रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजाता रहा- गरिमा मेहरा दसौनी
शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रेस वार्ता कर प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर धामी सरकार को जमकर घेरा ।
वानग्नि
दसौनी ने कहा कि पिछले दो महीनों से उत्तराखंड भीषण वानग्नि से झुलस रहा है, सुलग रहा है परंतु वन मंत्री और प्रदेश के मुखिया कुंभकरण की नींद में सोए हैं।
दसौनी ने कहा की हजारों हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गए कई वनकर्मियों की और स्थानीय लोगों की मौतें हो गई पर फिर भी सरकार और प्रशासन का दिल नहीं पिघला।
दसौनी ने कहा कि बीते रोज अल्मोड़ा बिनसर में चार वन कर्मियों की मौत अत्यंत दुखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। दसौनी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह कोई स्वाभाविक मौतें नहीं हैं बल्कि सिस्टम के द्वारा की गई हत्या है।
दसौनी ने कहा की विभाग को यह जानकारी तक ना होना की आग बुझाने के लिए आठ कर्मचारी गए थे या नौ अधिकारियों गंभीरता बताती है,उन कर्मचारियों की गाड़ी में सिर्फ एक गैलन पानी का होना और इन वन कर्मियों के पास आग बुझाने के लिए पर्याप्त सुविधाओं और इक्विपमेंट का ना होना विभाग की संवेदनशीलता और उदासीनता को दर्शाता है।
दसौनी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 10 लाख रुपए मुआवजे की घोषणा तो की है पर क्या 10 लख रुपए में 35 वर्षीय दीवान राम 56 वर्षीय त्रिलोक मेहता 50 वर्षीय पुराण मेहरा और 21 वर्षीय करन आर्य जैसे अपने परिवारों के कमाऊ पूत लौटा पाएंगे मुख्यमंत्री? क्या वापस कर पाएंगे बूढ़े मां-बाप को उनकी संताने? विधवाओं को उनके सुहाग और बिलखते बच्चों को उनके पिता? दसौनी ने कहा कि कितनी बड़ी विडंबना है कि प्रदेश की जनता बार-बार भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत की सरकार और पांचो सांसद देने का काम कर रही है लेकिन अल्मोड़ा जैसे जिले में एक बर्न वार्ड तक नहीं है ?महिला अस्पताल ,बेस अस्पताल और मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद ,9 सीएचसी और 6 पीएचसी सेंटर होने के बावजूद बर्न आईसीयू नहीं है
जो चार वनकर्मि बुरी तरह से झुलस गए थे उनका उपचार अल्मोड़ा में नहीं हो पाया और उन्हें हायर रेफर केंद्र भेज दिया गया।गरिमा ने कहा की लगातार विपक्ष के आगाह करने के बावजूद न वन मंत्री और ना ही मुख्यमंत्री ने इन वारदातों को गंभीरता से लिया। मुख्यमंत्री पहले चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे और अब दूसरे प्रदेशों में हो रहे शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने से उन्हें फुर्सत नहीं है। जिस मुखिया का अपना प्रदेश कभी वन अग्नि और कभी चार धाम यात्रा में हो रही कोताही और अव्यवस्थाओं से जूझ रहा हो उसका इस तरह से लंबे अरसे तक प्रदेश की अनदेखी करना और राज्य से गायब रहना उनकी असंवेदनशीलता ही दर्शाता है।
उद्यान घोटाला
दसोनी ने उद्यान घोटाले पर भी सरकार को आढ़े हाथों लिया, दसोनी ने कहा कि एक ऐसी कंपनी अर्निका ट्रेडर्स जिसका अक्टूबर 2022 तक कोई अस्तित्व ही नहीं था उसका इतिहास और अनुभव जांचे बिना 5 जनवरी 2023 को उद्यान विभाग द्वारा उसे लाइसेंस दे दिया जाता है ।नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए करोड़ों की बंदर बांट कर दी गई। हिमाचल की तर्ज पर बागवानी को बढ़ावा और प्रोत्साहन देने के लिए इस योजना को शुरू तो किया गया परंतु मानक पूरे ना होने के बावजूद ,न सिर्फ सप्लाई के काम का लाइसेंस बल्कि महंगी दरों पर पौंधा खरीद में भी विभागीय संलिप्तता पूरी तरह से रही है
₹150 का पौधा ₹400 में खरीदा गया, बिना किसी नियम के कंपनी को लाभान्वित किया गया, दसौनी ने कहा कि विभागीय मंत्री अब कितना ही भ्रष्टाचार पर सख्त रवैया और जीरो टॉलरेंस की बात करें परंतु हकीकत यह है कि इस पूरे घोटाले में मंत्री की भूमिका भी कम संदिग्ध नहीं है। उच्च न्यायालय के सख्त रवैया के बाद सीबीआई जांच का आदेश दिया गया विभाग लगातार सीबीआई जांच से बचता रहा और उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी।दसौनी ने कहा कि गणेश जोशी बताएं यदि वह भ्रष्टाचार पर नकेल कसना चाहते थे और आरोपियों को सजा दिलवाना चाहते थे तो सीबीआई जांच न होने के लिए उन्होंने एड़ी चोटी का जोर क्यों लगाया? दसौनी ने कहा की सुप्रीम कोर्ट में उद्यान विभाग ने मुंह की खाई और विभाग की एसएलपी को खारिज कर दिया गया, देहरादून की ही एक महिला उद्यान अधिकारी के द्वारा उत्तरकाशी के एक नर्सरी संचालक अनिल रावत को 3 करोड़ 28 लाख की पेमेंट बिना विभागीय निदेशक की अनुमति से कर दी गई। 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कभी सेब महोत्सव के नाम पर तो कभी मशरूम कभी दाल और मसलों के महोत्सव आयोजित कराए गए जिसमें कुल खर्च जहां 22 से 23 करोड़ होना चाहिए था वही खर्चा 67से 68 करोड़ दिखा कर विभाग को चूना लगाया गया। उन्हीं दिनों बावेजा के घर पर 10 लाख रुपए और दफ्तर में 14 लाख रुपए का सौंदर्यकरण किया गया।सवाल ये उठता है कि इतने बड़े घोटाले का पर्दा फाश होने के बावजूद सरकार के हाथ आखिर किसने बांध रखे हैं?
और तो और इसी उद्यान घोटाले में रानीखेत विधायक प्रमोद नैनवाल के भाई सतीश नैनवाल का नाम भी प्रमुखता से आया है जिसपर कोई कार्यवाही होते नहीं दिख रही।
उपचुनाव
दसौनी ने भारतीय जनता पार्टी पर मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा के उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी की घोषणा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी के इतने बुरे दिन आ गए हैं कि जिन दो सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें उसे अपना कोई निष्ठावान कार्यकर्ता प्रत्याशी के रूप में नजर नहीं आ रहा है। दसौनी ने कहा कि मंगलौर से जिस व्यक्ति करतार सिंह बढाना को भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है वह कांग्रेस के टिकट पर हरियाणा से चुनाव लड़ चुका है उत्तर प्रदेश में आरएलडी के टिकट पर चुनाव लड़ चुका है बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुका है और अब भाजपा ऐसे दल बदलू पैराशूट व्यक्ति पर अपने समर्पित कार्यकर्ता को नजर अंदाज कर दांव खेलना चाह रही है, इससे भारतीय जनता पार्टी की मंगलौर में स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर बद्रीनाथ से भी सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली पार्टी के पास अपना कोई कार्यकर्ता प्रत्याशी के रूप में नहीं मिल पाया,गरिमा ने कहा की एक ऐसा व्यक्ति जो बमुश्किल दो महीने पहले ही भाजपा में शामिल हुआ है और जिसे बद्रीनाथ की जनता ने कांग्रेस के टिकट पर विधायक के रूप में विजई बनाया परन्तु उसने न सिर्फ बद्रीनाथ की जनता के जनादेश का अपमान किया बल्कि मां समान कांग्रेस पार्टी के सीने में भी खंजर भौंकने का काम किया, राजेंद्र भंडारी को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने एक बार फिर अपने चरित्र का परिचय दिया है ,अपने जमीनी कार्यकर्ताओं का दोहन करने वाली भाजपा, टिकट देते समय विपक्षी दलों के नेताओं पर अधिक भरोसा जताती है।गरिमा ने कहा की ऐसा ही मंजर हमने 2016 और 17 के दौरान देखा जब भारतीय जनता पार्टी ने बड़े स्तर पर कांग्रेस में तोड़ फोड़ करी और न सिर्फ कांग्रेस से गए नेताओं को विधायक का टिकट दिया बल्कि मंत्रिमंडल में भी बहुतों को मौका दिया। दसोनी ने कहा कि इस बार के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता इस बात का बदला लेते हुए भारतीय जनता पार्टी को जरूर सबक सिखाएगा।वहीं दूसरी ओर दसौनी ने दावा किया कि
कांग्रेस पार्टी दोनों ही विधानसभाओं में अपने समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को ही प्रत्याशी बनाने का काम करेगी।
गरिमा मेहरा दसौनी
मुख्य प्रवक्ता
उत्तराखंड कांग्रेस