Monday, December 23, 2024
Google search engine
Homeउत्तराखंडराष्ट्रीय गणित दिवस के अवसर पर स्पेशल: 108, धार्मिक आस्था और...

राष्ट्रीय गणित दिवस के अवसर पर स्पेशल: 108, धार्मिक आस्था और गणितीय सौंदर्य का संगम

श्रीनिवास रामानुजन, जिन्हें “संख्याओं का जादूगर” कहा जाता है, वह मानते थे कि उनके लिए प्रत्येक संख्या “दोस्त” के समान है। उनके जन्मदिन २२ दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में माना जाता है | इस वर्ष संख्या १०८ के गणितीय, खगोलीय और योगिक महत्त्व की चर्चा के साथ महँ गणितज्ञ को श्रद्धा सुमन अर्पित करना चाहता हूँ |
संख्याएँ केवल गणनाओं का माध्यम नहीं होतीं; वे हमारे जीवन के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक पहलुओं को गहराई से छूती हैं। इनमें से संख्या 108 एक ऐसा दिव्य उदाहरण है, जहाँ गणितीय तर्क और आध्यात्मिक आस्था एक-दूसरे से गूँथकर एक अद्भुत समरसता का निर्माण करते हैं। 108 केवल एक अंक नहीं है, यह समय, अंतरिक्ष, और आध्यात्मिक चेतना का पुल है, जो हमें भौतिक और अलौकिक दोनों दुनियाओं से जोड़ता है।
खगोलशास्त्र भी 108 की महिमा को और गहराई से उजागर करता है। पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी सूर्य के व्यास का लगभग 108 गुणा है।पृथ्वी से सूर्य की औसत दूरी लगभग 93 मिलियन मील (या लगभग 150 मिलियन किलोमीटर) है, जिसे 1 खगोलीय इकाई कहा जाता है। सूर्य का व्यास लगभग 864,000 मील (या लगभग 1.39 मिलियन किलोमीटर) है। यदि आप पृथ्वी से सूर्य की औसत दूरी को सूर्य के व्यास से विभाजित करें, तो भागफल 107.7 यानी लगभग 108 होगा।
पृथ्वी से चंद्रमा की औसत दूरी 384,400 किमी है, जबकि चंद्रमा का व्यास 3,474 किमी है। इन दोनों का अनुपात लगभग 110.4 है, जो 108 के बहुत करीब है। इसी प्रकार, सूर्य के व्यास और पृथ्वी के व्यास (12,742 किमी) का अनुपात भी लगभग 108 है। प्रकृति के इस संयोग में एक दिव्य गणित छुपा हुआ है, मानो सृष्टि स्वयं हमें बताना चाहती हो कि 108 के माध्यम से सब कुछ एक लय में बँधा है। गणितीय दृष्टिकोण से भी संख्या 108 अपने भीतर कई रहस्यमय और अद्भुत गुण समेटे हुए है। 108 के कुल बारह विभाजक होते हैं और यह स्वयं 12 से विभाजित होती है। इसे 2 के वर्ग और 3 के घन के गुणनफल के रूप में लिखा जा सकता है। यह गुण इसे एक विशेष समरूपता प्रदान करता है। इसके अंकों का योग 9 है और यह 9 से विभाजित भी होती है। ऐसी संख्याएँ जिन्हें उनके अंकों के योग से विभाजित किया जा सकता है, उन्हें हर्षद संख्याएँ कहा जाता है और 108 उनमें से एक है। 108 तीन क्रमागत संख्याओं—35, 36 और 37—के योग के रूप में भी प्रकट होती है। ज्यामितीय दृष्टि से, एक समपंचभुज (पेंटागन) का प्रत्येक आंतरिक कोण 108 डिग्री का होता है। इस तथ्य में 108 का गणितीय सौंदर्य झलकता है, जो सृजन के मूलभूत संतुलन और स्थिरता को दर्शाता है। यह संख्या हमें यह सिखाती है कि धर्म और विज्ञान का मूल आधार एक ही है—संतुलन और समग्रता।
हिंदू धर्म में 108 को अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। जब कोई व्यक्ति माला के 108 मोतियों पर मंत्र जाप करता है, तो हर मंत्र के साथ उसकी आत्मा एक नई ऊँचाई छूती है। ऐसा माना जाता है कि 108 बार मंत्र जाप करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। यह संख्या एक यात्रा है—मन से आत्मा तक और आत्मा से ब्रह्मांड तक।
108 उपनिषद, जो हिंदू धर्मग्रंथों का सार माने जाते हैं, ज्ञान की उस धारा का प्रतिनिधित्व करते हैं जो युगों-युगों तक बहती आई है। 108 तीर्थ स्थल ( बद्रीनाथ, द्वारका, तिरुपति आदि ) विष्णु भक्तों के लिए मोक्ष का प्रतीक माने गए हैं। यह विश्वास व्यक्ति को उस अनंत की खोज के लिए प्रेरित करता है, जहाँ ईश्वर के प्रेम और कृपा का साम्राज्य है। योग और आयुर्वेद में भी शरीर की 108 ऊर्जा चक्रों का विशेष उल्लेख किया गया है। इन ऊर्जा बिंदुओं के माध्यम से शरीर और आत्मा का संतुलन साधा जाता है। जब कोई योगी ध्यान और अभ्यास के द्वारा इन चक्रों को जागृत करता है, तो वह ब्रह्मांडीय चेतना के साथ जुड़ जाता है, मानो आत्मा अनंत आकाश में उड़ान भरने लगती हो।
वैदिक खगोलशास्त्र में माना जाता है कि 108 हमारे ब्रह्मांड के अस्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसे सूक्ष्म और स्थूल के बीच के संतुलन के रूप में देखा जाता है। १०८ का ज्योतिषीय महत्व भी है , वैदिक ज्योतिष में 12 राशियों और 9 ग्रहों के गुणनफल से 108 बनता है। इसे एक संपूर्ण चक्र माना गया है, जो जीवन और ब्रह्मांड के विभिन्न पहलुओं को जोड़ता है। चीन और जापान की पारंपरिक मार्शल आर्ट्स में 108 महत्वपूर्ण मूव्स या “कुमाइट” होते हैं। भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत में 108 मुद्राओं का उल्लेख मिलता है। नटराज की मूर्ति में भी 108 अलग-अलग मुद्राओं को दर्शाया गया है। संस्कृत भाषा में 108 का महत्व विशेष है। संस्कृत में “अक्षरों” के 54 जोड़े होते हैं (एक-एक स्वर और व्यंजन), और इन जोड़ों को दो बार गिनने से 108 की संख्या बनती है। विज्ञान और प्रकृति के बीच 108 के महत्व को दर्शाने वाली घटना बहुत ही रोचक है |अंतरिक्ष यान के पहले सफल मिशन “यूरी गागरिन” के पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने में लगभग 108 मिनट लगे थे।
गायत्री परिवार हरिद्वार का मानना है कि 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की मानसिक शांति, आत्मिक उन्नति और ब्रह्मा के साथ एकता की अनुभूति होती है। यह संख्या हमारे शरीर के 108 ऊर्जा चक्रों से भी जुड़ी हुई मानी जाती है, और इन चक्रों को संतुलित करने के लिए मंत्र जाप एक शक्तिशाली साधना है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “संसार की हर एक चीज़ एक गहरे अर्थ में जुड़ी हुई है। जब हम संख्याओं के रहस्यों को समझते हैं, तो हम ब्रह्मांड के साथ अपने रिश्ते को और गहरे स्तर पर समझ पाते हैं।” 108 वह संख्या है जहाँ गणित का तार्किक सौंदर्य और आध्यात्मिक आस्था एक-दूसरे से मिलते हैं। यह अंक हमें बताता है कि हमारा जीवन केवल भौतिकता तक सीमित नहीं है; यह आध्यात्मिकता, ऊर्जा और ज्ञान का भी संगम है।
चन्दन घुघत्याल
गणित विभागाध्यक्ष
द दून स्कूल

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement

spot_img

MDDA

spot_img

Latest News

STAY CONNECTED

123FansLike
234FollowersFollow
0SubscribersSubscribe