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उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा डोईवाला स्क्रीनिंग प्लांट में मिली नाबालिक दिवंगत बालिका के परिजनों से संवेदनात्मक भेंट

दिनांक 12 जुलाई, 2025 को उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना के नेतृत्व में उनकी टीम सचिव डा. एस. के. बरनवाल, अनु सचिव डा. एस. के. सिंह, एवं बाल मनोवैज्ञानिक डा. निशात इक़बाल ने देहरादून जनपद के डोईवाला स्थित केशवपुरी बस्ती, मजनूवली गली जा कर स्क्रीनिंग प्लांट में मिली नाबालिग बालिका के मामले का स्वत संज्ञान लेते हुए स्थल निरिक्षण किया गया! उक्त घटना के कारण इलाके के लोगो में में शोक और आक्रोश महसूस किया गया।

इस सम्बन्ध में आयोग की अध्यक्ष डॉ. खन्ना ने दुखित परिजनों से संवेदना व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया कि इस मामले में पूर्ण पारदर्शिता और निष्पक्षता से जांच करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि घटना की गंभीरता को देखते हुए आयोग द्वारा जिला प्रशासन एवं पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है। साथ ही यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि पीड़ित परिवार को हरसंभव समुचित विधिक सहायता सरकार द्वारा प्रदान की जाए।

परिवार से बातचीत के दौरान आयोग की अध्यक्ष द्वारा पुलिस अधिकारियों से विशेष रूप से यह प्रश्न किया गया कि देहरादून में अन्य क्षेत्रों से कम के लिए आने वाले बाहरी व्यक्तियों का सत्यापन किस प्रकार से किया जा रहा है। यह चिंता प्रकट की गई कि पड़ोसी जिलों से आने वाले कई व्यक्तियों की गतिविधियाँ संदिग्ध पाई जा रही हैं, जो राज्य में अवैध एवं आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जाते हैं।

आयोग द्वारा पुलिस प्रशासन को निर्देशित किया गया कि बाहरी राज्यों से आकर कार्यरत प्रत्येक श्रमिक का सघन सत्यापन एवं रिकॉर्ड मेन्टेन की जाए तथा जिस जगह से वह आ रहे हैं वहां से भी उनके अनपे क्षेत्र को छोड़ने का कारण जाना जाए ताकि राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक शांति को कोई आघात न पहुंचे एवं पुनरावृति को रोका जा सके।साथ ही मा0 अध्यक्ष द्वारा वहा मोजूद सभी लोगो को किसी भी मुश्किल या परेशानी में सर्कार द्वारा संचालित हेल्पलाइन नंबर जैसे की 100, 112, 1098 पर कॉल कर सहायता प्राप्त करने की सलाह गई l

स्थल निरीक्षण के दौरान आयोग की टीम को एक अत्यंत कुपोषित (मल्नैरिश्ड) बालिका दिखी, जो संभवतः क्वाशिओरकर जैसी गंभीर पोषण समस्या से पीड़ित थी। इस पर मा. अध्यक्ष द्वारा तत्काल स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया कि वे उक्त बस्ती सहित आसपास के क्षेत्र के सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करवाएं और जिन बच्चों को आवश्यकता हो, उन्हें पोषण आधारित सरकारी योजनाओं, जैसे कि WIFS (weekly iron folic acid supplement) प्रोग्राम व व अन्य सभी से जोड़ कर प्रोटीन, ईरान, कैल्शियम सप्लीमेंटेशन दिया जाए। इससे संबंधित आंगनवाड़ी को भी निर्देशित किया गया।

आयोग के संज्ञान में एक अन्य प्रकरण आया है, जिसमें खुरबुरा इलाके में एक व्यक्ति के द्वारा आते जाते लोगो को अलग-अलग प्रकार से परेशां किया जाता हैं एवं आते जाते वह कई महिलाओं को छेद भी चूका है! हाल ही में एक छोटी बच्ची को भी प्रताड़ित किया। चौकी इंचार्ज को इस प्रकरण की सम्पूर्ण जांच आख्या आयोग को प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया। आसपड़ोस के लोगों से मिली जानकारी के अनुसार अभियुक व्यक्ति का भी सम्पूर्ण मानसिक चिकित्सकीय जांच कराने की आवश्यकता पर भी सुझाव दिया गया।

आयोग यह स्पष्ट करता है कि किसी भी नागरिक की मानसिक स्थिति को केवल इसलिए टालना की वह मानसिक विक्षिप्त हैं, यह न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है। यदि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही पाई जाती है तो आयोग स्वतः संज्ञान लेकर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति करेगा।

उक्त सभी मुद्दों के सम्बन्ध एसा डॉ. गीता खन्ना द्वारा स्पष्ट किया कि—

“उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, और अधिकारों की रक्षा के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। किसी भी प्रकार की लापरवाही, शोषण या हिंसा को सहन नहीं किया जाएगा। आयोग द्वारा संबंधित विभागों को संवेदनशील क्षेत्रों में अधिक सक्रिय उपस्थिति दर्ज करने, बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण निर्माण हेतु दिशा-निर्देश, और प्रभावी बाल सुरक्षा तंत्र की स्थापना के लिए सुझाव भेजे जाएंगे।

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