28.6 C
Dehradun
Tuesday, August 19, 2025
Google search engine
Homeराज्य समाचारराज्य में जल संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक पहल: "डायरेक्ट इंजेक्शन जल...

राज्य में जल संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक पहल: “डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना” का हुआ शुभारंभ

सीएम धामी ने स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के सहयोग से डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना का किया शुभारंभ

भरारीसेंड । उत्तराखण्ड में जल संकट की चुनौती से निपटने के लिए आज एक ऐतिहासिक पहल का आगाज हुआ। विधानसभा भवन, भराड़ीसैंण में आयोजित भव्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खण्डूडी भूषण ने स्वामी राम विश्वविद्यालय जौलीग्रांट के सहयोग से “डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना” का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर वाइब्रेट बर्ड ऑफ़ कोटद्वार के नाम से फोटो संग्रह का विमोचन भी किया गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार तकनीकी नवाचारों को अपनाकर राज्य के जल संकट को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है । यह जल संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा प्रयास है।

विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ॠतु भूषण खंडूडी ने कहा कि जल संरक्षण केवल पर्यावरण की आवश्यकता नहीं बल्कि उत्तराखंड की भविष्य की जीवन रेखा भी है। उन्होंने कहा कि भूजल पुनर्भरण भविष्य की जल सुरक्षा का आधार बनेगा। यह योजना उत्तराखंड में सतत जल प्रबंधन और जल संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

कार्यक्रम के दौरान जानकारी देते हुए इस परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 8 जुलाई 2025 को अंतरराष्ट्रीय संसदीय अध्ययन शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, भरारीसेंड और स्वामी राम हिमालय विश्वविद्यालय के बीच एक mouभी हुआ। डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना के अंतर्गत औपचारिक वर्षा जल को निष्क्रिय हैंडपंपों में इंजेक्ट कर भूजल स्तर को बढ़ाया जाएगा। इस तकनीक को स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है। योजना के पहले चरण में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैस और और चौखुटिया विकासखंडो के 20 चयनित हैंड पंपों को पुर्नभुगतान कर पुनः क्रियाशील बनाया जाएगा। यह प्रयास उत्तराखंड में जल प्रबंधन के लिए एक स्थाई समाधान की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है।

उत्तराखण्ड—हिमाच्छादित पर्वतों और अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध प्रदेश, जहां लगभग 80 प्रतिशत पेयजल स्रोत पारंपरिक झरनों और धाराओं पर आधारित हैं। किंतु पिछले दो दशकों में भूजल स्तर में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट ने जल संकट को गहरा कर दिया है। पारंपरिक जल स्रोत और हैंडपंप सूखने लगे हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती बन गया है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की तकनीकी टीम प्रोफेसर एच पी उनियाल, नितेश कौशिक, सुजीत थपलियाल , राजकुमार वर्मा , अतुल उनियाल, अभिषेक उनियाल और शक्ति भटट ने योजना की तकनीकी प्रकिया को विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार यह तकनीक वर्षा जल को फिल्टर और ट्रीट कर सीधे भूजल भंडार तक पहुंचती है, जिससे सुखे हैंडपंप फिर से जीवंत हो जाता है।

इस अवसर पर राज्य के वन मंत्री सुबोध उनियाल, कृषि मंत्री गणेश जोशी, विधायक सहजाद, अनिल नौटियाल, मुन्ना सिंह चौहान, सविता कपूर, आशा नौटियाल, रेणु बिष्ट, सरिता आर्या, विनोद कंडारी, ब्रिज भूषण गैरोला, दुर्गेश लाल साह, सुरेश गढ़िया, डीजीपी दीपम सेठ एवं कई विभिन्न विभागों के सचिव एवं विधानसभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी सहित स्वामी राम विश्वविद्यालय के अधिकारी उपस्थित रहे।

 

 

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img

STAY CONNECTED

123FansLike
234FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest News