31 जुलाई को केदार घाटी में आई आपदा से पैदल मार्ग कई जगह क्षतिग्रस्त हो जाने से कई यात्री केदार घाटी में फंस चुके थे। इसके साथ ही सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच भी मार्ग कई जगह क्षतिग्रस्त हो गया था जिसके कारण भी यात्री फंसे थे। 5 दिन से लगातार वायु सेवा, उत्तराखंड सरकार, प्रशासन और आर्मी की मदद से यात्रियों को रेस्क्यू करने का अभियान चलाया जा रहा था। लेकिन खराब मौसम के कारण इसमें कई परेशानियां आ रही थी। आज मौसम केदारनाथ घाटी में एक मौसम साफ होने के कारण एमआई 17 और चिनूक से लोगों को एयरलिफ्ट करके रेस्क्यू किया गया। एमआई चार धाम हेलीपैड पर यात्रियों को उतारा जा रहा था जबकि चिनूक गोचर हवाई पट्टी पर यात्रियों को उतारा। वहीं सेना ने मोर्चा संभालते हुए मंदाकिनी नदी पर अस्थाई ट्रॉली स्थापित कर दी है। साथ ही वैकल्पिक पुल का भी निर्माण शुरू कर दिया गया है। गौरीकुंड में घोड़ा पड़ाव के पास लगभग 50 मीटर लंबाई में रास्ता पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। यहां लोनिवी के श्रमिक वैकल्पिक मार्ग स्थापित करने में जुटे हैं । गौरीकुंड से छोड़ी तक मार्ग पर बोल्डर आने से कुछ जगह आशिक और कुछ जगह काफी नुकसान हुआ है। भैरव मंदिर के पास 6 मी मार्ग छत्तीसगढ़ हो गया है । जंगल चट्टी में दो स्थान पर मार्ग पूरी तरह नष्ट हो गया है यहां भी लोनीवी की टीम मार्क को पूरी तरह ठीक करने में लगी है। महादेव फॉल से भीम बाली तक कुछ स्थान पर बोल्डर आने से आंशिक रूप से रास्ता बाधित हुआ है। भीम बाली से रामवाड़ा तक मार्ग चार स्थानों पर, रामवाड़ा से लिनचोली तक पांच स्थानों पर मार्ग पूरी तरह से टूट गया है । केदार घाटी में व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए सेवा के जवानों ने मोर्चा संभाला हुआ है। अतिवृष्टि से प्रभावित विभिन्न स्थानों से के साथ ही केदारनाथ से रविवार को 12 75 यात्री व स्थानीय लोगों का पैदल और हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू किया गया। चार दिन में अब तक कुल 10374 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। रविवार को खराब मौसम के कारण सेवा का मी 17 व चीनू हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सका सोमवार को केदारनाथ में यात्रियों को रेस्क्यू किया गया।