देहरादून सिटिज़न्स फोरम ने रिस्पना-बिंदाल एलिवेटेड कॉरिडोर पर आयोजित किया टाउन हॉल संवाद : पारदर्शिता और पर्यावरणीय विवेक की मांग की
देहरादून: ₹6 000 करोड़ की लागत से प्रस्तावित रिस्पना-बिंदाल एलिवेटेड कॉरिडोर जो राज्य सरकार द्वारा शहरी ट्रैफिक की भीड़-भाड़ को कम करने और मसूरी तक एक शॉर्टकट मार्ग के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है ने देहरादून के निवासियों के बीच उत्सुकता और चिंता दोनों को जन्म दिया है। यह परियोजना शहर में 26 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड मार्गों के नेटवर्क की कल्पना करती है, जिसे रिस्पना और बिंदाल नदियों के नाजुक नदी तल के ऊपर खंभों पर बनाया जाएगा, जिनकी औसत ऊंचाई 15 मीटर होगी। यह कॉरिडोर शहर की रूपरेखा और पारिस्थितिक संतुलन को स्थायी रूप से प्रभावित कर सकता है।
बढ़ती जनचेतना और चिंता को देखते हुए, देहरादून सिटिज़न्स फोरम ने दून पुस्तकालय में देहरादून डायलॉग श्रृंखला के अंतर्गत एक विशेष टाउन हॉल बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता जितेंद्र त्रिपाठी और सरकार की आधिकारिक परामर्शदाता संस्था स्पेक्ट्रम के प्रतिनिधियों द्वारा विस्तृत तकनीकी प्रस्तुति दी गई। यह तथ्यात्मक सत्र नागरिकों और सरकार के बीच संवाद की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।
इस कार्यक्रम में शहर के विभिन्न वर्गों से लोग शामिल हुए जिसमे इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक, पर्यावरणविद, शिक्षक, समाजसेवी, और पर्यटन व सूचना प्रौद्योगिकी सहित अन्य क्षेत्रों के पेशेवर। देहरादून सिटिज़न्स फोरम में देहरादून के 450 से अधिक जागरूक नागरिक शामिल हैं, जो सतत और समावेशी शहरी विकास की साझी सोच के साथ एकजुट हुए हैं।
प्रस्तुति के पश्चात मंच पर एक खुला प्रश्नोत्तर सत्र हुआ, जिसमें भागीदारों ने परियोजना के पर्यावरणीय और सामाजिक दुष्प्रभावों को लेकर गंभीर चिंता जताई। एक प्रमुख मांग यह रही कि पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए) रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए ताकि नागरिक जागरूक होकर भागीदारी कर सकें और परियोजना का समुचित लागत-लाभ विश्लेषण संभव हो।
हालांकि इस सत्र में परियोजना से जुड़े नीति-निर्णयों पर चर्चा नहीं की गई, फोरम ने अंत में अपील की कि इस प्रकार की बड़ी आधारभूत परियोजनाओं की योजना बनाते समय नागरिकों की आवाज़ को प्रारंभिक स्तर पर ही शामिल किया जाना चाहिए। फोरम के सदस्यों ने ज़ोर देकर कहा कि जन सुविधा के लिए बनाई जा रही शहरी योजनाएं किसी बंद कमरे में नहीं, बल्कि जनसुनवाई के माध्यम से तय होनी चाहिए।
अनेक प्रतिभागियों ने यह भी सुझाव दिया कि रिस्पना और बिंदाल नदियों के पुनर्जीवन कार्यों को एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना से स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ाया जाए और इसके सामाजिक एवं पारिस्थितिकी प्रभावों को समग्रता से समझा जाए। बैठक के समापन पर चूंकि कई प्रतिभागी संतुष्ट नहीं दिखे तो लोक निर्माण विभाग ने देहरादून सिटिज़न्स फोरम से नागरिक प्रतिक्रिया का एक समेकित विवरण प्रस्तुत करने का अनुरोध किया।
सादर, आभार।
टीम देहरादून सिटिज़न्स फोरम
dooncitizensforum@gmail.com