पृथ्वी दिवस पर देश वासियों को शुभकामनाएं देते हुए डॉ० रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि हिमालय वासियो की इस धरा के पर्यावरण को संरक्षित रखने के प्रयासों की सदैव प्रंशसा की गई है। उन्होने कहा कि आदि कवि कालीदास ने लिखा है कि, ‘हे हिमालय! त्वम् धरित्रीणां नितम्बिनी’ जिसका अर्थ: है कि, हे हिमालय ! तुम पृथ्वी की कटि हो” इसलिए हमें हिमालय और गंगा की स्वच्छता और संरक्षण की दिशा में हमेशा प्रतिबद्ध रहना होगा। डॉ० निशंक ने पृथ्वी दिवस के अवसर पर लेखक गाँव की संजीवनी वाटिका में आयोजित औषधि पादपों के संरक्षण और सर्वधन हेतु आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे सदस्यों को अपने संदेश के साथ उनके द्वारा किये जा रहे प्रयासो की सराहना की।
लेखक गाँव की संजीवनी वाटिका में आयोजित कार्यक्रम में औषधि पादपों के अधिक से अधिक रोपण और वाटिकाओं के विस्तार किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। इस अवसर पर परिसर में स्वच्छता अभियान तथा परिसर में पंक्षियों के लिए छोटी-छोटी जल कुण्डियो का निमार्ण किया गया। लेखक गाँव के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओ०पी० बडोनी ने बताया कि लेखक गाँव की संरचना में स्थानीय पक्षियों और तितलियों के संरक्षण हेतु निरन्तर कार्य किया जायेगा। इस कार्यक्रम में लेखक गाँव परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम में लेखिका नीरजा कुकरेती ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये ॎ