देहरादून के प्रसिद्ध दून स्कूल के दसवीं कक्षा के छात्र अविघना दारुका ने पहाड़ के बच्चों के दुख को समझते हुए पिछले तीन साल से लगातार ऑनलाइन कोचिंग दी। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ, अविघना ने उत्तराखंड के दूरदराज के जिलों के बच्चों को अंग्रेजी, गणित और विज्ञान पढ़ाया। उनकी बहन आद्या दारुका ने भी इन बच्चों को पढ़ाया। इन बच्चों की रुचि और लगन से प्रभावित होकर, अविघना ने अपनी माँ सुश्री बेला दारुका और पिता डॉ. विष्णु दारुका की मदद से 6 टैबलेट्स खरीदे। इनमें से 2 टैबलेट्स पौड़ी गढ़वाल के बच्चों के लिए डाइट पौड़ी गढ़वाल के प्राध्यापक डॉ. नारायण प्रसाद उनियाल जी को सौंपे गए और बाकी 4 टैबलेट्स अल्मोड़ा जिले के ग्राम डुंगरी स्याल्दे की कव्या और दृष्टि रावत , ग्राम मेहरोली की कनिष्का बिष्ट और ग्राम सिंगोली भिक्यासैंण के चिराग सती को दिए गए। इन बच्चों द्वारा ऑनलाइन माध्यम में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर अवघना ने यह पुरस्कार दिए।
अविघना का मानना है कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती है। सच्ची लगन और मेहनत से सफलता अर्जित की जा सकती है। दून स्कूल में पढ़ाई में अव्वल रहने के साथ-साथ अविघना भाषण, क्विज, पत्रिका लेखन और विज्ञान एवं गणित की कई गतिविधियों में शामिल रहता है। वह कई प्रतियोगिताओं में विद्यालय का प्रतिनिधित्व कर चुका है। विलक्षण प्रतिभा का धनी अविघना सामाजिक सरोकारों में अपनी रुचि दिखाता आया है। कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान विद्यालय द्वारा शुरू किए गए अभियान ‘कनेक्टिंग टू द रूट्स’ में वह सातवीं कक्षा से ही भागीदारी करते हुवे आया है। इस अभियान के प्रभारी और बाकी अध्यापकों ने भी उसकी प्रशंसा की है और आशा की है कि वह एक अच्छा विश्व नागरिक बनकर राष्ट्र और विश्व की सेवा करेगा।