डॉ विरेन्द्र सिंह रावत पर बनी शार्ट फ़िल्म जर्नी ऑफ़ फुटबॉलर विरेन्द्र सिंह रावत को मिलेगा 28 जून को दिल्ली मे “इंटरनेशनल सिल्वर स्क्रीन फ़िल्म अवार्ड 2025 ( बेस्ट स्पोर्ट्स फ़िल्म )”
उत्तराखंड मे 27 सालों से से खिलाडी, कोच, रेफरी बना रहे समाज सेवा क़र रहे निश्वार्थ भाव से डॉ विरेन्द्र सिंह रावत जिनके जीवन पर शार्ट फ़िल्म उनकी बेटी प्रियांशी रावत के द्वारा बनाई गयी फ़िल्म “जर्नी ऑफ़ फुटबॉलर विरेन्द्र सिंह रावत” को चयन किया गया जूरी बनकर फेमस बॉलीवुड और पंजाबी सिंगर शंकर साहनी, बॉलीवुड सिंगर शयमा शेख, बॉलीवुड फ़िल्म मेकर, डायरेक्टर, एक्टर कौशिक घोष के द्वारा बेस्ट स्पोर्ट्स शार्ट फ़िल्म चुनी गयी
डॉ रावत के जीवन पर बनी फ़िल्म को अवार्ड 28 जून को दिल्ली के भारती विद्यापीठ यूनिवर्सिटी, पश्चिम विहार ईस्ट नियर मेट्रो स्टेशन, दिल्ली मे सम्मानित किया जायेगा
डॉ रावत ने बताया की शार्ट फ़िल्म जो हमारी बेटी के द्वारा वर्ष 2019 मे बनाई थी और जिसमें बेटी ने पिता के संघर्षो को बताया की किस तरह समाज मे गंदे लोग कैसे अच्छे बढ़ते इंसान को रोकने की कोशिश करते है फिर भी कई शोषण के बाद उनके पापा हार नहीं मानते और जीत क़र दिखाते है और आज भी राज्य खेल फुटबाल के लिए संघर्ष क़र रहे है 27 सालों से, डॉ रावत ने बताया और कहा की मुझे गर्व है की मे दो बेटियों का पिता हु बड़ी बेटी ने हिम्मत दिखाकर फ़िल्म बनाई, समाज को सच्चाई से अवगत कराया, आज हमारी दोनों बेटियां समाज के युवाओं को जागरूक क़र रही है, डॉ रावत ने बताया की इस शॉर्ट फ़िल्म को इससे पहले भी गोवा इंटरनेशनल बेस्ट डॉक्यूमेंट्री अवार्ड, भारतीय सिनेमा के भीष्मपितामह दादा साहेब फाल्के अवार्ड, नेशनल फ़िल्म अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चूका है
और अब इंटरनेशनल सिल्वर स्क्रीन फ़िल्म अवार्ड (बेस्ट स्पोर्ट्स अवार्ड) 2025 से नवाजा जायेगा और आज वाट्सअप और मेल के द्वारा नॉमिनेटेड हुई फ़िल्म का लेटर प्राप्त हुवा
उसके लिए जूरी और समस्त उत्तराखंड और भारत देश के खेल प्रीमियों का तह दिल धन्यवाद
, बस जीवन कभी हार मत माने निरंतर प्रयास करते रहे, हारेंगे तभी हम जीतेंगे
बेटी प्रियांशी रावत ने बताया की हमारे पिताजी “जिस पद का उदेश्य नहीं शांत भवन मे ठीक बहना , किन्तु पहुंचना उस मंजिल तक जिसके आगे राह नहीं”
श्री जयशंकर प्रसाद जी ये पक्तियां डॉ रावत पर जीता जागता उदहारण है
हमारे पिताजी ने फुटबाल के लिए नौकरी छोड़ी, कर्जा लिया, जमीन बेची, जेल गए, शोषण सहा और कई बार घायल हुवे लेकिन हार नहीं मानी
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