिकोण की जहां कानूनों
के उपयोग व दुरुपयोग दोनों को ध्यान में रखा जाए।
इस अवसर पर मुख्य रूप स े विश्वविद्यालय की उपाध्यक्षा सुश्री अंकिता जोशी, प्रतिकुलपति प्रो०
राजेश बहुगुणा, महिला प्रकोष्ट की अध्यक्षा प्रो० पूनम रावत, सचिव, डा० लक्ष्मी प्रिया विंजामुरी, प्रो०
अमित भट्ट, डा० रवि जोशी आदि उपस्थित थे।
प्रो० राजेश बहुगुणा
उपकुलपति
उत्तरांचल विश्वविद्यालय