आज दिनांक 22 अप्रैल 2025 को उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग में एक गंभीर प्रकरण के अंतर्गत एक निजी विद्यालय द्वारा बड़ी संख्या में छात्रों को कक्षा 11 में अनुत्तीर्ण करने की शिकायत प्राप्त हुई। यह शिकायत उनके अभिभावकों द्वारा आयोग में दर्ज कराई गई।
शिकायत में यह दर्शाया गया कि विद्यालय में छात्रों के गिरते हुए शैक्षणिक प्रदर्शन के पीछे के कारणों पर कोई समुचित कार्यवाही नहीं की गई। न ही छात्रों को मानसिक, भावनात्मक या स्वास्थ्यगत समस्याओं के मद्देनज़र किसी प्रोफेशनल काउंसलर की सुविधा उपलब्ध कराई गई। साथ ही यह भी पाया गया कि विद्यालय के शिक्षक निजी ट्यूशन दे रहे हैं, जिसकी जानकारी विद्यालय प्रशासन को पूर्व से ही है। इसी कारणवश पूर्व में एक शिक्षक को बर्खास्त भी किया जा चुका है।
आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने इस पूरे प्रकरण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए विद्यालय को निर्देशित किया है कि सभी अनुत्तीर्ण छात्रों को तत्काल प्रभाव से कक्षा 12 में प्रोन्नत किया जाए। साथ ही छात्रों की वास्तविक शैक्षणिक योग्यता और मानसिक स्थिति का आंकलन करने हेतु आयोग की निगरानी में एक एप्टीट्यूड टेस्ट आयोजित किया जाएगा। इस टेस्ट के पश्चात यदि कोई छात्र उपयुक्त नहीं पाया जाता है, तो उस पर विचारोपरांत निर्णय लिया जाएगा।
डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि विद्यालय केवल नंबरों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जबकि छात्रों के आत्म-सम्मान एवं मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा की जा रही है। प्रोफेशनल काउंसलिंग के अभाव में बच्चे नशे और सोशल मीडिया की लत की ओर अग्रसर हो सकते हैं, जो कि अत्यंत चिंताजनक स्थिति है। आयोग ने इस पर कड़ा संज्ञान लिया है।
इसके अतिरिक्त पुरकुल यूथ सोसाइटी से संबंधित एक मामला आयोग के संज्ञान में आया है, जिसमें संस्था द्वारा निशुल्क शिक्षा प्रदान किए जाने के बावजूद, पीड़ित परिवार के व्यवहार को देखते हुए संस्था ने छात्र का स्पॉन्सरशिप बंद करने की बात कही है। आयोग इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोनों पक्षों के तथ्य जानकर उचित निर्णय लेगा।
साथ ही विकासनगर क्षेत्र में एक नाबालिग बच्ची के साथ कथित मारपीट के मामले में भी आयोग ने संबंधित पुलिस विभाग से आख्या तलब की है।
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और सम्मान हेतु कटिबद्ध है एवं किसी भी प्रकार की लापरवाही या अन्याय के विरुद्ध कठोर कदम उठाएगा।
*प्रेषक:*
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग
देहरादून