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Tuesday, September 9, 2025
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“कंधे से जुड़ी समस्याओं, उपचार की आधुनिक तकनीकों पर देहरादून में संगोष्ठी का आयोजन: अर्थोपेडिक विशेषज्ञों ने की भागीदारी

इंडियन ऑर्थोस्कोपी सोसायटी तथा उत्तराखंड ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा देहरादून में कंधे के जोड़ों से संबंधित समस्याओं पर संगोष्ठी का आयोजन

इंडियन ऑर्थोस्कोपी सोसायटी तथा उत्तराखंड ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में दिन रविवार को देहरादून के होटल अकेता में कंधे के जोड़ों से संबंधित समस्याओं, उपचार की आधुनिक तकनीकों और मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराने के उपायों पर एक विस्तृत चिकित्सा संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम में देशभर से विभिन्न राज्यों से आए वरिष्ठ अर्थोपेडिक विशेषज्ञ, आर्थ्रोस्कोपी सर्जन, फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ तथा चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े अन्य पेशेवर बड़ी संख्या में शामिल हुए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. गौरव गुप्ता (देहरादून), वरिष्ठ अर्थोपेडिक विशेषज्ञ, ने की। उनके साथ प्रमुख रूप से शामिल हुए:
-डॉ. इंदरदीप सिंह (अमृतसर)
-डॉ. शिरीधर गंगवारुपु (विशाखापट्टनम)
-डॉ कल्पेश त्रिवेदी (अहमदाबाद)
– डॉ अभिषेक अग्रवाल (लखनऊ)
-डॉ ऋषभ जयसवाल (लखनऊ)

-डॉ. पुनीत अगरवाल (हल्द्वानी)
-डॉ प्रदीप पांडे (हल्द्वानी)
-डॉ. एस. एन. सिंह (देहरादून)

इसके अतिरिक्त देश के विभिन्न राज्यों एवं उत्तराखंड राज्य के सभी छेत्रों से कई अन्य नामी अर्थोपेडिक विशेषज्ञों और चिकित्सकों ने सक्रिय भागीदारी की और कंधे की समस्याओं पर अपने अनुभव साझा किए।

डॉ. गौरव गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा,
“कंधे से जुड़ी समस्याएँ – जैसे दर्द, गठिया, चोट, खेलों के दौरान लगी चोटें तथा उम्र से संबंधित जटिलताएँ – आज आम हो गई हैं। समय पर उपचार न मिलने से मरीजों की दिनचर्या प्रभावित होती है। आधुनिक आर्थ्रोस्कोपी तकनीक न्यूनतम चीरे के साथ सुरक्षित उपचार प्रदान करती है। ऐसे मंच डॉक्टरों के बीच सहयोग और अनुभव साझा करने के लिए आवश्यक हैं।”

कार्यक्रम में कंधे से जुड़ी समस्याओं पर निम्न प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई:
✔ आर्थ्रोस्कोपी द्वारा न्यूनतम इनवेसिव उपचार
✔ खेलों के दौरान लगी चोटों का विशेषज्ञ उपचार
✔ गठिया और जोड़ों की अन्य बीमारियों का प्रभावी प्रबंधन
✔ फिजियोथेरेपी और पुनर्वास कार्यक्रम
✔ समय पर उपचार और जागरूकता बढ़ाने की रणनीतियाँ

सभी विशेषज्ञों ने आधुनिक तकनीक, शोध, प्रशिक्षण और आपसी सहयोग के माध्यम से मरीजों को बेहतर उपचार सुविधाएँ प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। विशेषज्ञों ने कहा कि इस प्रकार की पहल न केवल चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाएगी, बल्कि देशभर के डॉक्टरों के बीच संवाद और ज्ञान का आदान-प्रदान भी सुदृढ़ करेगी।

इंडियन ऑर्थोस्कोपी सोसायटी और उत्तराखंड ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम को चिकित्सा क्षेत्र में नवाचार, सहयोग और रोगियों के उपचार को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। आगे भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित कर चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने का संकल्प व्यक्त किया गया।

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