वित्त अधिनियम 2023 ने धारा 43बी में खंड (एच) जोड़कर आयकर अधिनियम में एक संशोधन पेश किया। यह खंड निर्धारित करता है कि एमएसएमई पर बकाया कोई भी भुगतान, यदि 45 दिनों के भीतर नहीं किया जाता है, तो भुगतान किए जाने तक कर कटौती के लिए पात्र नहीं होगा..! सरल सब्दो में 43B(h) ये कहता है कि MSME व्यापारियों का भुगतान , खरीद के 45 दिन के अंदर अगर खरीदार ने नहीं किया तो उसे उस खरीद को नहीं माना जाएगा. ! इसका परिणाम ये होगा कि खरीदार को लगभग 30% टैक्स का अतरिक्त भुगतान करना होगा. ! इसको ऐसे समझिए, एक व्यापारी ने अगर MSME में रजिस्टर्ड व्यापारी से Rs. 100/-का समान खरीदा और उसका भुगतान 45 दिन में नहीं किया तो खरीदार व्यापारी की Rs. 100/- की खरीदारी नहीं मानी जायेगी और उसे लगभग Rs.30/- ( ये सिर्फ उदहारण के लिए है टैक्स कम या ज्यादा भी हो सकता है इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से ) का इनकम टैक्स का अतरिक्त भुगतान करना होगा.! सरकार की नियत बहुत अच्छी थी कि MSME में रजिस्टर्ड छोटे व्यापारियों की नकदी की समस्या का समाधान मिल जाए. ! सरकारी PSU ने पेमेंट भी इस नियम की हिसाब से कर दी और उसका फायदा भी हुआ. ! पर MSME व्यापारियों को बहुत सी vyavaharik (Practical) दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है .! जहां पर बिजनेस की प्रैक्टिस ही ये हैं कि भुगतान 3-9 महीनों में किया जाता है..! 45 दिन की प्रतिबन्ध लगाने से खरीदार व्यापारियों का नकदी प्रवाह( Cash-Flow)की दिक्कतें आने लग गई . ! खरीददार व्यापारियों ने इस नकदी प्रवाह( Cash-Flow) और धन की अतिरिक्त – लागत (Additional Cost of Funds) का रास्ता ये ढूंढा कि MSME मे रजिस्टर्ड व्यापारियों से खरीददारी ही बंद कर दो. ! क्यूंकि उन्हें दूसरे सप्लायर लगभग उसी लागत/ मूल्य पर मार्केट में और भी उपलब्ध हैं ..!
तो जहां सरकार ने सोचा कि MSME की इस प्रावधान
से हेल्प होगी. ! वो कुछ हद तक तो हुई पर बहुत बड़े स्तर पर MSME को नुकसान भी हो गया. ! MSME ने इस समस्या से बचने और अपना धंधा जारी रखने के लिए अपने आपको रजिस्ट्रेशन से भी हटा लिया या हटाने की सोचने लगे. !
अब ऐसा लगने लगा कि MSME को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए आयकर की धारा 43B(h) बाधा उत्पन्न करने वाली बन गई है। कई कर विशेषज्ञों का मानना है कि भुगतान की समय सीमा (45 दिन का समय) अवास्तविक है और सरकार को इसे वित्तीय वर्ष के अंत के बजाय कम से कम रिटर्न दाखिल करने के समय तक बढ़ाने पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। बजट 2023-24 में आयकर अधिनियम में एक नया प्रावधान जिसका उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को माल या सेवाओं की आपूर्ति के 45 दिनों के भीतर भुगतान सुनिश्चित करना है, के परिणामस्वरूप एक अजीबोगरीब समस्या उत्पन्न हो गई है – बड़ी कंपनियां पंजीकृत एमएसएमई को दिए गए ऑर्डर रद्द कर रही हैं और इन्हें अपंजीकृत एमएसएमई को दे रही हैं। फैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (FAIVM)ने नए मानदंड में सुधारीकरण के लिऐ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया पर माननीय न्यायलय ने कहा कि आप इस समस्या को ले कर हाई कोर्ट जाएं .!FAIVM केंद्रीय एमएसएमई मंत्रालय ने समाधान के लिए संपर्क कर रहा है।FAIVM हितधारकों यानि MSME व्यापारियों से आयकर अधिनियम से उत्पन्न होने वाले मुद्दों को हल करने के तरीके सुझाने और संभावित वैकल्पिक तरीकों की सिफारिश भारत सरकार को करने को कहा है।
ये पूरा कानून इस धारणा पर आधारित है कि दंडात्मक प्रावधानों के कारण खरीददार भुगतान 45 दिन में MSME कर देगी. ! पर ऐसा व्यावहारिक नहीं लगता. ! मेरी व्यक्तिगत राय ये हैं कि सकारात्मक प्रावधान ( Positive Provisions) इनकम टैक्स कानून में बदलाव ला करके किया जाना चाहिए .! जैसे कि 45 दिन में भुगतान पर टैक्स में Rs.100/- का खर्चा Rs. 110/- खर्चा माना जाए , ठीक उसी तरह से 90 दिन में Rs. 105/- के आदि-आदि इससे खरीदार व्यापारियों को धन की लागत(Cost of Funds) में राहत मिलेगी और एक तरह का प्रोत्साहन (Incentives)
होगा. .!
उम्मीद हैं कि जल्द ही नई सरकार बनने पर सरकार एक नए सकारात्मक सोच के साथ इस समस्या के समाधान के लिऐ कारगार उपाय लायेगी..!
CA राजेश्वर पैन्यूली
राष्ट्रिय प्रवक्ता एवं कोषाध्यक्ष
फैडरेशन ऑफ ऑल इण्डिया व्यापार मंडल