‘दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान’ के अंतर्गत साहित्यकारों को 5 लाख की पुरस्कार राशि की जा रही प्रदान
सीएम धामी ने “उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान” समारोह में प्रतिभाग किया
यह मेरा सौभाग्य है कि हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने वाले महान साहित्यकारों को सम्मानित करने का मिला अवसर- सीएम धामी
उत्तराखंड भाषा संस्थान के माध्यम से राजकीय राज्य के बिखरे हुए साहित्य को संरक्षित, संकल्पित और पुनर्स्थापित करने का किया जा रहा है कार्य- सीएम धामी
साहित्यकार स्व. शैलेश मटियानी जी, स्व. गिरीश तिवारी गिर्दा जी, स्व. शेरदा ‘अनपढ़’ एवं हीरा सिंह राणा जी को मरणोपरांत “उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान- 2025 से किया सम्मानित
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज हिंदी दिवस के अवसर पर आईआरडीटी ऑडिटोरियम देहरादून में आयोजित “उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान” समारोह में प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश व देश भर से आए साहित्यकारों, कवियों तथा भाषा प्रेमियों को संबोधित किया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साहित्यकार स्व. शैलेश मटियानी जी, स्व. गिरीश तिवारी गिर्दा जी, स्व. शेरदा अनपढ़ एवं हीरा सिंह राणा जी को मरणोपरांत “उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान -2025 से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही सीएम धामी ने सोमवारी लाल उनियाल व श्री अतुल शर्मा को भी उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सामान से सम्मानित किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने वाले महान साहित्य कालों को दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान से सम्मानित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने उन सभी साहित्य साधकों को शुभकामनाएं दी जो अपनी रचनात्मकता से सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण प्रयास कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ‘उत्तराखंड भाषा संस्थान’ के माध्यम से राज्य के बिखरे हुए साहित्य को संरक्षित, संकलित और पुनर्स्थापित करने के लिए ठोस कार्य कर रही है। सरकार स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण के लिए भी सतत प्रयास कर रही है, ताकि आने वाली पीढियां अपनी समृद्धि भाषायी विरासत से जुड़े रहे।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के समृद्ध साहित्यिक परंपरा का उल्लेख करते हुए सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, शिवानी, शैलेश मटियानी गिर्दा , शे रदा ‘अनपढ़’ और ‘ हिरदा’ जैसे रचनाकारों को श्रद्धा पूर्वक स्मरण किया । उन्होंने कहा कि इन सभी ने उत्तराखंड के जीवन संघर्ष और संस्कृति को अपने रचनाओं में जीवंत किया है। समकालीन रचनाकारों में अतुल शर्मा, प्रसून जोशी और उनियाल जी जैसे साहित्यकार इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार साहित्य और संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड भाषा संस्थान के माध्यम से हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं के विकास हेतु निरंतर प्रयास किया जा रहे हैं। सरकार द्वारा उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान, साहित्य भूषण, लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कारों के माध्यम से साहित्यकारों को सम्मानित किया जा रहा है और नई पीढ़ी के लिए रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता का आयोजन कर उन्हें प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है।
समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की की “दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान” के अंतर्गत साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले साहित्यकारों को 5 लाख की पुरस्कार राशि प्रदान की जा रही है।
साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि सरकार द्वारा दो साहित्य ग्राम स्थापित किया जा रहे हैं जिनमें साहित्यकारों के लिए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। इससे उत्तराखंड को एक साहित्यिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में हमे प्रगति मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम कक्षा 6 से लेकर डिग्री और यूनिवर्सिटी स्तर तक के विद्यार्थियों के लिए रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हैं, जिसके माध्यम से 100 से अधिक युवा रचनाकारों को पुरस्कृत भी किया गया है। हमारी सरकार ने बीते 2 वर्षों में 62 साहित्यकारों को उनकी पुस्तकों के प्रकाशन हेतु अनुदान भी प्रदान किया है। इस वर्ष भी हमने पुस्तक प्रकाशन को प्रोत्साहित करने के लिए 25 लाख की विशेष बजट का प्रावधान किया है ।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल , विधायक खजान दास, सचिव नीरज खैरवाल , भाषा संस्थान की निदेशक श्रीमती जसविंदर कौर व प्रदेश के कई गणमान्य अतिथि, शिक्षाविद् ,साहित्यकार छात्र एवं संस्कृति प्रेमी उपस्थित रहे।
एवं श्री सोमवारी लाल उनियाल व अतुल शर्मा को उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य देवी सम्मान से सम्मानित किया।