“धामी सरकार ने हथियार डाल दिए हैं — पाँच विधायक तो मात्र मुखौटा थे”
प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा है कि 21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा को निरस्त करने का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का निर्णय, दरअसल कांग्रेस पार्टी और प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं के दबाव का प्रत्यक्ष परिणाम है।
कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा ने कहा कि जिस सरकार ने बेरोजगार युवाओं को सड़क पर लाठियाँ खाने पर मजबूर किया, आज वही सरकार बैकफुट पर आ गई है। मुख्यमंत्री की आज की घोषणा इस बात का प्रमाण है कि धामी सरकार की तथाकथित पारदर्शिता का मुखौटा अब उतर चुका है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आवास घेराव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने स्पष्ट मांग रखी थी कि—
सीबीआई जांच
1- केवल नाममात्र की न हो, बल्कि हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में हो।
2- स्नातक स्तरीय परीक्षा तत्काल निरस्त कर नई तिथि घोषित की जाए।
3- उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष गणेश मत्तोलिया को तत्काल बर्खास्त किया जाए ताकि वह जांच को प्रभावित न कर सकें।
दसौनी ने कहा कि आज मुख्यमंत्री का फैसला हमारी उन्हीं मांगों की पुष्टि करता है।
उन्होंने कहा मुख्यमंत्री की जिन पाँच विधायकों के साथ दिखावटी बैठक कराई गई, वह केवल एक राजनीतिक नाटक था। धामी सरकार यह दिखाना चाहती थी कि यह निर्णय सरकार की संवेदनशीलता से लिया गया है, जबकि सच्चाई यह है कि यह निर्णय विपक्ष और युवाओं के प्रचंड जनदबाव की देन है। गरिमा ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री का पेपर लीक को नकल जिहाद कहना भी बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा।
दसौनी ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री वास्तव में ईमानदार हैं, तो उन्हें अब यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि
सभी दोषियों पर कार्रवाई हो,
सीबीआई जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए, और
भर्ती प्रणाली को पारदर्शी एवं स्वायत्त निकाय को सौंपा जाए।
गरिमा दसौनी ने कहा
यह सरकार प्रचंड बहुमत की सरकार है, लेकिन बार-बार युवाओं के सवालों पर नतमस्तक होती दिखती है।
कांग्रेस पार्टी युवाओं की आवाज़ बनकर खड़ी है और अब यह लड़ाई पूरी निष्पक्ष जांच और दोषियों की सजा तक जारी रहेगी।
गरिमा मेहरा दसौनी
मुख्य प्रवक्ता
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी