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उत्तराखंड में लागू हुआ यूसीसी, यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड बना देश का पहला राज्य

सीएम धामी ने यूसीसी पोर्टल ucc.uk.gov.in का किया शुभारंभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यूसीसी लागू होने की आधिकारिक घोषणा करते हुए यूसीसी पोर्टल का शुभारंभ किया। इस अवसर पर सीएम धामी ने कहा कि आज का दिन सिर्फ उत्तराखंड के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए ऐतिहासिक दिन है। आज से उत्तराखंड में समाज में समानता स्थापित करने के लिए, समान नागरिक संहिता लागू हो गई है।

सोमवार को सीएम आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधिवत्व तौर पर समान नागरिक संहिता की अधिसूचना का अनावरण, यूसीसी पोर्टल ucc.uk.gov.in का भी शुभारंभ किया और यूसीसी नियमावली बुकलेट का विमोचन किया। यूसीसी पोर्टल पर मुख्यमंत्री ने सबसे पहले अपने विवाह का पंजीकरण करवाया, जिसका प्रमाण पत्र मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने मुख्यमंत्री को सौपा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यूसीसी के तहत सर्वप्रथम पंजीकरण करने वाले पांच आवेदकों को भी प्रमाण पत्र प्रदान किये। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तय करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी ने 2.35 लाख लोगों से संपर्क साधा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करके राज्य सरकार संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉक्टर बी आर अंबेडकर सहित संविधान सभा के सभी सदस्यों को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह बहुत भावुक होकर सवा करोड़ उत्तराखंड वासियों के सामने समान नागरिक संहिता पूर्ण रूप से लागू करने की घोषणा कर रहे हैं, इसके लिए उन्हें हर्ष के साथ गर्व की भी अनुमति हो रही है। इसके साथ ही राज्य में प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक और नागरिक अधिकार एक समान हो गए हैं। साथ ही सभी धर्म की महिलाओं को भी समान अधिकार मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में उत्तराखंड में यूसीसी लागू हो गई है, इसके लिए उन्होंने पूरा उत्तराखंड वासियों की ओर से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का आभार व्यक्त किया।

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान 12 फरवरी 2022 को उन्होंने उत्तराखंड मे समान नागरिक संहिता लागू करने का संकल्प लिया था तब उन्हें नया-नया दायित्व मिला था। इसके 7 महीने बाद ही विधानसभा चुनाव में जाना पड़ा, इसलिए कई लोग तब इस पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे । लेकिन उन्हें पूरा भरोसा था कि उत्तराखंड की जनता इस काम में उनका साथ अवश्य देगी। उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार दोबारा भाजपा की सरकार बनी और सरकार बनने के बाद पहला निर्णय उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी जाति धर्म लिंग के आधार पर कानूनी भेदभाव समाप्त करने का संवैधानिक उपाय है । इसके जरिए सभी नागरिकों को समान अधिकार देने का प्रयास किया गया है। इसके जरिए महिला सुरक्षा, सशक्तिकरण निश्चित हो सकेगा। साथ ही हलाला, तीन तलाक, इधर जैसी के कु प्रथा पर रोक लगेगी। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत वर्णित अनुसूचित जनजातियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है जिससे उनके रीति रिवाज का संरक्षण हो सकेगा। जिन पंजीकृत व्यक्तियों का विवाह यूसस के लागू होने से पूर्व पंजीकृत हुआ हो या तलाक की तिथी घोषित हुई हो या विवाह निरस्त हुआ हो उनके पहले 6 महीने में किसी भी तरह का रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यूसीसी किसी भी धर्म या पथ के खिलाफ नहीं है । यह समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर, सामानता से समरता कायम करने का कानूनी प्रयास है। इसमें किसी की भी मूल मान्यताओं और प्रथाओं को नहीं बदला गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व के प्रमुख मुस्लिम और विकसित देशों में पहले से ही यूसीसी लागू है। इस कानून द्वारा सभी लोगों के लिए विवाह, विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार के नियमों को सामान किया गया है।

सभी धर्म के लोग अपने-अपने रीति रिवाजो से विवाह कर सकते हैं, लेकिन अब सभी धर्म में लड़कों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 और लड़कियों के लिए 18 कर दी गई है। साथ ही पति या पत्नी के साथ रहते दूसरे विवाह को प्रतिबंध किया गया है। समान नागरिक संहिता में बाल अधिकारों को संरक्षित किया गया है। साथ ही बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं । परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद ना हो इसके लिए मृतक की संपत्ति में पत्नी, बच्चों और माता-पिता को समान अधिकार दिए गए हैं ।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि वर्तमान समय को देखते हुए लिव इन के पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। युगल की सूचना रजिस्ट्रार माता-पिता या अभिभावक को देगा। यह जानकारी पूरी तरह से गोपनीय रहेगी। लिव इन से पैदा बच्चों को भी समान अधिकार दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी को लागू करने के लिए सरलीकरण के मूल मंत्र पर चलते हुए ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है। साथ ही स्पष्ट नियमावली भी लागू कर दी गई है। पूरा ध्यान रखा गया है कि इसके लिए किसी भी नागरिक को दिक्कत का सामना न करना पड़े।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी घोषणा की है कि प्रदेश में प्रतिवर्ष 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा की धारा 370, तीन तलाक, राम मंदिर को लेकर जितने भी संकल्प लिए गए थे वह प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री के नेतृत्व में पूरे किए गए हैं। इस अवसर पर यूसीसी नियमावली समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने यूसीसी नियमावली के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जबकि सचिव शैलेश बगौली ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल , गणेश जोशी, रेखा आर्य, सौरभ बहुगुणा, राज्यसभा सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट , राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, विधायक गण, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी यूसीसी नियमावली समिति के सदस्य शत्रुघ्न सिंह, प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल , मनु गौड, अजय मिश्रा, शासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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