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Thursday, June 26, 2025
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सराहनीय पहल। सीएम धामी की पहल पर 40 आईएएस अफसरों ने गोद लिए अपने प्रथम नियुक्ति स्थल, यह आईएएस अधिकारी सुधारेंगे गांव की दिशा और दशा

 

सीएम धामी की पहल पर तैयार होगा गांवों का समग्र विकास मॉडल

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड को देश का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में लगातार नए प्रयास किया जा रहे हैं। गांव से लेकर शहरों तक विकास के नए-नए मॉडल तैयार किया जा रहे हैं। इसी पहल के तहत राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को उनके प्रथम नियुक्ति स्थलों को गोद लेने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके माध्यम से गांव के सामाजिक और आर्थिक विकास को नई दिशा मिलेगी।

अगर देखा जाए तो इससे पूर्व भी कई पूर्व सीएम ,सांसदों और अन्य नेताओं ने कई गांवों को गोद लिया था लेकिन आज भी इनमें से कई गांव विकास से अछूते हैं । सीएम धामी ने यह अभिनव पहल की है, जिसके अंतर्गत आईएएस अफसरों पर गांव के विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई है ।

मुख्य सचिव द्वारा 20 मई को यहां आदेश जारी किया गया था। जारी आदेश को सामने लाया गया है। इस आदेश के मुताबिक उत्तराखंड के सुदूरवर्ती गांवों के चतुर्दिक विकास के लिए राज्य के 40 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों ने अपने प्रथम नियुक्ति स्थल के गांवों को गोद लिया है। अब इन गांवों के लिए योजनाबद्ध ढंग से विकास कार्यों का खाका तैयार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री धामी की की पहल पर ₹8700 या उससे अधिक ग्रेड-पे वाले अधिकारियों को अपने पहले कार्यक्षेत्र को गोद लेने के निर्देश दिए गए थे। इस क्रम में 20 मई 2025 को मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन द्वारा आदेश जारी किया गया था।

धामी सरकार के 40 बड़े अधिकारियों ने पहाड़ के बेहाल गांवों को आबाद करने का बीड़ा उठाया है। इसके मुताबिक अधिकारियों ने अपने-अपने गांवों में जाकर रात्रि प्रवास किया, जनजीवन को नजदीक से समझा और विकास की प्राथमिकताओं को चिन्हित किया है। इन प्रयासों के तहत प्रत्येक गांव के लिए अलग कार्ययोजना बनाई जा रही है, जिसमें जिला योजना, राज्य सेक्टर, वित्त आयोग और सीएसआर फंड जैसी उपलब्ध संसाधनों का शत-प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और स्वयंसेवी संस्थाओं की भागीदारी से विकास को गति दी जा रही है।

मुख्यमंत्री का मानना है कि गांवों का सशक्तिकरण ही विकसित उत्तराखंड और विकसित भारत की आधारशिला है। यह पहल राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में समावेशी और टिकाऊ विकास की दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है।

 

 

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