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उत्तराखंड आंदोलनकारियों के सम्मान से हुआ भव्य रामलीला में पुष्पवर्षा से सीता– स्वयंवर का मंचन

लक्ष्मण परशुराम संवाद, राम विवाह

“श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952 देहरादून (पंजी)” द्वारा उत्तराखंड की प्राचीन गढ़वाल की ऐतिहासिक राजधानी पुरानी टिहरी की 1952 से होने वाली प्राचीन रामलीला को टिहरी के जलमग्न होने के बाद देहरादून में पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया है और इस हेतु इस वर्ष देहरादून के “श्री गुरु नानक मैदान रेसकोर्स” में भव्य रामलीला महोत्सव 2025 का मानसून चार दिन नवरात्रों में 22 से 3 अक्टूबर 2025 तक किया जाएगा। आज भव्य रामलीला महोत्सव का तृतीया दिवस – “राज्य आंदोलनकारी सम्मान दिवस” के रूप में मनाया गया।

” श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952, देहरादून ” के अध्यक्ष अभिनव थापर ने कहा टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा, 1994 में आंदोलन में सभी वर्गो व व्यापारियों ने राज्य के संघर्ष में अपना सहयोग दिया था। उत्तराखंड राज्य का निर्माण संघर्षों, बलिदानों और शहादत से हुआ है अतः रामलीला ने आज के दिवस को उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को समर्पित कर शहीदों को नमन कर रामलीला मंचन किया गया ।

रामलीला- तृतीय दिवस में आज सीता– स्वयंवर, धनुष खंडन व परशुराम – लक्ष्मण संवाद का शानदार मंचन रहा। तृतीय दिवस का मुख्य आकर्षण ” राम सीता विवाह में मंच व दर्शकों पर पुष्पवर्षा ” रही। सीता स्वयंवर में विभिन्न राजाओं ने हास्य अभिनय से माहौल खुशनुमा कर दिया। परशुराम – लक्ष्मण संवाद में किरदारों ने पौराणिक चौपाई व गानों से दर्शकों को मंत्र–मुग्ध कर दिया। Laser & Sound Show में आरती का आकर्षण में दर्शकों ने आनंद लिया। कार्यक्रम में अध्यक्ष अभिनव थापर, अतिथिगणों के रूप में मेयर सौरभ थपलियाल, राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी, प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती, महामंत्री रामलाल खंडूरी, अमित ओबेरॉय, रामलीला समिति के अमित पंत, गिरीश पैन्यूली, दुर्गा भट्ट, अजय पैन्यूली, डॉ नितिन डंगवाल, नीता बहुगुणा, शशि पैन्यूली, आदि ने भाग लिया।

उत्तराखंड की प्राचीन व गढ़वाल की ऐतिहासिक राजधानी रामलीला 1952 से पुरानी टिहरी की रामलीला को टिहरी के जलमग्न होने के बाद देहरादून में हमने इसको भव्य रूप से पुनर्जीवित किया। 2024 में आयोजित भव्य रामलीला को विभिन्न माध्यमों से 55 लाख से अधिक दर्शकों ने देखा। विशेष आकर्षण के रूप में इस वर्ष उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार Laser और Sound Show का प्रसारण किया जाएगा, जिससे गढ़वाल के इतिहास को भव्य रूप से पुनर्जीवित करने का मौका मिलेगा और आने वाली पीढियां के लिए मनोरंजन से अपने इतिहास और सनातन धर्म की परंपराओं के साथ जुड़ने का अवसर भी मिलेगा। इस बार रामलीला महोत्सव में रामलीला मंचन के साथ उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का भी समागम होगा जिसमें प्रदेश के कोने-कोने से कलाकार अपनी कला की छटा भी बिकेंगे। इस बार रामलीला में सांस्कृतिक समागम हेतु भजन संध्या व उत्तराखंड के पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा। इस वर्ष रामलीला मंचन के साथ भव्य मेला भव्य कलश यात्रा व 2 अक्टूबर को रावण कुंभकरण मेघनाथ व लंका के पारंपरिक पुतला दहन का विशेष कार्यक्रम किया जाएगा। इस बार 2025 में उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार Digital Live Telecast System से रामलीला मंचन का प्रसारण को 75 लाख से अधिक दर्शकों द्वारा देखा जाएगा।

जय श्री राम !

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