- ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में ’अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन-विश्व के लिए अंतरिक्ष में एक साझे भविष्य का निर्माण’ पर हुई चर्चा
- नासा वैज्ञानिक डॉ रवि मार्गसहाय ने छात्रों के साथ साझा किये अपने अनुभव
देहरादून । नासा के वैज्ञानिक ने ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में व्याख्यान के दौरान छात्रों से कहा कि,`मैं अन्तरिक्ष यात्री नहीं हूँ लेकिन उनको अन्तरिक्ष भेजने के लिए तैयार करता हूँ’।
USA के केनेडी Space Centre के ग्लोबल स्पेस एंबेसडर और नासा के वैज्ञानिक डा. रवि मार्गसहायम ने कहा कि ’धरती मानवता का पालना है, लेकिन हमेशा पालने में नहीं रहा जा सकता है’। इस आयोजन के दौरान ’अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन-विश्व के लिए अंतरिक्ष में एक साझे भविष्य का निर्माण’ चर्चा का विषय रहा।
डा. रवि ने बताया कि अंतरिक्ष अनुसंधान केवल खोज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह धरती पर जीवन को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। स्पेस रिसर्च के माध्यम से चिकित्सा, जैविक अनुसंधान, नई तकनीकों का विकास और आपदा प्रबंधन सरीखे अनेक क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति हुई है।
उन्होंने खास तौर पर माइक्रोग्रेविटी में किए गए प्रयोगों से प्राप्त चिकित्सीय लाभ, स्पेस रिसर्च से विकसित हुई नहीं तकनीकें, जैविक अनुसंधान से रोगों की पहचान और उपचार, उपग्रहों की मदद से प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने 700 से भी अधिक अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस भेजने में भूमिका निभाई है। इनमें भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला भी शामिल हैं।
इस अवसर पर ग्राफिक एरा के कुलपति डा. नरपिंदर सिंह ने डा. रवि के योगदान और कार्य को सराहा। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्रा केवल रॉकेट और अंतरिक्ष यात्रियों की नहीं होती, बल्कि उन तमाम इंजीनियर, वैज्ञानिक, तकनीकी और ग्राउंड क्रू की भी होती है। उनकी मेहनत से हर मिशन उड़ान भरता है। उन्होंने Students से कहा कि शिक्षा और विज्ञान भारत के छोटे से गांव से नासा जैसी विश्व स्तरीय संस्थान तक पहुंचा सकता है।
यह आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग ने किया। इस अवसर पर ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. अमित भट्ट, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डा. सुधीर जोशी, प्रो. (डा.) राजेश वर्मा, डा. रित्विक डोबरियाल, डा. विजय पाटीदारब और अन्य शिक्षक-छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।