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उत्तराखंड समेत अन्य हिमालयी बर्फबारी वाले क्षेत्रों में 1 अक्टूबर, 2026 से शुरू होगी जातीय जनगणना

जनगणना केवल आँकड़ों का संग्रह नहीं, बल्कि विकास की बुनियादी योजना का होती है आधार: त्रिवेन्द्र

नई दिल्ली। हरिद्वार लोकसभा से सांसद एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा लोकसभा में जनगणना-2027 को लेकर मंगलवार को सवाल पूछा। लिखित उत्तर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने जनगणना-2027 से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने जनगणना-2027 को दो चरणों में आयोजित करने का निर्णय लिया है। उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल, जेएंडके और लद्दाख के बर्फीले इलाकों में जनगणना का कार्य एक अक्टूबर, 2026 से शुरू होगा।
जनगणना दो चरणों में आयोजित होगी
1. पहला चरण – मकान सूचीकरण और मकानों की गणना:
इसमें प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति और बुनियादी सुविधाओं से संबंधित जानकारी एकत्र की जाएगी।
2. दूसरा चरण – जनगणना:
इस चरण में प्रत्येक व्यक्ति की जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक तथा अन्य महत्वपूर्ण जानकारी ली जाएगी। विशेष रूप से, इस जनगणना में जाति आधारित गणना भी की जाएगी।

श्री नित्यानंद राय ने बताया कि सामान्य क्षेत्रों के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च, 2027 की मध्यरात्रि (00:00 बजे) होगी।और हिमालयी बर्फबारी वाले क्षेत्रों (जैसे लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के असमय बर्फीले क्षेत्र) के लिए यह तिथि 1 अक्टूबर, 2026 की मध्यरात्रि (00:00 बजे) निर्धारित की गई है।

मंत्री जी ने बताया कि जनगणना-2027 के लिए वित्तीय परिव्यय को अंतिम रूप दिया जा रहा है, और इसकी जानकारी समय पर साझा की जाएगी।

श्री नित्यानंद राय ने यह स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अद्यतन करने का कोई निर्णय फिलहाल नहीं लिया गया है। सरकार द्वारा केवल जनगणना कराने की अधिसूचना जारी की गई है। मकान सूचीकरण एवं मकानों की गणना की संचालन तिथियां उचित समय पर अधिसूचित की जाएंगी।

सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि जनगणना केवल आँकड़ों का संग्रह नहीं, बल्कि विकास की बुनियादी योजना का आधार होती है। सरकार द्वारा जाति आधारित आंकड़ों को शामिल करने और दो चरणों में जनगणना करने का निर्णय स्वागत योग्य है। इससे योजनाओं को और अधिक लक्षित रूप में क्रियान्वित किया जा सकेगा। यह जनगणना डिजिटल तकनीक और डेटा पारदर्शिता की दिशा में एक अहम कदम साबित होगी, जिससे ‘विकसित भारत 2047’ के विज़न को गति मिलेगी।

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