पहले दिन से भ्रामक आंकड़े दे रहा आपदा प्रबंधन विभाग यात्रा मार्ग शुरू करने के लिए युद्ध स्तर पर काम करे सरकार :सूर्यकांत धस्माना। देहरादून : केदार घाटी में आई आपदा के सातवें दिन भी राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग पूरी केदार घाटी में जान माल के नुकसान के ठीक आंकड़े सार्वजनिक नहीं कर रहा यह बात आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने अपने कैंप कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कही । उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह के बुधवार की रात्रि केदार घाटी में आई भीषण आपदा के बाद जिला प्रशासन व आपदा प्रबंधन विभाग सोनप्रयाग से लेकर केदार मंदिर तक नौ स्थानों पर भूस्खलन व रोड वाश आउट की बात कर रहे थे जबकि मैं स्वयं एक अगस्त को आपदा प्रभावित क्षेत्र में गया था और वहां की जानकारी के मुताबिक मैंने कहा था कि दो दर्जन से ज्यादा जगहों पर भूस्खलन है व सोनप्रयाग समेत रामबाड़ा लिनचोली बड़ी लिनचोली में ज्यादा नुकसान है। श्री धस्माना ने कहा कि उसी दिन जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक से वार्ता कर फंसे हुए यात्रियों की संख्या दस हजार से ज्यादा होने के अनुमान के बारे में मैने कहा था किंतु शासन प्रशासन शुरू से नौ दस स्थानों पर भूस्खलन व पांच छ हजार लोगों के फंसे होने का दावा कर रहा था लेकिन आज आपदा के सातवें दिन स्वयं आपदा प्रबंधन विभाग २९ स्थानों पर मार्ग श्रीग्रस्त होने व ग्यारह हजार लोगों के रेस्क्यू किए जाने की बात कह रहा है। उन्होंने कहा कि असलियत यह है कि कांवड़ यात्रा वाले यात्रियों का प्रशासन ने कोई पंजीकरण किया ही नहीं और इसलिए शासन प्रशासन को फंसे हुए लोगों की सही संख्या पता ही नही थी इसलिए रोज अलग अलग आंकड़े जारी किए गए। श्री धस्माना ने कहा कि सोनप्रयाग रामबाड़ा लिनचोली बड़ी लिनचोली भीमबली समेत अनेक स्थानों में मलवा आने से हुई जन हानी हुई है उसका कोई अता पता नहीं है। श्री धस्माना ने कहा कि आपदा पर किसी का नियंत्रण नहीं है किंतु आपदा से निपटने की तैयारी और राहत व बचाव कार्यों की तैयारी जिस स्तर पर होनी चाहिए वह नदारद थी और अधिकांश फंसे हुए लोगों को पैदल निकाला गया । श्री धस्माना ने प्रदेश सरकार से मांग करी की केदार घाटी की आपदा में जान माल के नुकसान का सही आंकड़ा सार्वजनिक करें और यात्रा मार्ग दोबारा शुरू करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जाए।
सादर
सूर्यकांत धस्माना
वरिष्ठ उपाध्यक्ष
प्रदेश कांग्रेस कमेटी उत्तराखंड