सीएम धामी ने मसूरी गोलीकांड की बरसी पर सपनों का उत्तराखंड बनाने का किया संकल्प, मसूरी के विकास को नई सौगातें
प्रदेश सरकार राज्य आंदोलनकारी के सपनों का उत्तराखंड बनाने के लिए है संकल्पित होकर कर रही कार्य- सीएम धामी
2 सितंबर 1994 को पुलिस ने छह आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसाई थीं। सीएम धामी ने मसूरी पहुंचकर आंदोलनकारी शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

मसूरी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मसूरी गोलीकांड की 31वीं बरसी पर शहीद राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने बलबीर सिंह नेगी, बेलमती चौहान, हंसा धनाई, धनपत सिंह, राय सिंह बंगारी और मदन मोहन ममगई जैसे वीरों को याद करते हुए कहा कि 2 सितंबर 1994 उत्तराखंड के इतिहास का काला दिन है, जब शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाई गईं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य निर्माण के लिए बलिदान देने वाले इन वीरों के सपनों का उत्तराखंड बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मसूरी के विकास के लिए कई घोषणाएं कीं। उन्होंने गढ़वाल सभा भवन का निर्माण जल्द पूरा करने, सिफन कोर्ट का मामला सुलझाने और मसूरी में वेंडर जोन बनाने की घोषणा की। साथ ही मसूरी तहसील गठन के लिए कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के प्रयासों की सराहना की।
राज्य आंदोलनकारियों के लिए सरकार की योजनाओं का उल्लेख करते हुए धामी ने बताया कि उन्हें सरकारी नौकरियों में 10% क्षैतिज आरक्षण दिया गया है। शहीद आंदोलनकारियों के परिजनों को 3,000 रुपये, घायल व जेल गए आंदोलनकारियों को 6,000 रुपये तथा सक्रिय आंदोलनकारियों को 4,500 रुपये मासिक पेंशन दी जा रही है। अब तलाकशुदा, विधवा और परित्यक्ता पुत्रियों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। आंदोलनकारियों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा और बस यात्रा की सुविधा दी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने समान नागरिक संहिता और नकल विरोधी कानून लागू कर राज्य आंदोलनकारियों के सपनों को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसके साथ ही धर्मांतरण और दंगों पर रोक के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं तथा 9,000 एकड़ भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई है। उन्होंने बताया कि मदरसा बोर्ड समाप्त करने और अवैध मदरसों को बंद कराने का निर्णय भी इसी कड़ी का हिस्सा है।
दो सितंबर 1994 की गोलीकांड की घटना को याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं। इस दिन पुलिस में निहत्थे छह राज्य आंदोलनकारियों पर गोलियों की बौछार कर दी थी। पुलिस की बर्बरता और अत्याचार की सच्ची कहानी इतनी भयावह थी कि यह दिन मसूरी के इतिहास में हमेशा के लिए काला अध्याय के रूप में जुड़ गया। इस दिन पहाड़ के लोगों ने पहली बार पहाड़ में कर्फ्यू देखा था। उन्होंने कहा कि जिन मुद्दों पर इतना बड़ा आंदोलन कर अलग राज्य बनाया गया उन मुद्दों का आज तक समाधान नहीं हुआ है। पहाड़ से आज भी पलायन जारी है। जल, जंगल और जमीन को हम बचा नहीं पा रहे हैं।
कार्यक्रम में पालिकाध्यक्ष मीरा सकलानी, दर्जाधारी सुभाष बड़थ्वाल समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।



