उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन एक विश्व धरोहर – रविन्द्र जुगरान
देहरादून 08 नवम्बर। उत्तराखण्ड राज्य स्थापना की 25 वीं वर्षगाँठ की पूर्व संध्या पर आज उत्तरांचल विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानन्द आडिटोरियम में श्रंृखलाबद्ध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। वरिष्ठ उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी श्री रविन्द्र जुगरान इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता जबकि विश्वविद्यालय के अध्यक्ष श्री जितेन्द्र जोशी, उपाध्यक्ष सुश्री अंकिता जोशी एवं कुलपति प्रो० धर्म बुद्धि बतौर विशिष्ठ अतिथि उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तराखण्ड आन्दोलन के अमर शहिदों को श्रद्धांजली अर्पित कर किया गया। विश्वविद्यालय स्थित शौर्य दिवार पर शहीदों की फोटो लगायी गई और एन०सी०सी० कैडेट की ड्रिल के साथ पहले मुख्य अतिथि श्री रविन्द्र जुगरान व श्री जितेन्द्र जोशी और फिर सभी ने पुष्प अर्पित किये। इस अवसर पर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के शहीद अमर रहे के नारों से सारा वातावरण गूंज उठा।
खचा खच भरे आडिटोरियम में छात्रों द्वारा उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन पर आधारित नाट्य प्रस्तुति दी गई। छात्रों द्वारा प्रस्तुत खटीमा एवं मसूरी काण्ड की मार्मिक प्रस्तुति एवं आंदोलन के चर्चित नारों के साथ जुलूस निकालकर सबको भावुक कर दिया।
विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो० राजेश बुहुगुणा ने अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन संघर्ष, सब्र, त्याग एवं समर्पण का अतुलनीय उदाहरण है। असहनीय बर्बरताओं के बाद भी आंदोलन का हिंसक ना होना इसकी विशेषता है।
उत्तराखण्ड आन्दोलन की रूप रेखा पर बोलते हुए श्री रविन्द्र जुगरान ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन न केवल भारत अपितु विश्व की धरोहर है। इस आंदोलन से उपजे सिद्धान्तों ने देश और दुनिया को सच्चे गांधीवाद की याद दिलाई। इसकी उत्पत्ति छात्रों और युवाओं के द्वारा हुई, इसे महिलाओं ने सम्भाला और पूर्व सैनिकों सहित प्रदेश का हर वर्ग इस आंदोलन से जुड़ा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा का अंग होना चाहिए ताकि उत्तराखण्ड का हर बच्चा इसक संघर्षो और सिद्धान्तों को आत्मसात कर सके।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० धर्म बुद्धि कि प्रदेश के शिक्षा संस्थान यहां कि प्रगति में अहम भूमिका निभा सकते है। उन्होंने उत्तरांचल विश्वविद्यालय द्वारा प्रदेश के चौमुखी विकास में किये जा रहे कार्यों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड आंदोलन पूरे देश को अहिंसा का पाठ पढ़ा गया।
विश्वविद्यालय के अध्यक्ष श्री जितेन्द्र जोशी ने स्थापना दिवस की 25वीं वर्षगाँठ पर शिक्षकों, छात्रों व कर्मचारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य का निर्माण केवल संविधानिक प्रावधानों एवं विधायिकी प्रक्रिया का परिणाम नही अपितु यह सफलता है उन असंख्य उत्तराखंडियों के संघर्ष, त्याग व बलिदान की जिन्होंने जन आंदोलनों के नये मानक तय कर एक अद्वितीय नजीर खड़ी कर दी।
इस अवसर पर मुख्य रूप से विश्वविद्यालय के निदेशक डा0 अभिषेक जोशी, प्रो० पूनम रावत, डा0 अजय सिंह, डा0 सोनल शर्मा, डा0 श्रवण कुमार, डा0 विकास जखमोला, डा0 मनीष बडोनी, डा0 महिपाल सिंह, डा0 सुमित चौधरी, डा० अमित भट्ट, के0 बी0 पोखरियाल सहित बड़ी संख्या में शिक्षक व छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
प्रो0 राजेश बहुगुणा
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