सतपुली : पौड़ी जिले के चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद पूरा क्षेत्र विकास की रोशनी से वंचित है और हाल इतना बुरा है कि वर्ष २००४ से ७ के बीच शुरू करवाए गए अनेक कार्य आज भी जस के तस पड़े हुए हैं यह बात आज अपने पैतृक गांव बग्याली के दो दिवसीय दौरे से लौटते हुए नगर पंचायत क्षेत्र सतपुली में पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात के दौरान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कही। नगर पंचायत सतपुली के नव निर्वाचित अध्यक्ष जितेंद्र चौहान ने श्री धस्माना का स्वागत करते हुए उनको नगर पंचायत से संबंधित सफाई ,नायर नदी पर निर्माणाधीन झील कार्यों में सुस्ती, आदि समस्याओं समस्याओं से अवगत करवाया। श्री धस्माना ने श्री चौहान को आश्वस्त किया कि वे अपने स्तर पर मुख्यमंत्री से व नगर विकास के आला अधिकारियों से मिल कर समस्याओं का समाधान करवाने में सहयोग करेंगे।
श्री धस्माना ने कहा कि उन्होंने वर्ष २००४ से २००७ के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री एन डी तिवारी व तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री श्रीमती इंद्रा हृदयेश से आग्रह व प्रयास करवाकर क्षेत्र में अनेक सड़कें व विकास कार्य स्वीकृत करवाए थे जिनमें से एक पाटीसैन से डोभाल नाव बग्याली होते हुए एकेश्वर तक का मोटर मार्ग था जो कि आज दो दशक बाद भी डामरीकरण नहीं हो पाया। गांववासियों ने बताया कि पिछले लोकसभा चुनाव में पूरे क्षेत्र के लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया तो छेत्र के विधायक व कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज ने आश्वाशन दिया था कि सड़क का डामरीकरण हो जाएगा किंतु आज तक उस पर कार्य नहीं हुआ और सड़क बदहाल है। श्री धस्माना ने कहा कि जब कैबिनेट मंत्री द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों को दिए आश्वासन को ही पूरा नहीं किया जा सका तो पूरे पौड़ी जनपद और राज्य में विकास के बारे में कल्पना की जा सकती है। श्री धस्माना ने कहा कि शीघ्र ही वे पूरे चौबट्टाखाल छेत्र व पौड़ी जनपद के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करेंगे और जन सरोकारों के लिए आंदोलन करेंगे। इस अवसर पर पूर्व प्रधान श्री जगदम्बा प्रसाद डंगवाल, कुल्हाड़ के पूर्व प्रधान श्री देव किशोर सिंह नेगी, श्री संजय कुकरेती, श्रीमती उषा उनियाल आदि उपस्थित रहे।
सादर
सूर्यकांत धस्माना
वरिष्ठ उपाध्यक्ष
प्रदेश कांग्रेस कमेटी
उत्तराखंड
चौबट्टाखाल में विकास कार्य पूरी तरह ठप्प, पाटीसैंण बग्याली एकेश्वर मोटर मार्ग दो दशकों बाद भी कच्चा: सूर्यकांत धस्माना
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