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25 जून, लोकतंत्र रक्षा के अर्थों में 15 अगस्त, 26 जनवरी की तरह प्रेरणादायक : भूपेंद्र यादव

विकसित भारत के लिए आर्थिक समृद्धि के साथ मजबूत लोकतंत्र भी जरूरी : भूपेंद्र यादव

इमरजेंसी के संघर्ष में तपकर पीएम मोदी जैसा राजनैतिक नेतृत्व देश को मिला

लोकतंत्र की हत्या का काला अध्याय, प्रत्येक पीढ़ी को पढ़ने की जरूरत

देहरादून 26 जून। केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री भूपेंद्र यादव ने 25 जून को लोकतंत्र रक्षा के लिए ठीक उसी तरह मनाने का आग्रह किया जिस तरह 15 अगस्त को आजादी और 26 जनवरी को संविधान स्थापना की प्रेरणा के रूप लिया जाता है। उन्होंने विकसित भारत के लिए आर्थिक मजबूती के साथ लोकतांत्रिक मजबूती को भी अहम बताया। कहा, संविधान की किताब हाथ में रखने वाली कांग्रेस ने ही आपातकाल में संविधान को ध्वस्त किया है। ये बात और है कि इसी इमरजेंसी के संघर्ष में तपकर पीएम मोदी जैसा राजनैतिक नेतृत्व देश को मिला।

राजधानी के हिमालय कल्चरल सेंटर में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए श्री भूपेंद्र यादव ने कहा, इस देश को आजादी बहुत बड़ी संख्या में क्रांतिकारियों के बलिदान और जनता के लंबे संघर्ष से मिली है। इसलिए इस आजादी के बाद जो संविधान हमें प्राप्त हुआ उसका लक्ष्य देश में लोकतंत्र की स्थापना, भारत को गणतंत्रवादी देश के रूप में आगे बढ़ाना, स्वतंत्र न्यायपालिका के साथ चलना, देश में संसद की सर्वोच्चता को महत्व देना, फेडरल स्ट्रक्चर से संघीय राज्य संबंध को मजबूती से आगे बढ़ना। और यह सब, देश को दुनिया के सबसे प्रगतिशील उदारवादी लोकतांत्रिक देश के रूप में आगे बढ़ाने का संकल्प है। यह जो संकल्प हमें दिया गया था, उसपर हमला करने का काम, कुठाराघात करने और इसकी हत्या करने का काम हुआ कांग्रेस की इंदिरा गांधी सरकार द्वारा 25 जून 1975 को। इसलिए जो आजादी हमको मिली थी, उसके लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला 25 जून 1975 को हुआ था। जो मार्च 1977 तक रहा, लगभग 21 महीने। इसलिए भारत की पहली आजादी तो 1947 में हुई थी लेकिन भारत में लोकतंत्र की एक और आजादी मार्च 1977 में 21 महीने की कैद समाप्त होने के बाद हासिल हुई थी। इसलिए 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में याद किया जाता है। बेशक यह घटना 50 साल पहले की है लेकिन देश के हर नौजवान को इसके बारे में जानना चाहिए, ताकि उसकी पुनरावृति ना हो।

उन्होंने कहा, इसकी पृष्ठभूमि में जाए तो 1971 की लड़ाई के बाद इंदिरा गांधी बहुत शक्तिशाली होकर सत्तांध हो गई थी। उन्होंने अपने निर्वाचन के खिलाफ न्यायालय के निर्णय को आधार बनाकर देश के लोकतंत्र को बंधक बना लिया था। नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने के बजाय उन्होंने इमरजेंसी को लागू कर लोकतंत्र समाप्त कर दिया, इतना ही नहीं देश मे विपक्ष के नेताओं को पकड़ पकड़ कर जेल में ठूस दिया, जिसने आवाज उठाने की कोशिश की उसकी आवाज को बंद करने का प्रयास किया, अखबारों के संपादकीय अधिकारों को छीना गया, इतना ही नहीं प्रेस पर पूरी तरह से सेंसरशिप लागू की गई। और जो कांग्रेस आज संविधान की किताब जेब में लेकर घूमती हैं उसने ही इस संविधान को ध्वस्त करने का काम किया था। लिहाजा कांग्रेस पार्टी ने जो किया उसे देश की यह जनता और देश का इतिहास कभी नहीं भूलेगा।

वहीं तत्कालीन इंदिरा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आपातकाल के दौरान 42 वां संविधान संशोधन कर संविधान की मूल भावना को कुचलना का प्रयास किया। इस सब के पीछे इंदिरा गांधी का एक और बड़ा उद्देश्य था देश में सभी राजनीतिक दलों को समाप्त कर एक दलीय प्रणाली और एक परिवार के शासन के मार्ग को खोलना। यह गांधी जी के सिद्धांतों के विपरीत्त, बाबा साहब अंबेडकर के संविधान के विरुद्ध और देश के लोगों की लोकतांत्रिक मान्यताओं के विपरीत था। परिवार का तो इतना भारी मोह था कि मनमोहन सिंह के समय में भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे लेकिन नेशनल एडवाइजरी काउंसिल परिवार के मुखिया द्वारा चलाई जाती थी, आज भी सभी जानते हैं कि अध्यक्ष बेशक खड़गे हों लेकिन पार्टी तो गांधी परिवार के बच्चे ही चलते हैं। आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने कमिटेड ब्यूरोक्रेसी, हैंडलेड न्यायपालिका और सेंसर प्रेस की व्यवस्था को आगे बढ़ाने के घनघोर असफल प्रयास किए है।

उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य को पाने के लिए एक ऐसा मजबूत भारत चाहिए जो इकोनॉमी की दृष्टि से मजबूत हो, लेकिन साथ ही साथ एक ऐसा भारत भी हो जिसमें लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों पर आगे बढ़ने का कार्य भी किए जाएं।

इस दौरान उन्होंने पीएम श्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा, उन्होंने संघ के स्वयंसेवक के रूप में आपतकाल में ही युवाओं को संगठित करने का कार्य किया। जिस प्रकार कहा भी जाता है कि संघर्ष की ताप से ही नेतृत्व निखरता है, ठीक उसी तरह आपातकाल के विरोध, संघर्ष ने मोदी जी जैसे नेतृत्व को उभारने का कार्य किया है। आज पीएम मोदी देश में लोकतंत्र को आगे बढ़ाने के संकल्प को लेकर चल रहे हैं, जो आपातकाल में लोकतंत्र की रक्षा के लिए किए संघर्ष की उनके व्यक्तित्व पर पड़ी छाप का ही परिणाम है।

उन्होंने संविधान हत्या दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम आजादी की प्रेरणा देश के स्वतंत्रता दिवस को मना कर लेते हैं, संविधान स्थापना की प्रेरणा 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस से लेते हैं। ठीक इसी तरह 25 जून वो दिन है जिससे देशवासी लोकतंत्र की आजादी की प्रेरणा लेते हैं। ताकिबभविष्य में लोकतंत्र को कोई इस तरीके से बंधक न बनाए, लोगों की आकांक्षाएं को कोई अधिनायकवादी या डिक्टेटर द्वारा डिक्टेट न किया जाए बल्कि लोगों की आकांक्षाएं एक लोकतांत्रिक भारत के झंडे के तले पूरी हों। यही वजह है कि हमारी पार्टी 25 जून से तीन दिन इमरजेंसी लोकतंत्र हत्या दिवस के रूप में देशभर में मना रही है

इस दौरान पत्रकार वार्ता में प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद श्री महेंद्र भट्ट ने बताया देशभर में आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलब्ध में 25, 26, 27 जून को पार्टी देश भर के सभी राज्यों के सभी प्रमुख स्थानों पर जाकर विभिन्न कार्यक्रम कर रहे हैं। ताकि आपातकाल का वह काला दिवस लोगों में सदैव जागृत रहे कि लोकतंत्र को किस तरह कुचला गया। आज की पीढ़ी के संज्ञान में लाने के लिए कार्यक्रमों की यह श्रृंखला आयोजित की जा रही है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा कि देश के लोकतंत्र, केवल हाथ में संविधान की पुस्तक लेकर नहीं किया जा सकता है। हम सब लोग को हमेशा ध्यान रहना चाहिए कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी किस तरह लोकतंत्र की रक्षा के लिए कुर्बानी दी गई, यातनाएं सही गई।

पत्रकार वार्ता के दौरान कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी और प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान भी मौजूद रहे।

मनवीर सिंह चौहान
प्रदेश मीडिया प्रभारी
भाजपा उत्तराखंड

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