22.2 C
Dehradun
Thursday, March 13, 2025
Google search engine
Homeराज्य समाचारउत्तराखंडलेखक गाँव में अंतरराष्ट्रीय लेखक दिवस के पूर्व दिवस पर साहित्यकारों का...

लेखक गाँव में अंतरराष्ट्रीय लेखक दिवस के पूर्व दिवस पर साहित्यकारों का सम्मान

 


देहरादून, 02 मार्च 2025— लेखक गाँव, थानों, देहरादून में अंतरराष्ट्रीय लेखक दिवस का आयोजन भव्यता और साहित्यिक गरिमा के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर देशभर से आए प्रतिष्ठित साहित्यकारों, कवियों और युवा लेखकों ने भाग लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषाओं के उन्नयन पर चर्चा करना और स्थानीय तथा युवा लेखकों को मंच प्रदान करना था।

आयोजन का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और शुभा पाराशर द्वारा मंगलाचरण से हुआ। इसके पश्चात स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से साहित्यिक माहौल को जीवंत बना दिया। मुख्य वक्ता डॉ. नंदकिशोर हटवाल ने मातृभाषाओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा को प्राथमिकता देना एक व्यावहारिक और अभिनव प्रयास है, जो बच्चों की समझने की क्षमता को बढ़ाएगा।

मुख्य अतिथि पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे ने उत्तराखंड की 17 क्षेत्रीय भाषाओं की चर्चा करते हुए विद्यालयों में सबसे सुविधाजनक और व्यावहारिक भाषा को अपनाने की बात कही। पद्मश्री डॉ. बी.सी.एस. संजय ने मातृभाषा को संस्कृति और समाज की पहचान बताया और नई शिक्षा नीति में भाषाओं को प्राथमिकता देने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की।
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार गणेश कुकसाल ‘गणि’ ने मातृभाषाओं की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे हमारी पहचान और इतिहास के लिए संकट बताया।

इसी क्रम में मणि अग्रवाल ‘मणिका’, डॉ. नीरज नैथानी और डॉ. शान्ता ध्यानी ने अपनी ओजस्वी कविताओं से सभी को भावविभोर कर दिया। इस अवसर पर डॉ. सविता मोहन ने लेखक गाँव की अवधारणा और इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डाला, जबकि विदुषी निशंक उनियाल ने आयोजन की उपयोगिता पर विचार रखे।

इस आयोजन में प्रख्यात साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया। इस आयोजन का विशेष आकर्षण युवा और स्थानीय लेखकों की भागीदारी रही। उन्हें इस मंच से अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर मिला और वरिष्ठ साहित्यकारों से मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। यह आयोजन नवोदित रचनाकारों के लिए प्रेरणास्रोत बना और उनके साहित्यिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें कवि साधना जी ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजन समिति के प्रति आभार व्यक्त किया। यह आयोजन केवल एक दिवस तक सीमित न रहकर भाषा, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में एक सशक्त प्रयास सिद्ध हुआ।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img
spot_img

STAY CONNECTED

123FansLike
234FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest News