राष्ट्रपति ने उत्तराखंड रजत जयंती पर आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र को किया संबोधित
राष्ट्रपति ने उत्तराखंड सरकार की यूसीसी समेत विभिन्न उपलब्धियों को गिनाया
देहरादून। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड के रजत जयंती पर आयोजित उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रदेश वासियों को बधाई दी और कहा कि आज आत्म समीक्षा का भी दिन है। उन्होंने महिलाओं, युवाओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए विधायकों को जन सेवा के प्रति समर्पित होने का आवाह्न किया।

राष्ट्रपति ने बीते 25 साल में उत्तराखंड में विभिन्न क्षेत्रों में हुए विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को समाज के वंचित वर्गों के कल्याण एवं विकास के कार्य करने चाहिए। उन्होंने अपने संबोधन में यूसीसी समेत अन्य फैसलों का प्रमुखता से उल्लेख किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि विधान सभाएँ हमारी संसदीय प्रणाली का एक प्रमुख स्तंभ हैं। बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने संसदीय प्रणाली को अपनाकर निरंतर जवाबदेही को अधिक महत्व दिया। जनता के प्रति निरंतर जवाबदेही संसदीय प्रणाली की एक ताकत और एक चुनौती दोनों है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विधायक जनता और सरकार के बीच सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से जुड़ने और जमीनी स्तर पर उनकी सेवा करने का अवसर मिलना बहुत सौभाग्य की बात है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि अगर विधायक जनता की समस्याओं के समाधान और उनके कल्याण के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहें, तो जनता और उनके प्रतिनिधियों के बीच विश्वास का बंधन अटूट रहेगा।
राष्ट्रपति ने उत्तराखंड विधानसभा के सदस्यों से विकास और जनकल्याण के कार्यों को पूरी लगन से करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्य दलगत राजनीति से ऊपर उठकर होने चाहिए। उन्होंने समाज के वंचित वर्गों के कल्याण और विकास के लिए विशेष संवेदनशीलता के साथ कार्य करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को विकास के अवसर प्रदान करना भी उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत, हमारे संविधान निर्माताओं ने सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता का प्रावधान किया था। उन्होंने संवैधानिक निर्देशों के अनुरूप समान नागरिक संहिता विधेयक को लागू करने के लिए उत्तराखंड विधान सभा के सदस्यों की सराहना की। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि उत्तराखंड विधान सभा में 550 से अधिक विधेयक पारित हो चुके हैं, जिनमें उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक, उत्तराखंड ज़मींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार विधेयक, और नकल-निरोधक विधेयक शामिल हैं। उन्होंने पारदर्शिता, नैतिकता और सामाजिक न्याय से प्रेरित होकर ऐसे विधेयक पारित करने के लिए विधायकों की सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड अद्वितीय प्राकृतिक संपदा और सौंदर्य से भरपूर है। राज्य को प्रकृति के इन उपहारों को संरक्षित करते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि पिछले 25 वर्षों में, उत्तराखंड के लोगों ने विकास की प्रभावशाली उपलब्धियाँ हासिल की हैं। राज्य ने पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्रों में सराहनीय प्रगति की है। डिजिटल और भौतिक कनेक्टिविटी तथा बुनियादी ढाँचे के विकास में भी प्रगति हुई है। व्यापक विकास प्रयासों के परिणामस्वरूप, उत्तराखंड ने मानव विकास सूचकांक के कई मानकों पर सुधार किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ, उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य राज्य और देश को तीव्र विकास के पथ पर आगे ले जाते रहेंगे।
स्वंय के नौ साल के विधायक कार्यकाल को याद करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने विधायकों को सेवा भाव का मूल मंत्र भी दिया। उन्होंने कहा कि विधायक-गण, जनता और शासन के बीच की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं।
जमीनी स्तर पर क्षेत्र की जनता से जुड़कर उनकी सेवा करने का अवसर मिलना बड़े सौभाग्य की बात है।
अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकती हूं कि यदि विधायक सेवा-भाव से निरंतर जनता की समस्याओं के समाधान तथा उनके कल्याण में सक्रिय रहेंगे तो जनता और जन-प्रतिनिधि के बीच विश्वास का बंधन अटूट बना रहेगा। सामान्य जनता, जन-प्रतिनिधियों की निष्ठा को महत्व देती है।
