पन्तनगर, प्रदेश में स्थित गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के निकट स्थित पन्तनगर एयरपोर्ट के विस्तार हेतु विश्वविद्यालय की कृषि शोध भूमि सहित विभिन्न शोध केन्द्र व आवासीय परिसर सहिए एन एच का हाईवे जद में आ रहा है। प्रदेश सरकार के निर्देश पर स्थानीय प्रशासन द्वारा लगातार भूमि रिक्त करा नागरिक उड्डयन विभाग को उपलब्ध कराने हेतु बल दिया जा रहा है। उक्त के संबन्ध में समाजसेवी पवन दूबे ने हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इसके संबन्ध में एक पत्र सौंप उनसे मांग की है कि पूर्व में जो गलती तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व० नारायण दत्त तिवारी द्वारा की गयी उसकी पुनरावृत्ति न की जाये। बताया कि तब पन्तनगर की कुछ भूमि एयरपोर्ट विस्तार हेतु दे दी गयी थी, उस भूमि पर आज लगभग बीस वर्ष बाद भी सिर्फ जंगल है और जंगली जानवरों तेन्दुआ आदि का बसेरा बना हुआ है किन्तु एयरपोर्ट नहीं बन सका बल्कि कृषि उपज व शोध कार्यों की क्षति हुई है इतने वर्षों तक। पवन ने पत्र में लिखा कि पन्तनगर एयरपोर्ट हेतु भूमि रिक्त कराने के लिए भवनों के ध्वस्तिकरण की कार्यवाही को तब तक अमलीजामा न पहनाया जाए जब तक एयरपोर्ट अथाॅरिटी ऑफ इण्डिया द्वारा पहले उक्त भूमि का सर्वे करा यह सुनिश्चित कराया जाए कि जो भूमि रिक्त करा उपलब्ध करानी है वह उनके मानक के अनुरूप है या नहीं तदुपरांत ही भूमि रिक्त करायी जाए अन्यथा की स्थिति में भूमि पुन: विश्वविद्यालय को वापस दे दी जाए एवं पूर्व में आवंटित 1072 एकड़ भूमि में ही एयरपोर्ट के लिए संभावनाएं तलाशी जाएं।
पवन ने बताया कि पत्र में मुख्यमंत्री धामी से उन्होंने पहले लोगों को विस्थापित करने के उपरांत ही परिसर रिक्त कराये जाने की कार्यवाही की मांग की है।