Sunday, December 8, 2024
Google search engine
Homeउत्तराखंडराज्यसभा सांसद श्री महेंद्र भट्ट ने हिमालयी राज्यों की अग्नि घटनाओं में...

राज्यसभा सांसद श्री महेंद्र भट्ट ने हिमालयी राज्यों की अग्नि घटनाओं में मुआवजे को परिभाषित करने का मुद्दा सदन में जोर शोर से उठाया।

देहरादून 8 अगस्त। राज्यसभा सांसद एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट ने हिमालयी राज्यों की अग्नि घटनाओं में मुआवजे को परिभाषित करने का मुद्दा सदन में जोर शोर से उठाया। इस दौरान सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए उन्होंने इन घटनाओं को प्राकृतिक आपदा की सूची में शामिल करने का आग्रह भी किया । साथ ही राज्य आपदा मानक निधि के मानकों में अग्नि की घटनाओं को सही तरीके से परिभाषित करने की मांग की।

उच्च सदन में बोलते हुए उन्होंने कहा, विगत कुछ वर्षों में उत्तराखंड में अग्नि की घटनाओं में बहुत वृद्धि हुई है और अक्सर इसके कारण में मानव जनित घटना बताया जाता है । जो किसी भी तरह से उचित नहीं है । उन्होंने स्पष्ट किया कि जो राज्य वृक्षारोपण में शीर्ष राज्य हो वहां ऐसा होना अधिकांशतः संभव नहीं है । जनवायु परिवर्तन के अतिरिक्त पर्वतीय क्षेत्रों में अनेकों कारण है उसके चलते आग की घटनाएं वहां लगातार बढ़ रही है। एक बड़ा कारण चीड़ के पेड़ से गिरने वाला पीरूल भी है, जिसपर सरकार 50 रुपए किलो पिरूल खरीद कर कारण को कमतर करने का प्रयास कर रही है, जिसपर केंद्र से भी सहयोग की अपेक्षा है। उन्होंने राज्य में हुई अग्नि घटना के आंकड़ों को प्रस्तुत करते हुए कहा, सर्वाधिक वन क्षेत्र होने के बावजूद उत्तराखंड में वनग्नि को दैवीय आपदा में शामिल नहीं किया गया है। अपने प्रस्ताव में उन्होंने सरकार का ध्यान हिमालय राज्यों में बड़े पैमाने पर होने वाली अग्नि की घटनाओं की तरफ आकृष्ट करते इन क्षेत्रों के लिए इसे प्राकृतिक आपदा में शामिल करने का आग्रह किया साथ ही बताया कि राज्य आपदा मोचन निधि के मानकों में अग्नि से घटने वाली घटनाओं को परिभाषित नहीं किया गया है । जिसके कारण प्रभावितों को राहत सहायता अनुमन्य किए जाने में बेहद कठिनाइयां होती है। विशेषकर ग्रीष्म काल में हिमालयी राज्यों में वन अग्नि की घटनाएं बहुत बढ़ जाती है । हजारों परिवार अग्नि की इन घटनाओं से बुरी तरह प्रभावित हो जाते हैं । इन अग्नि की घटनाओं में जन धन हानि के अतिरिक्त बड़ी संख्या में पालतू पशुओं की मृत्यु हो जाती है और अनेकों फलदार वृक्ष भी नष्ट हो जाते है। लेकिन तकनीकी दिक्कत के कारण इन पीड़ित परिवारों को नुकसान का उचित मुआवजा नहीं मिल पाता है।

अपने संबोधन में उन्होंने अग्नि प्रभावितों की समस्या की वजह अग्नि की घटनाओं को प्राकृतिक आपदा में सम्मिलित नहीं किया जाना बताया। क्योंकि भारत सरकार द्वारा अग्नि को राज्य आपदा मोचन निधि के मानकों में तो अनुसूचित किया है, किंतु मानकों में अग्नि से घटने वाली घटनाओं को परिभाषित नहीं किया गया है। यही वजह है कि राहत सहायता अनुमन्य किए जाने में अनेकों कठिनाई आ रही है।

भट्ट ने हिमालय राज्यों के वन क्षेत्र से लगे गांवो में निवासरत लोगों की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अग्नि से घटित घटनाओं को प्राकृतिक आपदा मानने का अनुरोध किया । साथ ही राहत सहायता अनुमन्य किए जाने हेतु मानक भी निर्धारित किए जाने की मांग की। सदन के बाहर बातचीत में उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण साल दर साल जंगल में आग की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं । जिसमे तमाम प्रयासों के बाद भी अनेकों घटनाओं में बड़ा भारी नुकसान उठाना पड़ता है। मैदानी क्षेत्रों में ही नहीं हाल में पर्वतीय क्षेत्रों, जैसे अल्मोड़ा के बिनसर अभ्यारण, चमोली, पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती क्षेत्र मोरी समेत अनेकों दूरस्त क्षेत्रों में भी वनग्नि की घटनाओं ने कोहराम मचाया रहता है । उन्होंने विश्वास जताया कि केंद्र सरकार शीघ्र ही पहाड़ों की इस समस्या को प्राथमिकता से लेते हुए उचित कदम उठाएगी ।

मनवीर सिंह चौहान
प्रदेश मीडिया प्रभारी
भाजपा, उत्तराखंड

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement

spot_img

MDDA

spot_img

Latest News

STAY CONNECTED

123FansLike
234FollowersFollow
0SubscribersSubscribe