(चन्दन घुघत्याल )
शतरंज, कैरम, लूडो और सांप-सीढ़ी जैसे खेल सदियों से लोगों के बीच लोकप्रिय रहे हैं। खेल-कूद, कार्ड गेम्स, अंताक्षरी आदि कई गतिविधियाँ समाज में रोचकता बनाए रखती हैं। इसी प्रकार, सुडोकू भी एक अत्यंत लोकप्रिय खेल है जो वर्ग पहेली या शतरंज की पहेलियों की तरह अखबारों और पत्रिकाओं में छपता है। इस खेल में 9×9 के ग्रिड होते हैं जिनमें संख्याएँ भरनी होती हैं। खेल का मुख्य उद्देश्य यह है कि प्रत्येक पंक्ति और स्तंभ में 1 से 9 तक की संख्याएँ इस तरह भरी जाती हैं कि कोई भी संख्या दोहराई नहीं जाती है, और इसी तरह 3×3 के छोटे ग्रिड में भी।
सुडोकू की खासियत यह है कि इसके नियम सरल होते हुए भी इसे हल करना चुनौतीपूर्ण होता है। आमतौर पर 9×9 के ग्रिड में कुछ संख्याएँ पहले से भरी होती हैं, और खिलाड़ी का काम बाकी खाली खानों को इस प्रकार भरना होता है कि कोई संख्या दोहराई न जाए। यही चुनौती और सरलता का मिश्रण इस खेल को बेहद रोचक बनाता है।
इस अंक पहेली का आविष्कार न्यूयॉर्क (अमेरिका) में 1970 के दशक में हुआ था, लेकिन इसे जापान में 1984 में माकी काजी ने लोकप्रिय बनाया और इसका नाम ‘सुडोकू’ रखा। जापानी भाषा में ‘सुडोकू’ का अर्थ होता है “अकेला अंक”। 2000 के दशक में यह खेल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो गया और आज यह दुनिया भर में खेला जाता है। कई अखबारों और पत्रिकाओं में सुडोकू प्रकाशित किया जाता है, जिसे बच्चे ही नहीं, हर उम्र के लोग पूरा करते हैं।
सुडोकू हल करने के लिए सबसे पहले ग्रिड में दिए गए प्रारंभिक अंकों को ध्यान से देखें। प्रत्येक खाली खाने के लिए संभावित अंकों की सूची बनाएं, जो उस पंक्ति, स्तंभ, और 3×3 ग्रिड में पहले से मौजूद अंकों के आधार पर हों । सबसे आसान खानों को पहले भरें, जहां केवल एक ही संभावना हो। स्कैनिंग विधि का प्रयोग करें, जिसमें पंक्ति, स्तंभ, या 3×3 ग्रिड में संभावित स्थानों को पहचानें। पेंसिल मार्क्स का उपयोग करें ताकि संभावित अंकों को ट्रैक कर सकें और नियमित रूप से अपनी संभावनाओं की सूची को अपडेट करते रहें। धैर्य और तार्किकता बनाए रखें, अनुमान लगाने से बचें |
सुडोकू के बढ़ते प्रभाव और इसकी मानसिक क्षमता बढ़ाने की योग्यता के कारण यह खेल शिक्षकों, विद्यार्थियों और दिमागी कसरत के शौकीनों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया है। यह खेल न केवल मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि तार्किक सोच और समस्या समाधान के कौशल को भी बढ़ावा देता है।
अब प्रश्न उठता है कि इस अंक पहेली को खेलने के क्या फायदे हैं? वास्तव में यह क्वालिटी टाइम पास के साथ-साथ व्यक्तित्व निर्माण में भी लाभकारी हुवा है | यह मानसिक व्यायाम है। सुडोकू खेलने से मस्तिष्क की गतिविधि बढ़ती है और बौद्धिकता में वृद्धि होती है। यह तर्कशक्ति और समस्याओं को हल करने की क्षमता को विकसित करता है।
आज की शॉर्टकट और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के दौर में हर प्रश्न का उत्तर एक क्लिक की दूरी पर है, वहीं सुडोकू हल करने में 10 से 15 मिनट के मानसिक अभ्यास से हमारी स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। यदि नियमित रूप से सुडोकू खेला जाए तो याददाश्त और एकाग्रता में सुधार होता है। आज जहाँ स्ट्रेस की समस्या आम है, बच्चों को पढ़ाई का स्ट्रेस है और बड़ों को काम और व्यवसाय का तनाव है, तो ऐसे दौर में सुडोकू पहेली एक रेमेडी की तरह काम आती है। सुडोकू खेलना एकाग्रता बढ़ाता है और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, जिससे तनाव कम होता है। इस खेल को खेलने से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है क्योंकि खिलाड़ी को गलतियों से बचते हुए सही संख्याओं को ढूंढना होता है। यदि इसे एक मनोरंजन का साधन भी कहें तो यह कतई अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि इस गेम को लोग अपनी फुर्सत के समय में खेल सकते हैं।
यह समय बिताने का एक अच्छा तरीका है जो मस्तिष्क को सक्रिय रखता है। अंततः कहा जा सकता है कि सुडोकू एक सरल और रोचक खेल है जो न केवल मनोरंजन प्रदान करता है बल्कि मानसिक विकास में भी सहायक होता है। यह खेल सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है और इसे खेलना शुरू करने के लिए किसी विशेष कौशल की आवश्यकता नहीं होती।
गर्मियों की छुट्टियों में अधिकांश बच्चे अपने-अपने तरीकों से समय बिताते हैं। कुछ बच्चे समर कैंप या विभिन्न खेल-कूद में व्यस्त रहते हैं, जबकि अन्य बच्चे दिन भर मोबाइल पर खेलते हैं या फिर इधर-उधर घूमने में समय बिता रहे हैं। कई बच्चे ट्यूशन पढ़ रहे हैं या स्किल डेवलपमेंट के लिए कोडिंग, संगीत, कला आदि सीख रहे हैं। मुझे बच्चों के बीच बढ़ते इस लर्निंग गैप की चिंता है। कैसे ये बच्चे, जो अपने समय को गुणवत्ता पूर्ण तरीके से नहीं बिता रहे, भविष्य में अपने साथियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे?
मैं जब भी बच्चों से बात करता हूँ, तो उनसे मेरी यही अपील होती है कि वे अपने समय का सदुपयोग करें। शतरंज खेलने, सुडोकू हल करने, वर्ड पज़ल्स, लूडो, मोनोपोली जैसे बोर्ड गेम्स खेलने और संगीत, कला सीखने में समय बिताएं। किताबें पढ़ने की आदत डालने से ज्ञान में वृद्धि होगी।
यदि बच्चे रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रहेंगे, तो वे समाज में हो रही विध्वंसात्मक और नकारात्मक चीजों से अवश्य बचेंगे। छुट्टियाँ केवल आराम करने का समय नहीं हैं, बल्कि यह अपने कौशल को निखारने और नए ज्ञान अर्जित करने का भी अवसर है। अपने समय का सही उपयोग करके ही बच्चे अपने भविष्य को संवार सकते हैं।
सुडोकू अख़बारों में या पत्रिकाओं में क्यों प्रकाशित होता है? सबसे पहले जापान के “निकोली” अख़बार में सुडोकू प्रकाशित हुआ था। जापानी लोग मुख्यतः सार्वजनिक परिवहन की बसों और ट्रेन्स में यात्रा करते हैं, जिससे उनका बहुत समय बरबाद होता था, और सुडोकू जैसी अंक पहेली को अख़बार में देखकर यह एक उत्कृष्ट समय व्यतीत करने का साधन बन गया, जो उनके लिए काफ़ी उपयोगी हुवा |
1997 में, जब न्यूज़ीलैंड के न्यायाधीश वेन गोल्ड अपनी छुट्टिया बिताने टोक्यो गए, उन्हें एक बुकस्टोर में सुडोकू पज्जल वाली किताब मिली। उन्हें सुडोकू पढ़ने में इतना मज़ा आया कि उन्होंने आगे के 6 साल में सुडोकू विकसित करने के लिए एक कंप्यूटर प्रोग्रामिंग बना दी। टाइम्स ऑफ़ लंदन, द डेली सन, द कॉन्वे आदि अख़बारों ने सुडोकू को रोज़ प्रकाशित करना शुरू किया। इसके बाद, हर भाषा के अख़बारों में सुडोकू छपने से यह लोकप्रिय खेल बन गया। आज, वास्तव में यह एक उत्तम मानसिक कसरत है और बच्चों की असीमित क्षमता को सही दिशा में मोड़ने का सबसे प्रभावशाली खेल है। इसी कारण, आज सुडोकू प्रतियोगिताएँ कई देशों में हो रही हैं। जब भी अपनी बुद्धि और तार्किक क्षमता का मापन करना चाहैं , तो सुडोकू हल करना करोड़ों लोगों की प्राथमिकता होगी।
चन्दन घुघत्याल
गणित विभागाध्यक्ष
द दून स्कूल
देहरादून