Saturday, December 7, 2024
Google search engine
Homeउत्तराखंडश्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में ह्दय रोगियों का बी.एम.वी. तकनीक से सफल...

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में ह्दय रोगियों का बी.एम.वी. तकनीक से सफल उपचार, रूमेटिक हार्ट डिजीज से पीड़ित थे दोनों मरीज़


श्री महंत इंदिरेश अस्पताल देहरादून के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने रुमेटिक हार्ट डिजीज से पीड़ित 26 वर्षीय गर्भवती महिला और 16 वर्षीय युवती के सिकुड़े वाल्व का बैलून माइट्रल वाल्वो-टामी (बी.एम.वी) तकनीक से सफलतापूर्वक उपचार किया है। बैलून माइट्रल वाल्वो-टामी (बी.एम.वी) तकनीक हार्ट रोगियों के उपचार की एक एडवांस तकनीक है।
रुमेटिक हार्ट डिजीज से पीड़ित गर्भवती महिला प्रियंका (26 वर्ष) का 2017 में ओपन हार्ट के द्वारा वॉल्व रिपेयर किया गया था। कुछ सालों के बाद यह वाल्व दोबारा सिकुड़ गया। बहुत से अस्पतालों ने पीड़ित महिला को दोबारा इलाज के लिये बड़े शहरों के अस्पताल में ले जाने की सलाह दी। तब गर्भवती महिला ने श्री महंत इंदिरेश अस्पताल देहरादून में कार्डियोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अभिषेक मित्तल को बीमारी के बारे में बताया। डॉ अभिषेक मित्तल द्वारा उनकी रिपोर्ट को सीनियर प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष डॉ साहिल महाजन के साथ मिलकर अध्ययन किया । मरीज का इलाज बैलून माइट्रल वाल्वो-टामी (बी.एम.वी) तकनीक से करने का फैसला किया।
प्रोफेसर डॉ साहिल महाजन, डॉ अभिषेक मित्तल व उनकी टीम द्वारा बैलून माइट्रल वाल्वो-टामी (बी.एम.वी) तकनीक द्वारा सफलता पूर्वक इलाज किया गया। प्रोफेसर एवम् विभागाध्यक्ष डॉ साहिल महाजन ने जानकारी दी कि गर्भवती महिला का केस अपने आप में बहुत ही दुर्लभ व जटिल केस था। क्योंकि मरीज़ की वर्ष 2017 में पहले भी बैलून माइट्रल वाल्वो-टामी (बी.एम.वी) तकनीक द्वारा इलाज की कोशिश हुई थी, परन्तु वॉल्व क्षतिग्रस्त होने के कारण उस समय प्रयास असफल रहा था। उस समय महिला का आपात स्थिति में ओपन हार्ट सर्जरी के द्वारा वॉल्व रिपेयर किया गया था जो कि कुछ सालों बाद दुबारा सिकुड़ गया था। इस दुर्लभ व जटिल केस को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की काॅर्डियोलाॅजी टीम द्वारा सफलतापूर्वक किया गया है ।
वहीं दूसरे केस में 16 वर्षीय युवती रानी कुमारी श्री महंत इंदिरेश अस्पताल देहरादून के कार्डियोलॉजी विभाग में डॉ अभिषेक मित्तल के पास अपनी रिपोर्ट लेकर पहुंची थी तथा बताया कि उनको बड़े अस्पतालों में दिखाने को बोला है। जांच करने के बाद पाया गया कि युवती रुमेटिक हार्ट डिजीज से पीड़ित है तथा युवती का माइट्रल वाल्व सिकुड़ा है जिसका इलाज बैलून माइट्रल वाल्वो-टामी (बी.एम.वी) तकनीक से संभव है।
प्रोफेसर वा विभागाध्यक्ष डॉ साहिल महाजन वा डॉ अभिषेक मित्तल द्वारा युवती का इलाज भी सफलतापूर्वक किया गया। इस तकनीक में कैथेटर के माध्यम से वाल्व को चैड़ा करने के लिए बैलून पहुंचाया जाता है। इसे बाद में फुलाने से वाल्व की सिकुडन दूर होती है।
डॉक्टरों के अनुसार सामान्यतया माइट्रल वाल्व 4 से 6 सेमी वर्ग (बउ2) का होता है। दोनों मरीजों का माइट्रल वाल्व सिकुड़ कर 0.8 सेमी वर्ग (बउ2) रह गया था। इससे दोनों मरीजों के हार्ट पर दबाव बढ़ गया था। इससे हार्ट का दायां भाग फैल गया था। प्रोफेसर वा विभागाध्यक्ष डॉ. साहिल महाजन के अनुसार पहले इस उपचार के लिए ऑपरेशन कर वाल्व बदलना पड़ता था, परन्तु अब बिना किसी चीर-फाड़ के बैलून माइट्रल वाल्वो-टामी (बी.एम.वी) तकनीक द्वारा भी संभव है।
बैलून माइट्रल वाल्वो-टामी (बी.एम.वी)एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्रतिबंधित हृदय वाल्व का आकार बढ़ाया जाता है और रक्त प्रवाह में सुधार किया जाता है। हृदय वाल्व यह नियंत्रित करते हैं कि रक्त हृदय से कैसे गुजरता है। यदि हृदय वाल्वों में से एक सख्त या संकीर्ण हो जाता है, तो आपका हृदय रक्त को ठीक से पंप नहीं कर सकता है। आपका सर्जन आपके जांघ के धमनी के रास्ते एक छोटे, खोखले पाइप का उपयोग से हृदय वाल्व में एक छोटा गुब्बारा डाला जाता है। जब गुब्बारा फुलाया जाता है, तो यह आपके हृदय वाल्व को फैलाता है। जिससे वहां रक्त प्रवाह हेतु जगह बढ़ जाता है।
कृत्रिम वाल्व का जीवन 10-15 साल होता है जिसके बाद दुबारा ओपन हार्ट सर्जरी द्वारा कृत्रिम वाल्व बदला जाता है इसलिए कम उम्र में बिना ओपन हार्ट सर्जरी के बैलून मिट्रल वाल्वो-टामी (बी.एम.वी) पद्धति द्वारा इलाज सबसे सरल उपाय है।
ओपन-हार्ट सर्जरी की तुलना में, बैलून मिट्रल वाल्वो-टामी (बी.एम.वी) पद्धति हृदय चिकित्सा के लाभों में ये शामिल हो सकते हैं
ऽ तेजी से उपचार.
ऽ मामूली निशान.
ऽ कठिनाइयों की संभावना कम.
ऽ दर्द कम हो गया.

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement

spot_img

MDDA

spot_img

Latest News

STAY CONNECTED

123FansLike
234FollowersFollow
0SubscribersSubscribe