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हिमालय क्षेत्र विशेषकर उत्तराखंड में बढ़ती आपदाएँ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गम्भीर खतरा: संज्ञान क्यों नहीं ले रही राज्य सरकार

हिमालय क्षेत्र विशेषकर उत्तराखंड में बढ़ती आपदाएँ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गम्भीर खतरा है क्यों संज्ञान नहीं ले रही राज्य सरकार व नैनीताल हाई कोर्ट ?

9 सितंबर हिमालय दिवस पर सचिन थपलियाल ने दी भारत सरकार को चेतावनी (मेमोरेंडम) कहा कि उत्तराखंड राज्य और सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्र लगातार आपदाओं की चपेट में है। 2013 की केदारनाथ आपदा (6,000 मौतें), 2021 की चमोली त्रासदी (200 मौतें), 2023 का जोशीमठ धंसाव (800+ मकानों में दरार 3,000 विस्थापित) और हर साल होने वाले 1,000 से अधिक भूस्खलन इस संकट की गंभीरता को दर्शाते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी ग्लेशियर प्रतिवर्ष 8 अरब टन बर्फ खो रहे हैं, जबकि यहाँ से निकलने वाली नदियाँ भारत के 50 करोड़ लोगों की जीवनरेखा हैं।

📌 आम आदमी पार्टी की डिमांड

1. हिमालयी पहाड़ी क्षेत्र को राष्ट्रीय पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया जाए औऱ सभी गैरकानूनी प्रोजेक्ट्स तत्काल बंद किये जायें ।

2. अवैज्ञानिक बांध, सुरंग और खनन परियोजनाओं पर रोक लगे।

3. मज़बूत आपदा पूर्व चेतावनी तंत्र विकसित हो।

4. हिमालय दिवस को राष्ट्रीय दिवस का दर्जा मिले।

👉 आम आदमी पार्टी का कहना है कि यदि अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हिमालय संकट केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के पर्यावरण, खाद्य औऱ नागरिक सुरक्षा को खतरे में डाल देगा।

— प्रतिलिपि

– माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार
– माननीय पर्यावरण मंत्री जी, भारत सरकार
– मुख्य न्यायाधीश, नैनीताल हाई कोर्ट
– मुख्य सचिव, उत्तराखंड सरकार

संपर्क:
सचिन थपलियाल
प्रदेश अध्यक्ष
आम आदमी पार्टी युवा मोर्चा
8755972723/ sachinthapliyal.st@gmail.com

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