राज्य में विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत 500 से अधिक माध्यमिक विद्यालयों में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का संचालन कर प्रतिवर्ष हजारों छात्र-छात्राओं को कैम्पस प्लेसमेंट के तहत कराया जा रहा रोजगार उपलब्ध
आज उच्च शिक्षा विभाग द्वारा देहरादून में राष्ट्रीय स्तर के दो दिवसीय चिंतन शिविर शिक्षा संवाद कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे । उन्होंने कहा कि जिस प्रकार राज्य में विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत 500 से अधिक माध्यमिक विद्यालयों में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का संचालन कर प्रतिवर्ष हजारों छात्र-छात्राओं को कैम्पस प्लेसमेंट के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। उसी प्रकार उच्च शिक्षा में भी प्रतिवर्ष 10 हजार छात्र-छात्राओं को विभिन्न कंपनियों के माध्यम से कैम्पस प्लेसमेंट के तहत एक लाख से अधिक के पैकेज के साथ रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा। इसके लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय को अपने कैम्पस व सम्बद्ध शिक्षण संस्थानों में कैम्पस प्लेसमेंट का आयोजन कराना होगा, ताकि विभिन्न विषयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में ही विभिन्न क्षेत्रों में योग्यतानुसार रोजगार प्राप्त हो सके। इसके लिये राजकीय विश्वविद्यालय सहित सम्बद्ध संस्थानों को अपने-अपने कैम्पस में प्लेसमेंट सेल का गठन करना अनिवार्य होगा। उन्होंने राज्य के विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों को राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग एवं नैक ग्रेडिंग के लिये विशेष ध्यान देने की बात कही।
उत्तराखंड के लिए उच्च शिक्षा विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में डॉक्टर धन सिंह रावत ने अपने विचार रखते हुए कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में किया जा रहे हैं नवाचारों, उल्लेखनीय कार्यों व भविष्य की योजनाओं से निश्चित रूप से आने वाले समय में लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि चिंतन शिविर में देशभर में से आए शिक्षाविदों विभिन्न विश्वविद्यालय में कुलपतियों और शोधार्थियों ने इस इस दो दिवसीय संवाद में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार, गुणवत्ता सुधार, कौशल आधारित शिक्षा और भविष्य की रणनीति पर अपने विचार साझा किया।
मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के राजकीय विश्वविद्यालय को प्रत्येक वर्ष 10 हजार छात्रों का कैम्पस प्लेसमेंट का लक्ष्य दिया गया है। इसके तहत विश्वविद्यालय अपने परिसर एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का अंतिम वर्ष में कैम्पस इंटरव्यू करा कर उन्हें प्रतिमाह न्यूनतम एक लाख का पैकेज दिलवायेंगे। ताकि राज्य में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे 10 हजार छात्रों को प्लेसमेंट के माध्यम से लखपति बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि इस संवाद का उद्देश्य नई शिक्षा नीति के अनुरूप गुणवत्ता पूर्ण रोजगार परक और अनुसंधान आधारित उच्च शिक्षा व्यवस्था का निर्माण है , ताकि उत्तराखंड न केवल शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणीय बने बल्कि विकसित भारत के निर्माण में भी अपनी सशक्त भूमिका निभाएं। इस चिंतन शिविर में प्राप्त सुझाव निश्चित ही भविष्य की नीतियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगेचिंतन शिविर के प्रथम दिन पांच सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें प्रथम सत्र में गुणवत्तायुक्त उच्च शिक्षाः नवीन आयाम विषय के अंतर्गत एनईपी-2020 और कौशल आधारित शिक्षा, शिक्षण पद्धति और छात्रों की अपेक्षाएं, आधारभूत संरचनात्मक और डिजिटल गैप तथा शिक्षकों की गुणवत्ता अभिवृद्धि पर शिक्षाविदों एवं विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। इसी प्रकार द्वितीय सत्र ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था पर केन्द्रित रहा। जिसमें अनुसंधान और नवाचार, परिणाम और पेटेंट तथा गुणवत्तापूर्ण शोध प्रकाशन जैसे बिन्दुओं पर चर्चा हुई। तृतीय सत्र में उच्च शिक्षा में उद्यमिता एवं रोजगार अवसरः भविष्य की दिशा विषय के तहत उच्च शिक्षा संस्थानों में उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र, छात्रों में कौशल अंतराल (स्किल गैप) व प्लेसमेंट की चुनौतियां जैसे अहम बिन्दुओं पर चर्चा हुई। चतुर्थ सत्र में इंडस्ट्री-एकेडेमिया लिंकेजः अंतराल न्यून करने के लिए प्रभावी कदम विषय के अंतर्गत उद्योग एवं बाजार आधारित पाठ्यक्रम निर्माण, इंटर्नशिप एवं अप्रेंटिसशिप व उच्च शिक्षण संस्थानों में उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना के बारे में चर्चा की गई। जबकि पांचवें सत्र में नशा मुक्त उत्तराखंड विषय पर परिचर्चा हुई। जिसमें विषय विशेषज्ञों ने अपने-अपने विचार व्यक्त कर सुझाव साझा किए। इसके अलावा चिंतन शिविर में इकफाई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राम करण सिंह ने उच्च शिक्षा के विकास में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की भूमिका तथा अमृता विश्व विद्यापीठम, हरिद्वार की प्राचार्या डॉ. बी. राजथिलगम ने उत्कृष्टता संवर्धनः गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मूल मूल्य पर अपना प्रस्तुतिकरण दिया।
चिंतन शिविर में मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन, उपाध्यक्ष उच्च शिक्षा उन्नयन समिति डॉ. देवेन्द्र भसीन, डॉ. जयपाल सिंह चौहान, सचिव उच्च शिक्षा डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, आयुक्त एवं परियोजना निदेशक रूसा झारखण्ड डॉ. संतोष कुमार देवांगन, अपर सचिव मनुज गोयल, कुलपति हेमवती नंदन बहुगुणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रो. प्रकाश सिंह, कुलपति गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय प्रो. मनमोहन सिंह चौहान, निदेशक आईआईएम सिरमौर प्रो. प्रफुल्ल अग्निहोत्री, कुलपति दून विश्वविद्यालय प्रो. सुरेखा डंगवाल, कुलपति श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय प्रो. एन.के. जोशी, कुलपति सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय प्रो. एस.एस. बिष्ट, कुलपति उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी, निदेशक उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड प्रो. वी.एन. खाली सहित देशभर के दर्जनों प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों/संस्थानों के कुलपति, निदेशक एवं प्राचार्य उपस्थित थे।