उत्तराखंड का इंटरनेशनल खिलाडी दिपेन्द्र सिंह नेगी जिसको वर्ल्ड फेमस फुटबॉलर स्वर्गीय पेले के द्वारा सम्मानित किया गया था 2015 मे आज नौकरी के लिए मोहताज है- कोच डॉ विरेन्द्र सिंह रावत का दर्द छलका
कहते है ना ज़ब खिलाडी ज़ब खिलाडी बचपन से ही फुटबाल खेलते हुवे सपने देखता है की मे वर्ल्ड लेवल पर फुटबाल खेलूंगा मैसी, रोनाल्डो, भाईचूंग भूटिया, सुनील छेत्री जैसा बनुगा उसके लिए दिन रात मेहनत करता है और उसका संस्थापक कोच विरेन्द्र सिंह रावत दिन रात मेहनत कराता है दिपेन्द्र सिंह नेगी को बेहतरीन खिलाडी बनाने मे और खिलाडी चमकता भी है और उत्तराखंड के उत्तरकाशी मे आयोजित अंडर 16 मे वर्ष 2010 मे कोच विरेन्द्र सिंह रावत की अगुवाई मे देहरादून जिले की टीम बनती है और उसमे दिपेन्द्र का चयन होता है उस समय दिपेन्द्र महज 11 साल का होता है कोच की मेहनत और दिपेन्द्र के बेहतरीन खेल की बदौलत देहरादून की टीम स्टेट चैंपियन बनती है
वही से दिपेन्द्र की लाइफ को ब्रेक मिलता है फिर दिपेन्द्र दिन रात और मेहनत करता है फिर 2012 मे आल इंडिया फुटबाल फ़ेडरेशन की पहली एकेडमी का ट्रायल देहरादून मे होता जिसमें समस्त उत्तराखंड से 265 खिलाड़ियों ने ट्रायल दिया जिसमें केवल देहरादून से विरेन्द्र सिंह रावत के स्टूडेंट अनिरुद्ध थापा और दिपेन्द्र सिंह नेगी का चयन होता है आल इंडिया फुटबाल फ़ेडरेशन की एकेडमी मे फिर दिपेन्द्र के पैर रुके नहीं मिडफील्ड की भूमिका मे अनिरुद्ध और दिपेन्द्र ने अंडर 16 इंटरनेशनल ए एस सी चैंपियनशिप मे नेपाल टीम को हराकर पहली बार भारतीय टीम को चैंपियन बनाया 2013 मे उसके बाद दिपेन्द्र के पाँव नहीं रुके 2015 मे आल इंडिया फुटबाल फेडरेशन की एकेडमी ने फेमस इंटरनेशनल सुब्रतो कप अंडर 17 मे दिपेन्द्र सिंह नेगी की कप्तानी मे मणिपुर को फाइनल मे हराकर विजेता बनी इसी प्रतियोगिता मे वर्ल्ड फेमस ब्राजील देश के पेले मुख्य अथिति थे जिन्होंने दिपेन्द्र की कप्तानी मे टीम को विजेता बनकर देखा और दिपेन्द्र के खेल की तारीफ की और सम्मानित किया और कहा की आपके दोनों पैर वाह क्या लाजबाब है आप बेहतरीन फुटबाल खेलते हो उनको सुब्रतो कप की ट्रॉफी थमाई दिपेन्द्र ने कहा ये मेरी और मेरे कोच विरेन्द्र सर की मेहनत है जो आज मे इस मुकाम पर हु
दिपेन्द्र ने अंडर 17 मे भारतीय टीम का कप्तान होते हुवे दो साल तक निभाया, 2016 मे दिपेन्द्र स्पेन के प्रोफेशनल क्लब सी एफ रियूज़ मे खेले विदेश से आने के बाद दिपेन्द्र ने इंडियन सुपर लीग केरला ब्लास्टर एस सी से 2016 से 2019 तक खेला, उसके बाद 2020 से 2022 तक हैदराबाद एफ सी से खेला
उसके बाद घुटने की इंजरी की वजह से कुछ समय के लिए खेल से बहार होना पड़ा लेकिन फिर वापसी की ललक आज भी 26 साल की उम्र हो गयी है और बहुत कुछ करना चाहता है दिपेन्द्र, लेकिन आज कोच डॉ विरेन्द्र सिंह रावत ने दुःख जताया की इतनी सारी महान उपलब्धियां और कई वर्षो तक हिंदुस्तान और विदेश के क्लब मे खेलने के बाद नाम कमाने के बाद किसी भी खेल विभाग, सरकारी विभाग ने उनके भविष्य की नहीं सोची आज दिपेन्द्र बेरोजगार है इतना नाम कमाने के बाद कोच रावत ने बताया की उत्तराखंड सरकार ने कभी भी इस महान खिलाडी को सम्मानित नहीं किया ना नौकरी की बात की हाँ एक बार 2015 मे खेल विभाग उत्तराखंड सरकार ने खिलाडी दिपेन्द्र और अनिरुद्ध को 60, 000 और कोच रावत को दोनों खिलाड़ियों के 30, 000 मात्र प्रदान किए थे उसके बाद ना खिलाडी को पूछा ना कोच को, कोच रावत कहते है हमें कुछ नहीं चाहिए लेकिन जो खिलाडी हमारी धरोहर है दिपेन्द्र को समय समय पर मान सम्मान और नौकरी मिलनी चाहिए थी उत्तराखंड के एक मात्र खिलाडी दिपेन्द्र को पेले के द्वारा सम्मानित होना हमारे लिए गौरव की बात है
अगर ऐसा ही हमारे इंटरनेशनल खिलाड़ियों को नहीं पूछा जायेगा तो क्या हमारा राज्य खेल फुटबाल ऐसे आगे बढ़ेगा
22 करोड़ उत्तराखंड सरकार ने 29 अगस्त को पदक विजेता और कोच को प्रदान किए क्या वर्तमान मे जिन्होंने इंटरनेशनल स्तर पर उत्तराखंड का नाम रोशन किया उनको नजर अंदाज किया गया ऐसा कब तक चलेगा आज भी कोच रावत निरंतर 27 सालों से उत्तराखंड के युवाओं का उचित भविष्य बना रहे है और अंतिम साँस तक करते रहेंगे