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उत्तरांचल विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज देहरादून में संविधान दिवस पर क्रमबद्ध कार्यक्रम

संविधान दिवस को रक्तदान दिवस के रूप में मनाना एक अनुकरणीय उदाहरणः मुन्ना सिंह चौहान
संविधान की प्रस्तावना का पठन-पाठन किसी इबादत से कम कम नहीः जितेन्द्र जोशी

देहरादून 26 नवम्बर। उत्तरांचल विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज देहरादून में आज अद्भुत नजारा देखने को मिला जहाँ सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं रक्तदान करने को लाइनों में खड़े दिखे जबकि 6 बड़े ब्लड बैंक 100 से अधिक तकनीशियनों व डाक्टरों संग रक्त एकत्र कर रहे थे। प्रातः 9 बजे से रक्तदान प्रारम्भ हुआ और दोपहर होने तक ब्लड बैंकों ने हाथ खड़े कर दिये। 5000 से अधिक छात्रों ने रक्तदान हेतू पंजीकरण कराया था। जांच प्रक्रिया से गुजरने के बाद और अपनी क्षमता के अनुसार 1025 छात्रों से रक्तदान स्वीकार किया गया। सर्वाधिक महन्त इन्द्रेश ब्लड बैंक द्वारा 450 यूनिट रक्त एकत्र किया गया।

 

अवसर था 75वें संविधान दिवस सेलिब्रेशन का। प्रदेश के वरिष्ठ राजनीतिज्ञ व विधायक श्री मुन्ना सिंह चौहान इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के अध्यक्ष श्री जितेन्द्र जोशी ने की। कार्यक्रम का शुभारम्भ द्वीप प्रज्जवलित कर व संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक पाठन से किया गया।
विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो0 राजेश बहुगुणा ने बताया कि संविधान दिवस के अवसर पर लॉ कॉलेज द्वारा जहाँ क्रमबद्ध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है वहीं दूसरी ओर स्वैच्छिक रक्तदान पिछले 20 वर्षों से एक संकल्प के रूप में मनाया जाता है। अब तक हजारों की संख्या में रक्तदान कर और पास आउट होने के बाद विभिन्न जिला न्यायालयों में भी ऐसे आयोजन कर यहाँ के छात्र राष्ट्र की उन्नति में अपना योगदान करते रहे है।
अपने सम्बोधन में श्री मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि छात्रों द्वारा संविधान दिवस के अवसर पर अपने रक्त का दान कर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा में प्रत्यक्ष योगदान करते हुए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों का उद्गम व सतत विकास वैदिक काल में प्रारम्भ हो चुका था। हमारा संविधान अभी भी सतत विकास की प्रक्रिया से गुजर रहा है। समाजवाद एवं पंथनिरपेक्ष शब्द तो संशोधन की देन है। संसदीय सम्प्रभुता भी संविधान की मूल संरचना है। उन्होंने छात्रों को सफलता के बजाय क्षमताएँ बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करने की सलाह दी।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 धर्मबुद्धि ने कहा कि भारत की प्रथम संसद में 35 प्रतिशत अधिवक्ता थे जबकि वर्तमान संसद में विधि स्नातकों की घोर कमी है। विधि की शिक्षा लेने के बाद छात्र सामाजिक परिवर्तन में अहम भूमिका निभा सकते है।
अपने सम्बोधन में विश्वविद्यालय की उपाध्यक्षा सुश्री अंकिता जोशी ने कहा कि हमारा संविधान जहाँ एक ओर दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है वहीं दूसरी ओर एक विस्तृत दस्तावेज भी है जो कि विकट से विकट परिस्थितियों में भी हमारा सफल मार्गदर्शन करने में सक्षम है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में श्री जितेन्द्र जोशी ने कहा कि हमारा संविधान देश के चुनिंदा स्वतन्त्रता सेनानियों की बद्धि, क्षमता, अनुभव व दूरदृष्टि का अनूठा उदाहरण है। संविधान की प्रस्तावना को आत्मसात करना व उसका पठन-पाठन करना हर भारतीय के लिए किसी इबादत से कम नही।
कॉलेज की प्राचार्य डा0 पूनम रावत ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया जबकि शिविर संचालन विधिक सहायता केन्द्र, राष्ट्रीय सेवा योजना, एन0सी0सी व उत्तराखण्ड हॉस्पिटल व डायगनोस्टिक सेन्टर द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से विश्वविद्यालय की वाइस चेयरपर्सन श्रीमती अनुराधा जोशी, प्रो0 श्रवण कुमार, प्रो0 महिपाल सिंह, डा0 अभिरंजन दीक्षित, डा0 राधेश्याम झा, डा० अमित भट्ट, अमित चंद्रा, विकेन्द्र कठैत, ज्योति क्षेत्री, सुधीर जोशी, डा0 नितेश सहित बड़ी संख्या में शिक्षक व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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