Sunday, December 8, 2024
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उत्तराखंड में जल्द लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड यूसीसी, समिति द्वारा सीएम धामी को सौंपा गया नियमावली का फाइनल ड्राफ्ट

 

उत्तराखंड में अब बहुत जल्द समान नागरिक संहिता यूसीसी लागू होने जा रहा है। आज शुक्रवार को विशेषज्ञ समिति ने उच्च नियमावली का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौपा। सीएम धामी ने कहा कि सभी को समान न्याय, समान अवसर मिले इसके लिए यूसीसी लागू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में घोषणा की थी कि सरकार 9 नवंबर को उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर यूसीसी लागू करना चाहती है । ऐसे में अब समिति के फाइनल नियमावली का ड्रॉफ्ट सौंपने के बाद पूरी उम्मीद जताई जा रही है कि यूसीसी उत्तराखंड में जल्द ही लागू होगा। नियमावली में मुख्य रूप से कर भाग हैं, जिसमें विवाह एवं विवाह विच्छेद, लिव इन रिलेशनशिप, जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण तथा उत्तराधिकार संबंधी नियमों के पंजीकरण संबंधी प्रक्रियाएं हैं।

जन सामान्य की सुविधाओं को देखते हुए यूसीसी के लिए एक पोर्टल और मोबाइल ऐप भी तैयार किया गया है। इसमें पंजीकरण अपील आदि की समस्त सुविधाएं जन सामान्य को ऑनलाइन माध्यम से उपलब्ध की जाएगी ।

यूसीसी लागू होने के बाद इस तरह के बदलाव आएंगे

सभी धर्म समुदाय में विवाद तलाक गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून होगा

26 मार्च 2010 के बाद से हर संपत्ति के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण करना अनिवार्य होगा

ग्राम पंचायत, नगर पंचायत , नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा होगी

पंजीकरण न करने पर अधिकतम 25000 रुपए का जुर्माना

पंजीकरण नहीं करने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित रहेंगे

विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की के 18 होगी

महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणो और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती है

हलाला और इधत जैसी प्रथा खत्म होगी । महिला का दोबारा विवाह करने के लिए किसी भी तरह की शर्तों पर रोक नहीं है

कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा

एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा

पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी

संपत्ति में बेटा और बेटी बराबर के हकदार होंगे

जायज एवं नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा

नाजायज बच्चे भी उस दंपति के जैविक संतान माना जाएगा

गोद लिए, सरोगेसी से असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे

किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे की संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे

कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकेगा

लिविंग में रहने वाले व्यक्ति के लिए वह पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा

युगल पंजीकरण रसीद से ही कराया किराया पर घर हॉस्टल ले सकेंगे

लिविंग में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे

लिविंग में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराया ना अनिवार्य होगा

अनिवार्य पंजीकरण न करने पर 6 माह के कारावास या 25000 का जुर्माना दोनों को प्रावधान होगा।

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