नैनबाग (शिवांश कुंवर)
धराली में जो कुछ हुआ, वह एक ऐसी घटना थी जिसने हर किसी की रूह को झकझोर कर रख दिया। यह एक ऐसा मंजर था, जहाँ दर्द शब्दों से कहीं अधिक गहरा था — इतना गहरा कि उसे पूरी तरह शब्दों में पिरो पाना भी कठिन है।
बहुत से लोगों ने अपने परिजनों को खोया, कई परिवार उजड़ गए, और पूरे क्षेत्र में एक भयावह सन्नाटा पसरा रहा। इस दर्द को समझना, महसूस करना और व्यक्त करना आसान नहीं है।
लेकिन युवा लेखक गोविंद रावत ने इस पीड़ा को अपनी लेखनी के माध्यम से उजागर करने का प्रयास किया है। उनकी कविता न केवल संवेदना व्यक्त करती है, बल्कि उन सभी लोगों के प्रति एक श्रद्धांजलि भी है जो इस त्रासदी से प्रभावित हुए हैं।
ऐसे युवाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जो समाज की पीड़ा को अपनी संवेदनशीलता और रचनात्मकता से आवाज़ देते हैं। यह न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से सराहनीय है, बल्कि सामाजिक चेतना के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।