उत्तराखंड राज्य में लंबे समय से उठ रही भू-कानून की मांग का सम्मान करते हुए आज धामी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी गई है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, संस्कृतिक धरोहरो और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा। साथ ही प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस निर्णय से प्रदेश में बाहरी लोगों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद पर रोक लगेगी और राज्य की सांस्कृतिक पहचान एवं संसाधनो की रक्षा होगी।
भू कानून के आने से राज्य पर क्या होगा असर
- बाहरी निवेशकों द्वारा भूमि की अंधाधुंध खरीदारी पर रोक लगेगी
- स्थानीय निवासियों के हित सुरक्षित रहेंगे और जमीनों की मनमानी खरीद फरोख्त रुकेगी
- राज्य की जैविक और पारंपरिक धरोहर संरक्षित रहेगी
- राज्य की पर्यावरणीय संवेदनशीलता को बनाए रखने में मदद मिलेगी
- जनता की मांग को लेकर सरकार ने उठाया यहां बढा कदम
प्रदेश की जनता एवं सामाजिक संगठन लंबे समय से कश्मीर और हिमालय की तर्ज पर उत्तराखंड में भी भू-कानून की मांग कर रहे थे सरकार ने जन भावनाओं का सम्मान करते हुए इस कानून को आखिरकार मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह ने कहा कि प्रदेश की जनता द्वारा लंबे समय से यह मांग उठाई जा रही थी उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए आज कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो जाता है कि हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। निश्चित तौर पर यह कानून प्रदेश के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा। हम अपनी भूमि और संस्कृति की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह कानून उत्तराखंड की मूल पहचान को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। अब इस भू कानून को अंतिम मंजूरी के लिए विधानसभा में पेश किया जाएगा। वहां से पास होने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।