देहरादून डीएम के निरीक्षण के बाद विष्णु प्रसाद त्रिवेदी निलंबन के दौरान मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय से अटैच
जिलों में सभी महकमों के Boss District Magistrate ही बतौर Collector होते हैं लेकिन Excise महकमा उनके प्रताप को सीधे लगातार ललकार रहा। देहरादून के दबंग और साफ-सख्त छवि वाले DM सविन बंसल को चुनौती देने के बाद महकमे के DEO-Inspectors अब चमोली में भी DM (Collector) संदीप तिवारी को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। शराब महकमा शुरू से ही सरकार की Image को खराब करता रहा है लेकिन इस बार इसने एक किस्म से सीधे IAS Cadre के दम-सामर्थ्य-शक्ति पर अंगुली उठा दी है। सरकार ने DM के मुताबिक गुमशुदा DEO दुर्गेश्वर त्रिपाठी को Commissioner (Excise) हरी सेमवाल के कार्यालय से आज सम्बद्ध कर दिया लेकिन अहम पहलू ये है कि सेमवाल पर खुद IAS होने के बावजूद उनके ही Cadre में अंगुली उठाई जा रही है कि वह महकमे के दागी नामों के खिलाफ कार्रवाई में Collectors और अपने Cadre का अपेक्षित साथ नहीं दे रहे।
कुछ महीने पहले देहरादून में बार की शिकायत और Timing और Over Rating पर DM सविन बंसल ने सख्त कदम उठाए थे। महकमे के आयुक्त सेमवाल ने इस मामले में DM के आदेश को एकदम उलट डाला था। इसके चलते इस मामले ने खूब विवाद और सुर्खियां लूटी थी। अब चमोली में भी DEO दुर्गेश्वर ने 2 दुकानों का आवंटन बगैर DM (Collector) संदीप को बताए सिर्फ आयुक्त को विश्वास मे ले के कर डाला। इसकी जानकारी मिलने पर Collector ने खुद छापा मारा तो DEO और उसके बाबू लोग दफ्तर से गायब मिले। इसके बाद उन्होंने पुलिस में DEO दुर्गेश्वर के गायब होने की रिपोर्ट लिखवा दी।
दुर्गेश्वर ने एक और Blunder ये कर दिया कि जिला स्तर का अधिकारी और सरकारी सेवक आचरण नियमावली में साफ प्रावधानों के बावजूद DM की शिकायत उन पर तमाम आरोप लगते हुए सीधे CM पुष्कर सिंह धामी को लिखित में कर दी। इसके साथ ही DEOs-महकमे के Inspectors तथा अन्य स्टाफ DM संदीप के खिलाफ आवाज उठा रहे। सविन-संदीप के खिलाफ DM रहते हुए ही बगावत की आवाज उठाने से हैरानी जताई जा रही है। ये समझा जा रहा है कि कोई बड़ी ताकत विद्रोही स्वर अपना रहे महकमे के अफसरों के पीछे खड़ी है।
खास तौर पर जब ये माना जा रहा है कि Excise महकमे के अफसर-कर्मचारी DMs के खिलाफ नहीं बल्कि IAS Cadre के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। देश में जिस Cadre को सर्वशक्तिमान और जिसके अफसरों को धरती के ईश्वर माने जाते हों, उसको इस तरह से ललकार दिया जाना, बहुत बड़ी बात है। दुर्गेश्वर और उससे पहले देहरादून के DEO को सविन के खिलाफ आयुक्त सेमवाल का भरपूर संरक्षण मिला समझा गया। वह SCS के जरिये आए साल-2005 Batch के IAS अफसर हैं। मई (2 महीने बाद) में उनका Retirement है।
अहम पहलू ये है कि वह आबकारी महकमे के सचिव भी रहे हैं और एक वक्त वह तमाम महकमों को लिए ऐसे बैठे थे कि आला IAS अफसर भी उनसे रश्क करते थे। आज उनके पास गिने-चुने विभाग हैं और जिस आबकारी महकमे के वह शासन में बतौर सचिव Boss हुआ करते थे, उसके वह अब महज आयुक्त भर हैं। जो उनके बैच को देखते हुए बेहद Junior ओहदा है। सेमवाल पर ये ठप्पा लगा है कि वह DMs के फैसलों और Direct IAS अफसरों को चुनौती देने से नहीं हिचकते हैं।
आज ज्यादा शोर-शराबा होने पर दुर्गेश्वर को चमोली से हटा दिया गया लेकिन सेमवाल के आयुक्त कार्यालय में ही सम्बद्ध कर दिया गया। महकमे के प्रमुख सचिव L फैनई हैं। उनको तटस्थ भूमिका में देखा जाता है। वह विवादों में पड़ने से बचते हैं। आबकारी महकमे के मूल कैडर अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ भी सीधे कभी नहीं जाते हैं। न ही वह आयुक्त के कामकाज में रत्ती भर दखल देते नजर आते हैं। दुर्गेश्वर पर DM संदीप के कठोर रुख के बावजूद कड़ी कार्रवाई न होने से ये पहलू फिर उभर आया है कि Excise Department को काबू करने में सर्वशक्तिमान IAS Cadre भी लाचार है।
आगे इस मामले में क्या होता है, इस पर सभी की नजर है। IAS अफसरों का मानना है कि DMs-Collectors को महकमों के जिला स्तर के अफसर तवज्जो नहीं देंगे-आदेश का पालन नहीं करते हैं-उल्टे उनको ललकारते हुए उनके ही खिलाफ कार्रवाई के लिए कमर कसते हैं और शासन संस्तुति के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता है तो System और राजस्व संग्रह पर जबर्दस्त Negative असर पड़ेगा। DM-Collector Institutions को आघात पहुंचा, वह अलग मुद्दा है।