2 मई 2025 उत्तरकाशी जनपद में बाल अधिकारों पर कार्यशाला का आयोजन, आयोग ने लिए कई महत्वपूर्ण संज्ञान
उत्तरकाशी : उत्तराखण्ड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना के नेतृत्व में आयोग की एक टीम ने तीन दिवसीय प्रवास के दौरान जनपद उत्तरकाशी में जिला एवं ब्लॉक स्तरीय कार्यशाला का आयोजन का किया गया जिसमें सभी जिला एवं ब्लॉक स्तरीय विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया , जिला स्तरीय कार्यशाला में बच्चों एवं उनके अधिकारों के प्रति संवेदनशीलता बरतते हुए बेहतर कार्य करने के लिए सभी अधिकारियों को प्रेरित किया I कार्यशाला में 1098 , SCPCR, PTA,HELPLINE No., EMERGENCY NO. आदि की जानकारी दी गई व् सभी स्कूलों , सार्वजनिक स्थानों पर उक्त बोर्ड चस्पा हों इस पर भिओ जोर दिया गया I
इसके अतिरिक्त आयोग को मिली शिकायत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए निरिक्षण किया गया जिसमें एक प्रधानाचार्या व् वार्डन द्वारा बच्चों के साथ मारपीट के मामले का संज्ञान लिया है। साथ ही, उस छात्रावास की निलंबित वार्डन के व्यवहार पर बच्चों द्वारा गंभीर आरोप लगाए गए हैं। बच्चों के अनुसार जब भी वार्डन अपने घर पर बात करती थी उसके बाद वार्डन उनके साथ दुर्व्यवहार करती थी , फिलहाल छात्रावास में वार्डन की अस्थाई नियुक्ति की गई है परन्तु आयोग का मानना है कि किसी भी छात्रावास में वार्डन या अन्य कार्मिकों की नियुक्ति से पूर्व उसकी मानसिक, पारिवारिक व सामाजिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण किया जाना आवश्यक है। यह जिम्मेदारी संवेदनशील महिलाओं को ही दी जानी चाहिए।
आयोग के संज्ञान में एक और मामला आया जिसमें कालसी ब्लॉक में कुछ बालिकाओं को विद्यालय से निकालने की सूचना मिली। इस पर ज़िला समाज कल्याण विभाग के साथ बैठक की गई, जिसमें यह तथ्य सामने आया कि निकाली गई बालिकाएँ अनुसूचित जाति से थीं जबकि संबंधित स्कूल अनुसूचित जनजाति के लिए था। आयोग का मानना है कि बच्चों की मूलभूत सुविधाओं व् शिक्षा पाने के लिए हर समय ऐसे सख्त मानकों को अपनाना उचित नहीं है I आयोग इस पर पत्राचार करके उक्त के सन्दर्भ में अधिकारियों के साथ शीघ्र बैठक करेगा I
इसी के क्रम में कालसी ब्लॉक में छात्रावास का निरीक्षण किया गया जिसमें पाया कि बच्चों हेतु नवनिर्मित भवन तो बनाया गया है परन्तु परंतु वहाँ मूलभूत सुविधाओं का अभाव देखा गया — सबसे चिंताजनक बात यह पाई गई कि वहाँ नि यमित रूप से पानी उपलब्ध नहीं है। बच्चों को 3 किलोमीटर दूर जाकर गधेरे से नहाना व कपड़े धोना पड़ता है। वर्तमान में पानी टैंकर से मंगवाया जाता है जो अपर्याप्त है। इस सन्दर्भ में भी आयोग उपजिलाधिकारी को पत्र लिखकर आवश्यक कार्यवाही करेगा I
डॉ. गीता खन्ना ने बताया कि ब्लॉक अधिकारियों के साथ संवाद में यह स्पष्ट हुआ कि शिक्षकों, अभिभावकों और पंचायत प्रतिनिधियों में बाल अधिकारों को लेकर संवेदनशीलता बढ़ाने की आवश्यकता है। इस दिशा में आयोग ब्लॉक स्तरीय बैठकों के आयोजन को और विस्तार देगा।