देहरादून, 9 जुलाई 2025:
उत्तराखंड की सहकारी व्यवस्था में एक नए युग का सूत्रपात करते हुए, दो दिवसीय कार्यशाला “सहकार मंथन-2025” का समापन आज भारतीय वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), देहरादून के सभागार में हुआ। सहकारी अधिनियम व नियमों में सुधार, पारदर्शिता, और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण के साथ सहकारिता को सामाजिक-आर्थिक आंदोलन का स्वरूप देने पर गहन विमर्श हुआ। इस अवसर पर सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने पांच नवाचारपरक सहकारी मॉडलों की स्थापना के निर्देश दिए, जो उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना को सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।
सहकारिता: केवल बैंकिंग नहीं, सामाजिक क्रांति
डॉ. रावत ने अपने संबोधन में सहकारिता को उत्तराखंड की आत्मा करार देते हुए कहा, “सहकारिता अब केवल बैंकिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक-आर्थिक आंदोलन बन रही है, जो पारदर्शिता, तकनीक, और स्थानीय सहभागिता के बल पर राज्य के विकास को नई दिशा देगी।” उन्होंने बताया कि राज्य की 670 पैक्स समितियों में 11 लाख सदस्य और 10 जिला सहकारी बैंकों व एक राज्य सहकारी बैंक में 19 लाख खाताधारक हैं। कुल मिलाकर, 30 लाख लोग, जो राज्य की जनसंख्या का लगभग 35% हैं, सहकारी व्यवस्था से जुड़े हैं।
सुधारों का आगाज: पारदर्शिता और जवाबदेही
कार्यक्रम में सहकारी व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। डॉ. रावत ने घोषणा की कि 31 दिसंबर 2025 तक “कोऑपरेटिव ड्राइव” के तहत 1 लाख नए सदस्य बनाए जाएंगे और 1 लाख नए बैंक खाते खोले जाएंगे। इसके अतिरिक्त, प्रदर्शन आधारित प्रमोशन और ट्रांसफर नीति लागू की जाएगी, जिससे कार्यशैली में बदलाव और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। राज्य की 6500 सहकारी समितियों में से लगभग 2000 निष्क्रिय समितियों को भंग करने की प्रक्रिया शुरू होगी। इसकी शुरुआत 24 जुलाई से हरिद्वार में सुधारात्मक निरीक्षण अभियान के साथ होगी, जो आचार संहिता के बाद अन्य जिलों में विस्तारित होगा।
ऐतिहासिक भर्ती: 350 प्रोफेशनल सचिव
सहकारी समितियों में पारदर्शिता और व्यावसायिकता को बढ़ावा देने के लिए पहली बार लिखित परीक्षा के माध्यम से 350 प्रोफेशनल सचिवों की भर्ती की जाएगी। इस प्रक्रिया का ड्राफ्ट एक सप्ताह में तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
पांच नवाचारपरक सहकारी मॉडल: भविष्य की नींव
डॉ. रावत ने सहकारिता के क्षेत्र में पांच नए मॉडलों की शुरुआत की घोषणा की, जो उत्तराखंड की स्थानीय आवश्यकताओं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं:
1. मेडिकल कोऑपरेटिव : ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए अस्पताल, फार्मेसी, लैब, और बीमा सेवाएं शुरू की जाएंगी। यह मॉडल स्वास्थ्य क्षेत्र में रोजगार सृजन और विकेन्द्रीकरण को बढ़ावा देगा।
2. युवा सहकार: युवाओं को स्टार्टअप और सहकारी मॉडल से जोड़ने के लिए एग्रीटेक, ई-कॉमर्स, डेयरी, और आईटी क्षेत्र में अवसर प्रदान किए जाएंगे। यह आत्मनिर्भरता और तकनीकी समावेशन को प्रोत्साहित करेगा।
3. वन सहकारिता: आदिवासी और वनवासी समुदायों को लघु वनोपज के संग्रहण, प्रसंस्करण, और विपणन के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करेगा। यह पर्यावरण संरक्षण और वनाधिकारों के क्रियान्वयन में सहायक होगा।
4. टूरिज्म कोऑपरेटिव: ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होम-स्टे, लोककला, और गाइड सेवाएं शुरू की जाएंगी। यह रोजगार सृजन, पलायन रोकथाम, और सांस्कृतिक संरक्षण में योगदान देगा।
5. मल्टीनेशनल फिशरीज कोऑपरेटिव : मत्स्य पालन में अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी मॉडल विकसित करेगा, जो स्थानीय मछुआरों को वैश्विक बाजार से जोड़ेगा।
संभावनाओं का गिलास: आशा और इच्छाशक्ति
डॉ. रावत ने अपने प्रेरक संदेश में कहा, “यह हम पर निर्भर है कि हम आधे भरे गिलास को निराशा के रूप में देखें या संभावनाओं के रूप में। सहकारिता में अपार संभावनाएं हैं, बस इच्छाशक्ति और क्रियान्वयन की आवश्यकता है।” उन्होंने सितंबर से शुरू होने वाले सहकारिता मेलों की तैयारियों को पूरा करने और सहकारी आंदोलन को व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।
नीति निर्माण के लिए विशेषज्ञ मंथन
कार्यशाला के अंतिम सत्र में छह समूहों द्वारा छह प्रमुख विषयों पर गहन चर्चा की गई, जिनमें डिजिटल परिवर्तन, हरित विकास, ग्राहकोन्मुख बैंकिंग, सहकारी शिक्षा, और ग्रामीण नवाचार शामिल रहे। ये चर्चाएं भविष्य की नीतियों के निर्माण में दिशा-निर्देशक सिद्ध होंगी।
कार्यक्रम में श्री मेहरबान सिंह बिष्ट (निबंधक सहकारिता), श्रीमती ईरा उप्रेती (अपर निबंधक), श्री आनंद शुक्ल, अपर निबन्धक , श्री नीरज बेलवाल, श्री एमपी त्रिपाठी (संयुक्त निबंधक), श्रीमती रमिंद्री मंदरवाल (उप निबंधक), श्री राजेश चौहान, श्रीमती मोनिका (सहायक निबंधक), श्री सुभाष रमोला (पूर्व अध्यक्ष, टिहरी गढ़वाल जिला सहकारी बैंक ), और सभी जनपदों से आए एआर, व बैंकों जीएम , एडीसीओ व सहकार बंधु उपस्थित रहे।
सहकारिता का स्वर्णिम भविष्य
“सहकार मंथन-2025” ने उत्तराखंड में सहकारिता को न केवल एक व्यवस्था, बल्कि एक सशक्त सामाजिक आंदोलन के रूप में स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया है। सुधारों, नवाचारों, और समावेशी दृष्टिकोण के साथ, सहकारिता अब उत्तराखंड के विकास की धुरी बनने को तैयार है। यह मंथन निश्चित रूप से राज्य के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य को नया आयाम देगा।