देहरादून 12 अप्रैल। उत्तरांचल विश्वविद्यालय के लाॅ काॅलेज देहरादून में भारत सरकार के न्याय विभाग द्वारा स्थापित प्रो बोनो क्लब व काॅलेज के विधिक सहायता केन्द्र द्वारा भावी न्यायमित्रों के लाभार्थ प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री प्रदिप मणी त्रिपाठी इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं पंजाब विश्वविद्यालय की अध्यक्ष एवं डीन (लाॅ) प्रो० वंदना अरोड़ा बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित थी। प्रशिक्षण शिविर में प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 300 से अधिक विधि के छात्र-छात्राओं ने भागीदारी की। प्रशिक्षण का विषय विधिक सहायता एवं कारागार सुधार था।
उत्तराखण्ड राज्य सेवा प्राधिकरण के सदस्य व लाॅ काॅलेज देहरादून के डीन प्रो० राजेश बहुगुणा ने कहा कि प्रो बोनो क्लब व विधिक सहायता केन्द्रों की स्थापना भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय का एक भविष्यदृष्टि कदम है। इन केन्द्रों से प्रोत्साहित एवं प्रशिक्षित विधि के छात्र व्यवहारिक जीवन में एक असरदार न्याय मित्र साबित हो रहे हैं।
श्री प्रदीप मणी त्रिपाठी ने अपने संबोधन मे कहा कि विधिक सहायता जेलों में अपने न्याय की बाट जोह रहे कैदियों का न केवल मूल अधिकार है अपितु सर्वाधिक आवश्यकता भी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की 12 जिलों में लगभग 5525 से अधिक कैदी हैं। निष्पक्ष सुनवाई के लिए विधिक सहायता जरूरी है। उन्होंने जिला राज्य एवं राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा विधिक सहायता एवं जागरूकता हेतु संचालित विभिन्न योजना को बताया। विधि के छात्रों को भावी न्यायमित्र बताते हुए उन्होंने कहा कि एक अधिवक्ता द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रो बोनो सेवाएं किसी महादान से कम नहीं है। उत्तराखण्ड राज्य एक ग्राम, एक पैरा लिगल स्वयं सेवक के लक्ष्य के साथ न्यायमित्र हेल्पलाईन प्रारंभ करने की ओर अग्रसर है। लाॅ काॅलेज देहरादून द्वारा संचालित प्रो बोनो क्लब एवं विधिक सहायता केन्द्र के प्रयासों को उन्होंने अतुलनीय उदाहरण बताया।
प्रो० वंदना अरोड़ा ने अपना वक्तव्य मानवीय एवं पुनर्वास न्याय प्रणाली की अवधारणा पर केन्द्रित रखा। उन्होंने कैद की पुर्नकल्पना, जेल सुधार एवं जेल मैनुअल जैसे विषयों पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रस्तुत कर प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन किया।
शिविर आयोजन में काॅलेज की प्राचार्य प्रो० पूनम रावत, विभागाध्यक्ष डा० राधे श्याम झा एवं विधिक सहायता केन्द्र के अध्यक्ष डा० अभिरंजन दीक्षित का विशेष योगदान रहा।