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उत्तरांचल विश्वविद्यालय में 9वें लॉ कॉलेज देहरादून मूट कोर्ट कम्पीटिशन का शुभारम्भ


देशभर के 32 विधि विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों की टीमें देहरादून पहुँची

देहरादून 21 फरवरी। उत्तरांचल विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज देहरादून में आज 3 दिवसीय राष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता के 9वें संस्करण का शुभारम्भ किया गया। मणिपुर हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश एवं दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायधीश न्यायमूर्ति श्री सिद्वार्थ मृदुल इस अवसर पर मुख्य अतिथि तथा नैनिताल हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश एवं हाईकोर्ट की लोक अदालत के सदस्य न्यायमूर्ति राजेश टंडन इस अवसर पर बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे। देश के नामचीन विधि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों की 32 टीमें इस प्रतियोगिता में भागीदारी करने को देहरादून पहुँची।
कार्यक्रम का शुभारम्भ न्यायमूर्ति राजेश टण्डन, कुलपति प्रो0 धर्मबुद्धि, उपकुलपति प्रो0 राजेश बहुगुणा, प्राचार्य प्रो0 पूनम रावत एवं विभागाध्यक्ष डा0 राधेश्याम झा द्वारा द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया।
विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो0 राजेश बहुगुणा ने बताया कि संविधान के 75वे वर्ष को मनाते हुए इस वर्ष विश्वविद्यालय में ‘हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान’ थीम से सम्बन्धित श्रंृखलाबद्ध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान विधि पर आयोजित इस राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में देशभर की 76 टीमों ने नामांकन किया था जबकि प्रथम राउण्ड के बाद 32 टीमों को मौखिक राउण्ड के लिए देहरादून आंमत्रित किया गया है।
अपने सम्बोधन में न्यायमूर्ति राजेश टण्डन ने कहा कि जब पूरा देश अपना 75वां संविधान वर्ष मना रहा है तो लॉ कॉलेज देहरादून द्वारा संविधान विधि पर आयोजित मूट कोर्ट प्रतियोगिता सच्चे अर्थों में युक्तियुक्त लगती है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा देश के ‘हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान’ कैम्पेन में अर्थपूर्ण भागीदारी की सराहना की। संविधान बैंच के समुख बहस करने के महत्व को बताते हुए उन्होंने छात्रों को अनेकों गुर दिये। उन्होंने कहा कि मूट कोर्ट में भागीदारी व कोर्ट में इंटर्नशीप विधि शिक्षा का अभिन्न अंग है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 धर्मबुद्वि ने कहा कि यह मूट कोर्ट प्रतियोगिता छात्रों के लिए अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का एक अच्छा अवसर है। इस तरह की प्रतियोगिताओं में छात्रों को विधि के विभिन्न क्षेत्रों में शोध का अवसर मिलता है जो उनके व्यवसायिक जीवन में निश्चित रूप से लाभकारी सिद्ध होगा।
अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि माननीय न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने कहा कि एक अधिवक्ता के लिए अच्छा श्रोता होना जरूरी है जो उसे तर्कशील व प्रबुद्ध बनाता है। आयोजकों का धन्यवाद करते हुए न्यायमूर्ति ने प्रतिभागियों को केस से सम्बन्धित महत्वपूर्ण पहलुओं को अच्छे से समझने की सलाह दी जो मुवक्किल के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना एक ध्रुव तारा के समान है जो न्याय की स्थापना के लिए अनिवार्य है। अधिवक्ताओं को प्रतिदिन विधि से सम्बन्धित एक नई चीज सीखनी चाहिए जो कालान्तर में कोर्ट में बहस के दौरान एक ब्रह्मास्त्र साबित हो सकता है।
कॉलेज की प्राचार्य डा0 पूनम रावत ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से कुमार आशुतोष, डा0 अंजुम परवेज, डा0 वैभव उनियाल, डा0 कुलजीत सिंह, डा0 भावना अरोड़ा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
प्रो0 राजेश बहुगुणा
7983285811

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