सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। निश्चित तौर पर जीवन में मिलने वाली सफलता हमारे भीतर उत्साह और आत्मविश्वास पैदा करती है, लेकिन असफलता भी हमें कुछ न कुछ सिखाकर जाती है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उससे सीख लेते हुए जीवन में आगे बढ़ें।
परीक्षा में असफल होना छात्र- छात्राओं के लिए तनाव का बहुत बड़ा कारण बन जाता है। वह इस असफलता को जीवन का अंत समझ बैठते हैं और आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। जबकि किसी परीक्षा में असफल हो जाने का मतलब जिंदगी खत्म हो जाना नहीं है। जिंदगी में सफल होना या असफल होना, खुश होना या दुखी होना यह सब बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक रोज आने वाली चुनौतियां हैं। असफलता का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी करने में असमर्थ हैं या आप इसके लायक नहीं हैं। असफलता क्षणिक है। जिसकी सामना हर व्यक्ति को करना पड़ता है। फिर चाहे वह दसवीं-बारहवीं का परिणाम हो या फिर चंद्रयान-2 मिशन। चंद्रयान-2 के फेल होने पर पूरा देश एकसाथ रोया था। पर वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी और असफलता से सीख लेकर चंद्रयान-3 की सफलता की राह प्रशस्त की। जरा सोचिए, सचिन तेंदुलकर का किसी मैच में शून्य पर आउट हो जाना क्या उसकी असफलता थी? अगर तेंदुलकर हताशा में खेलना बंद कर देते तो क्या उन्हें भारत रत्न मिलता। असफलता से बहुत ज्यादा घबराना या तनावग्रस्त होना जिंदगी के बड़े आयाम को नजरअंदाज करना होता है। किसी परीक्षा या विषय में फेल हो जाना असफलता नहीं बल्कि जिंदगी का ही एक हिस्सा हो सकता है। इसलिए आप अपनी असफलता के लिए खुद को जिम्मेदार न समझें। इस चुनौती का सामना करें और हमेशा अपने उद्देश्य के लिए खड़े रहे। दोगुने उत्साह से नए सिरे से परीक्षा की तैयारी कर असफलता को सफलता में बदलना होगा। अभिभावकों को भी यह सोचना चाहिए कि वह बच्चों की असफलता पर उन्हें डांटे फटकारे नहीं, बल्कि उन्हें मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करें और उनका हर तरह से साथ दें। सफल छात्रों के लिए भी एक सलाह है। अत्यधिक खुशी में मादक पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें। क्योंकि आपकी खुखी में लिया गया कोई भी पदार्थ आपकी आदत बन सकता है और भविष्य में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
डा. संतोष कुमार
यूथ वेलनेस एक्सपर्ट एवं एडिशनल प्रोफेसर
कम्यूनिटी एंड फैमिली मेडिसिन
एम्स ऋषिकेश
कोई भी परेशानी होने पर चिकित्सक की सलाह लें
जब भी आप बहुत अधिक तनावग्रस्त या अत्यधिक खुश होते हैं तो दोनों ही अवस्था में आपके मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। आपके मस्तिष्क की सोचने, समझने तथा निर्णय लेने की क्षमता पर इसका प्रभाव पड़ता है। अगर आपको किसी भी तरह की परेशाशी हो तो आप तुरंत चिकित्सक से सहायता ले सकते हैं।
-अगर बहुत ज्यादा घबराहट हो।
– बार-बार कोई चीज आपको परेशान कर रही हो।
-मन किसी भी चीज में नहीं लग रहा हो या आप किसी से बात नहीं कर रहे हो।
-रोने का मन कर रहा हो।
-आपको नींद नहीं आ रही हो और आपको बहुत बेचैनी हो रही हो।
सफलता क्या है-
-अगर आप छोटी-छोटी घटनाओं से विचलित नहीं होते हैं। परीक्षा में फेल होना या पास होना, कम नंबर आना इन सबको भूलकर एक चुनौती समझकर स्वीकार करना यह सफलता है। किसी भी परिस्थिति हर एक स्थिति को भूलकर कसौटी में खरा उतरना, किसी भी परिस्थिति में असफलता या निराशा के बाद पुनः प्रयास बाउंस बैक करना यह सफलता है।
असफलता क्या है-
-जब आपकी सोच बहुत संकीर्ण हो तो यह असफलता है। जब आप अपनी जिंदगी का बहुत कम आकलन करते हो तो यह असफलता है। सब कुछ होने के बाद भी (हाथ, पैर, अच्छा शरीर, घर परिवार) कुछ ना होना यह असफलता है।
इन बातों का रखें ख्याल
-हर बच्चे में अलग काबिलियत होती है। ऐसे में अभिभावक उनकी क्षमता को समझें एवं बच्चों को प्रोत्साहित करें।
-बच्चों एवं उनके रिजल्ट की तुलना अन्य से ना करें। तुलना करने पर बच्चों का मनोबल टूट जाता है और वह निराश हो जाते हैं।
– बच्चों को समझाएं कि उनका जीवन अनमोल है व भविष्य में मेहनत करके वह और अधिक सफलता हासिल कर सकते हैं।
-बच्चों की आलोचना न करें। इससे उनका मनोबल टूटता है और बच्चे अवसाद मे चले जाते हैं।
– माता-पिता को इस समय बच्चों पर अपनी अपेक्षाएं नहीं थोपनी चाहिए।
-बच्चों को डाटने की बजाय प्रोत्साहित करें, ताकि उन्हें अहसास हो जाए कि माता-पिता उनके साथ हैं
– बच्चा जो भी कॅरियर चुनना चाहता है उसमें सहयोग देना चाहिए और इस संबंध में हर प्रकार की जानकारी हासिल करने में उनकी मदद करनी चाहिए।
-बच्चों एवं अविभावकों को यह समझना बहुत जरूरी है कि बोर्ड का रिजल्ट जीवन की आखिरी परीक्षा नहीं है। जीवन में ऐसी अनेक परीक्षाएं देनी पड़ेगी और अनेक रिजल्ट का सामना करना पड़ेगा।
डॉ संतोष कुमार ,
एडिशनल प्रोफेसर ,
कम्युनिटी फ़ैमिली मेडिसिन , वेलनेस एक्सपर्ट , एम्स ऋषिकेश