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उत्तराखंड को सहकारिता का सिरमौर बनाने की डॉ. धन सिंह रावत की दूरदर्शी सोच

देहरादून, 5 जुलाई 2025!
उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, अब सहकारिता के क्षेत्र में एक नया इतिहास लिखने की ओर अग्रसर है। इस क्रांतिकारी परिवर्तन के केंद्र में हैं सहकारिता, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, जिनकी दूरदर्शी सोच और अथक प्रयासों ने उत्तराखंड को सहकारिता में देश का मॉडल स्टेट बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है। 8 और 9 जुलाई 2025 को देहरादून में आयोजित होने वाला दो दिवसीय विचार मंथन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें सहकारी संस्थाओं को सशक्त बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की रणनीतियाँ तैयार की जाएँगी। यह लेख डॉ. रावत के नेतृत्व, उनकी सहकारी दृष्टि, और उत्तराखंड के मॉडल स्टेट बनने की यात्रा पर केंद्रित है।

धन सिंह रावत: सहकारिता के प्रणेता

डॉ. धन सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति और प्रशासन में एक ऐसा नाम है, जो नवाचार, पारदर्शिता और जनकेंद्रित नीतियों का पर्याय बन चुका है। सहकारिता मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में उत्तराखंड ने सहकारी क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। उनकी सोच का मूल मंत्र है—’सहकारिता से समृद्धि’, जिसके तहत उन्होंने ग्रामीण समुदायों, विशेष रूप से किसानों, महिलाओं और युवाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है।

डॉ. रावत का मानना है कि सहकारिता केवल एक आर्थिक मॉडल नहीं, बल्कि सामाजिक समावेश और सामुदायिक सशक्तिकरण का आधार है। यमुना कॉलोनी, देहरादून में हाल ही में आयोजित समीक्षा बैठक में उन्होंने अधिकारियों को 8-9 जुलाई के विचार मंथन को ऐतिहासिक बनाने के निर्देश दिए। “यह विचार मंथन उत्तराखंड के सहकारी आंदोलन को नई दिशा देगा। हमारा लक्ष्य सहकारी बैंकों, एमपैक्स और अन्य संस्थाओं को आधुनिक और पारदर्शी बनाकर हर गाँव तक समृद्धि पहुँचाना है,” उन्होंने कहा।

विचार मंथन: उत्तराखंड के सहकारी भविष्य का खाका

8-9 जुलाई 2025 को देहरादून में होने वाला यह विचार मंथन सहकारिता के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। डॉ. रावत के नेतृत्व में यह आयोजन सहकारी संस्थाओं को सशक्त बनाने, डिजिटल नवाचारों को अपनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने की रणनीतियों पर केंद्रित होगा। इस मंथन के प्रमुख उद्देश्य हैं:

1. वाइब्रेंट विलेज योजना का सहकारी एकीकरण: केंद्र सरकार की ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना को सहकारी मॉडल के साथ जोड़कर सीमावर्ती गाँवों में आर्थिक विकास को गति दी जाएगी। डॉ. रावत का कहना है कि यह योजना ग्रामीण समुदायों को आत्मनिर्भर बनाकर उनकी आजीविका को सुदृढ़ करेगी।
2. त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना: सहकारिता के क्षेत्र में शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय परिसर की स्थापना प्रस्तावित है। यह विश्वविद्यालय युवाओं को सहकारी प्रबंधन, डिजिटल सहकारिता और नवाचार के क्षेत्र में प्रशिक्षित करेगा, जिससे उत्तराखंड में सहकारी नेतृत्व की नई पीढ़ी तैयार होगी।
3. सहकारी बैंकों और एमपैक्स का आधुनिकीकरण: सहकारी बैंकों और बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (एमपैक्स) को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा। डॉ. रावत ने जोर देकर कहा कि इन संस्थाओं को पारदर्शी और सुगम बनाना उनकी प्राथमिकता है।
4. ग्रामीण सशक्तिकरण: सहकारिता के माध्यम से किसानों, महिलाओं और युवाओं को आर्थिक अवसर प्रदान करने के लिए नवीन योजनाएँ और नीतियाँ तैयार की जाएँगी।

सहकारिता वर्ष 2025: धन सिंह रावत की दूरदर्शिता

उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2025 को ‘सहकारिता वर्ष’ घोषित किया है, जो डॉ. रावत की सहकारी दृष्टि का एक प्रमाण है। इस पहल के तहत मार्च 2025 तक सभी गाँवों और ग्राम सभाओं में बहुउद्देशीय सहकारी समितियों का गठन करने का लक्ष्य रखा गया है। सहकारिता सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा, “डॉ. रावत के मार्गदर्शन में हम हर गाँव को सहकारी समितियों से जोड़ रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।”

पिछले सात-आठ वर्षों में डॉ. रावत के नेतृत्व में सहकारी क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। सभी सहकारी समितियाँ और जिला सहकारी बैंक लाभ की स्थिति में हैं, जो उनकी पारदर्शी और नवाचार-प्रधान नीतियों का परिणाम है। डॉ. रावत ने बताया कि 12 लाख किसानों को बिना ब्याज के एक लाख से पाँच लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया गया है, और इनमें से कोई भी ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) नहीं बना है। यह उपलब्धि उनके कुशल प्रशासन और किसान-केंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाती है।

वैश्विक प्रेरणा: नीदरलैंड मॉडल का अनुसरण

डॉ. रावत की वैश्विक दृष्टि ने उत्तराखंड के सहकारी क्षेत्र को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। हाल ही में नीदरलैंड के दौरे पर उन्होंने वहाँ की आधुनिक कृषि प्रणाली, डेयरी विकास और सहकारी प्रशासन का गहन अध्ययन किया। उन्होंने नीदरलैंड के राबो बैंक समूह की वित्तीय सेवाओं और सहकारी मॉडल को उत्तराखंड में लागू करने की योजना बनाई है। “नीदरलैंड की भौगोलिक स्थिति उत्तराखंड से मिलती-जुलती है। वहाँ की सहकारी प्रणाली, खाद्य प्रसंस्करण और फ्लोरीकल्चर के मॉडल को अपनाकर हम अपने किसानों, महिलाओं और युवाओं को अधिक लाभ पहुँचा सकते हैं,” उन्होंने कहा।

इस दौरे के दौरान डॉ. रावत ने राबो बैंक की सहकारी सिद्धांतों पर आधारित वित्तीय प्रणाली का अवलोकन किया, जो कृषि वित्तपोषण में अग्रणी है। उनकी योजना है कि इस मॉडल को उत्तराखंड के सहकारी बैंकों में लागू कर उनकी वित्तीय प्रणाली को और मजबूत किया जाए। यह कदम उत्तराखंड के सहकारी क्षेत्र को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

धन सिंह रावत का नेतृत्व: पारदर्शिता और नवाचार

डॉ. रावत का नेतृत्व केवल सहकारिता तक सीमित नहीं है; उन्होंने उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में भी अपनी छाप छोड़ी है। हाल ही में सिंगापुर के शैक्षिक दौरे पर उन्होंने वहाँ की उन्नत शिक्षा प्रणाली का अध्ययन किया और उत्तराखंड में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई। उनकी यह बहुआयामी दृष्टि उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित करती है, जो उत्तराखंड को हर क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए कटिबद्ध है।

सहकारिता के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियाँ प्रभावशाली हैं। दीनदयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना के तहत 2017 से अब तक 8.55 लाख व्यक्तियों को 4835.34 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए हैं, जिनमें 4894 स्वयं सहायता समूह शामिल हैं। इसके अलावा, सहकारी समितियों के लिए एकमुश्त समाधान योजना के तहत 6778 मृतक ऋणियों के स्वजनों ने 17.23 करोड़ रुपये जमा किए हैं, जो उनकी नीतियों की प्रभावशीलता को दर्शाता है।

विचार मंथन: एक ऐतिहासिक अवसर

8-9 जुलाई का विचार मंथन डॉ. रावत की सहकारी दृष्टि को साकार करने का एक महत्वपूर्ण मंच होगा। इस आयोजन में देशभर के सहकारिता विशेषज्ञ, नीति निर्माता और सहकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल होंगे। डॉ. रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि आयोजन की सभी व्यवस्थाएँ—लॉजिस्टिक्स, विशेषज्ञों की भागीदारी और तकनीकी संसाधन—समय पर पूरी की जाएँ। इस मंथन में सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण, युवाओं और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने, और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह की प्रेरणा से डॉ. रावत ने राष्ट्रीय सहकारी नीति को उत्तराखंड की स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने की योजना बनाई है।

उत्तराखंड का सहकारी मॉडल: राष्ट्रीय प्रेरणा

डॉ. रावत के नेतृत्व में उत्तराखंड ने सहकारी क्षेत्र में कई नवाचार किए हैं, जिन्हें अन्य राज्य अपना रहे हैं। मॉडल साधन सहकारी समिति की अवधारणा उत्तराखंड से शुरू हुई और अब इसे देशभर में लागू किया जा रहा है। डॉ. रावत का कहना है कि विचार मंथन के बाद उत्तराखंड का सहकारी मॉडल न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बनेगा।

डॉ. धन सिंह रावत का नेतृत्व उत्तराखंड के सहकारी आंदोलन को नई दिशा दे रहा है। उनकी दूरदर्शी सोच, वैश्विक दृष्टिकोण और जनकेंद्रित नीतियों ने सहकारिता को ग्रामीण समृद्धि और सामाजिक समावेश का आधार बनाया है। 8-9 जुलाई 2025 को देहरादून में होने वाला विचार मंथन उनकी इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो उत्तराखंड को सहकारिता में देश का सिरमौर बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा।

डॉ. रावत की यह पहल न केवल उत्तराखंड के सपनों को साकार कर रही है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। उनकी अगुवाई में उत्तराखंड सहकारिता के क्षेत्र में न केवल एक मॉडल स्टेट बनेगा, बल्कि देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बनकर उभरेगा।

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