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अच्छी खबर: एशिया के जल भविष्य को आकार देने के लिए देहरादून में आयोजित होगा 5वां अंतरराष्ट्रीय एशियाई जल पर्यावरण प्रौद्योगिकी मंच (IFAWET-5)

देहरादून जैसे संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में IFAWET-5 आयोजन, वैश्विक सोच के साथ स्थानीय समाधान की भावना को है दर्शाता,  यूपीईएस को इस अंतरराष्ट्रीय सहयोग का हिस्सा बनने और सतत जल भविष्य के लिए संवाद की जगह बनाने पर है गर्व-डॉ. राम शर्मा

(IFAWET-5) जापान के यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो, भारत के आईआईटी रुड़की और यूपीईएस देहरादून के स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंजीनियरिंग, मेक्सिको के टेक्नोलॉजिको डी मोंटेरे तथा भारत के राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है आयोजित


देहरादून ,18 जुलाई 2025: एशिया में जल प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण को लेकर भारत एक बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है। 6 से 8 अगस्त 2025 के बीच देहरादून में 5वां अंतरराष्ट्रीय एशियाई जल पर्यावरण प्रौद्योगिकी मंच (IFAWET-5) आयोजित किया जाएगा। यह तीन दिवसीय मंच एशिया और अन्य देशों के वैज्ञानिकोंए विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं और उद्योग प्रतिनिधियों को एक साथ लाकर जल और पर्यावरण तकनीकों में हाल की प्रगति पर चर्चा करने का अवसर देगा।

यह मंच जापान के यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो, भारत के आईआईटी रुड़की और यूपीईएस देहरादून के स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंजीनियरिंग, मेक्सिको के टेक्नोलॉजिको डी मोंटेरे तथा भारत के राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। यह सहयोग इस बात का प्रतीक है कि सभी संस्थान क्षेत्रीय और वैश्विक जल संकटों का समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मंच के इस पांचवें संस्करण का मुख्य उद्देश्य जलवायु, लचीला जल तंत्र बनाना, भूजल की कमी, कीटनाशक प्रदूषण और जलग्रहण क्षेत्र के क्षरण जैसे मुद्दों का समाधान खोजना है। साथ ही, सतत प्रबंधन की नीतियों को बढ़ावा देना और समुदाय आधारित समावेशी जल शासन पर ध्यान देना भी इसकी प्राथमिकता होगी। स्मार्ट शहरी प्रणालियों, डिजिटल तकनीकों और परिपथीय अर्थव्यवस्था मॉडल की भूमिका पर भी चर्चा होगी।

यूपीईएस के सह-आयोजक और मेज़बान संस्थान के रूप में भूमिका पर बात करते हुए यूपीईएस के कुलपति डॉ. राम शर्मा ने कहा, “जब दुनिया जलवायु परिवर्तन और जल संकट जैसी दोहरी चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे में (IFAWET-5) जैसे मंच वैज्ञानिक सोच, नवाचार और नीति के जरिए सामूहिक समाधान खोजने के लिए बेहद जरूरी हैं। देहरादून जैसे संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में इसका आयोजन, वैश्विक सोच के साथ स्थानीय समाधान की भावना को दर्शाता है। यूपीईएस को इस अंतरराष्ट्रीय सहयोग का हिस्सा बनने और सतत जल भविष्य के लिए संवाद की जगह बनाने पर गर्व है।

यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो, जापान के प्रो. फुतोशी कुरिसु (IFAWET-5) ने खुशी जाहिर की कि 12 वर्षों के बाद यह मंच फिर से भारत लौट रहा है, और अबकी बार देहरादून जैसे सुरम्य हिमालयी शहर में हो रहा है। (IFAWET-5) के संयोजक प्रो मनीष कुमार ने भी तीन प्रतिष्ठित संस्थानों के सहयोग पर प्रसन्नता जताई, जिनसे उनका जुड़ाव – एक पूर्व छात्र, एक पेशेवर और अब एक प्रोफेसर के रूप में रहा है।
(IFAWET-5) की शुरुआत एशिया में जल से जुड़े वैज्ञानिक और नीतिगत संवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। इस मंच के पिछले संस्करण नई दिल्ली, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर में आयोजित हो चुके हैं। (IFAWET-5) इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए शिक्षाविदों, सरकारी संस्थाओं और उद्योग जगत को एक साथ लाने और जल सततता के भविष्य को आकार देने के लिए संवाद का मंच प्रदान करेगा।
इस आयोजन की अधिक जानकारी के लिए देखें https://www.upes.ac.in

 

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